जालोर. चीन से विश्व भर में फैली कोरोना महामारी से अपना देश भी अछूता नहीं है. इससे बचाव को लेकर देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते 24 मार्च से ही देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया था. इस बीच राज्य के 29 जिलों में कोरोना ने दस्तक दे दी थी, जालोर जिला बचा हुआ था. इसके बाद पहली बार 6 मई को कोरोना के 4 केस सामने आए, उसके बाद कोविड-19 के केस तेजी से बढ़कर 204 पर पहुंच गया है, जिसमें 90 फीसदी संक्रमितों की संख्या गांवों से है, इसमें सभी प्रवासी हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने इसकी जांच-पड़ताल के लिए चितलवाना उपखण्ड के गांव डूंगरी पहुंची.
इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव की पड़ताल की तो वहां एक भी कोविड-19 का मामला सामने नहीं आया. वहीं, गांव के लोग भी इसे लेकर काफी सचेत नजर आए. लॉकडाउन के इस अवधि में गांव के लगभग 12 से अधिक युवाओं ने गांव की कमान संभाली और तीन चौकियां स्थापित कर डाली. अब गांव में आने-जाने का रिकॉर्ड इन अस्थाई चौकियों पर रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों और ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात कोविड-19 की टीम को देकर उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जा सके.
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इसके साथ ही इन युवाओं की ओर से अनावश्यक घूमने वाले लोगों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जा रही है. वहीं, सभी को मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की भी पालना कराई जा रही है. उसी का परिणाम है कि गांव में अब तक एक भी कोविड-19 का संक्रमित मरीज सामने नहीं आया है. हालांकि, अब अनलॉक-1 होने के बाद लोगों की आवाजाही तो बिना रोक-टोक के शुरू कर दी गई है, लेकिन मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अब लोगों ने भी जीना सीख ही लिया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि गांव अब तक कोविड-19 के मामले में पूरी तरह सुरक्षित है.
गांव के राजीव गांधी सेवा केंद्र में कंट्रोल रूम स्थापित
कोरोना की रोकथाम को लेकर गांवों में पीईईओ क्षेत्र में डूंगरी के राजकीय स्कूल के प्रधानाचार्य एवं कोरोना प्रभारी लक्ष्मण सिंह जाणी के नेतृत्व में शिक्षकों की टीम ने भी जी तोड़ मेहनत की. गांव के राजीव गांधी भवन में कोविड-19 कंट्रोल रूम की स्थापना की और यहां पर 24 घंटे कर्मचारियों को तैनात किया.
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दरअसल, मुख्य आबादी को छोड़कर गांव की ज्यादातर आबादी ढ़ाणियों में ही रहती है. ऐसे में करीबन 550 से ज्यादा प्रवासियों को होम क्वॉरेंटाइन करने के लिए 45 डिग्री गर्मी के बावजूद ग्राम प्रभारियों ने पैदल जमीन नाप कर होम क्वॉरेंटाइन करने के बाद 28 दिन तक लगातार कड़ी मॉनिटरिंग भी रखी. इसके अलावा कोरोना योद्धाओं ने गांव में जागरूकता रैली निकाल कर लोगों को कोरोना के बचाव की जानकारी भी दी, जिसके चलते अब ज्यादातर लोग कोरोना के बचाव के तरीकों के साथ जीना सीख चुके हैं.
भामाशाह की मदद से गांव में कराया सेनेटाइजेशन
गांव में ज्यादातर प्रवासियों के आवागमन के बाद भामाशाह इंदिरा खेताराम विश्नोई की मदद से पूरे गांव को सैनिटाइज भी करवाया गया. ताकि गांव में पूरी तरह से कोरोना का बचाव किया जा सके. इसके साथ ही मनरेगा कार्यों पर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
पेयजल संकट से जूझ रहा है गांव
गांव की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि गांव में पानी की भारी किल्लत है. लोगों को महंगे दामों में टैंकर डलवाकर पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है. दरअसल, गांव में कई सालों से पानी सार्वजनिक जीएलआर में नहीं आया है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. हालांकि, इस गर्मी की सीजन में भामाशाह खेताराम विश्नोई ने गांव में पानी के टैंकरों की नि:शुल्क व्यवस्था की है, लेकिन सरकारी जीएलआर अभी भी सूखे ही हुए है.