जालोर. जिले के सांचोर विधानसभा से विधायक व सूबे की सरकार के कद्दावर मंत्री सुखराम बिश्नोई के बेटे डॉ. भूपेंद्र बिश्नोई अपनी एक पोस्ट के चलते इन दिनों सुर्खियां बटोर रहे हैं. उन्होंने अपने पिता के खिलाफ भूख हड़ताल का ऐलान किया है. बिश्नोई ने लिखा है, मुझे गर्व है कि मैं बिश्नोई हूं, लेकिन बहुत दुखी और शर्मिंदा हूं कि मैं राजस्थान सरकार के एक सम्मानीय मंत्री का पुत्र हूं और हम शिकारियों या किसी वन विभाग का कोई अधिकारी, कर्मचारी को जो ऐसे कृत्य में शामिल होता है, उनको सजा नहीं दिलवा पा रहे हैं, कई बार अपनी अंतरात्मा को सुना, लेकिन निर्णय नहीं ले सका, लेकिन आज किसी दोस्त, रिश्तेदार यहां तक की परिवार से भी बिना सलाह मशविरा किए एक निर्णय ले रहा हूं, गुरु महाराज से प्रार्थना करता हूं कि वो मेरी मदद करेंगे. साथियों 11 दिसंबर को बाड़मेर भडाला में मेरे समाज के युवा जो धरने पर बैठे हैं, उनका साथ देने और जो उनकी वाजिब मांगें है, उनके पक्ष में धरना स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठूंगा.
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उन्होंने कहा, अपने पिता के पास जो विभाग है. उसी विभाग से जुड़ा एक धरना बाड़मेर जिले भाडखा निंबला थुंबली सरहद पर चल रहा था. लोगों की मांग थी कि कुछ लोगों ने चिंकारा हरिण शिकार किया था. उसमें शामिल सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और वन विभाग के जिला अधिकारी डीएफओ को हटाया जाए. इसी मांग को लेकर चल रहे धरने को समर्थन देते हुए मंत्री के पुत्र डॉ. बिश्नोई ने यह पोस्ट सोशल मीडिया में डाली थी. इस पोस्ट से सीधे सरकार और वन एवं पर्यावरण मंत्री के कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसके बाद 11 दिसम्बर को मंत्री के पुत्र धरना स्थल पर पहुंचे थे और अधिकारियों के साथ वार्ता करके धरना समाप्त भी करवाया था, लेकिन विपक्ष के लोग इस पोस्ट को शेयर करके मंत्री के विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे है.
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अधूरी जानकारी के कारण हुई थी गलती
इस बात को लेकर मंत्री पुत्र डॉ. भूपेंद्र बिश्नोई से बात की तो सामने आया कि मंत्री खुद की तबीयत खराब थी. ऐसे में पंचायतीराज चुनावों में खुद मैनेजमेंट संभाल रहे थे. इस दौरान धरना स्थल से बिश्नोई समाज के लोगों के कॉल आ रहे थे. जिसमें बताया गया था जो अधूरी जानकारी थी. बाद में शुक्रवार को मौके पर गए तो पता चला था कि जिस अधिकारी को हटाने की मांग की जा रही थी. उसका स्थानांतरण पहले कर दिया था, लेकिन कोर्ट से स्टे लेकर अधिकारी बैठा था. बाद में उसको विभाग ने एपीओ भी कर दिया तो संबंधित अधिकारी ने हाई कोर्ट से स्टे ले लिया. मौके पर जाने के बाद यह जानकारी मिली तो धरना दे रहे लोगों से वार्ता करके धरने को खत्म करवा दिया था.