जालोर. शहर के सुन्देलाव तालाब पर देवासी समाज की ओर से सामाजिक समरसता के तहत समंदर हिलोरने की रश्म का सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान नव वस्त्राभूषणों से सजी-धजी महिलाएं और पुरूष गाजे बाजे के साथ नाचते- गाते तालाब पर पहुंचे और पौराणिक परम्परा के हिसाब से समंदर हिलोरने की रश्म अदा की.
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इसके साथ ही सिर पर मटका लेकर महिलाएं और उनके भाइयों ने पानी में मटके को हिलाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से पानी पिला आशीर्वाद स्वरूप स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की कामना की. वहीं भाइयों ने बहनों को भेंट-पूजा अर्पित कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया.
वहीं भाइयों ने बहन को चुनरी ओढ़ाकर अपने हाथ से नाडी का पानी पिलाया. इससे पूर्व महिलाओं ने विभिन्न परिधानों से सज-धज कर तालाब के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए परम्परागत लोक गीत गाए. वहीं पुरूषों की ओर से सभा का आयोजन भी किया गया.
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भाई बहन के पवित्र रिश्तों को लेकर आयोजित होती है यह रश्म
भाई बहन के पवित्र रिश्ते को लेकर सामाजिक स्तर पर कई रश्मों का आयोजन किया जाता है. इसमें एक रश्म समंदर हिलोरने की होती है. इस रश्म में बहन 365 दिन या 365 कड़ाई मिट्टी तालाब से बाहर डालती है.
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उसके बाद बारिश होने पर तालाब पानी से भरता है तो भाई बहन के लिए रश्म का पूरा सामान लेकर आता है और साथ ही पूरी रश्म अदा कर तालाब का पानी अपनी बहन को पिलाता है और बहनें भी भाईयों को पानी पिलाती हैं.