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जालोर: सांचौर में नर्मदा नहर में पानी छोड़ने की मांग को लेकर किसानों का धरना-प्रदर्शन - Chitwala Area Jalore

जालोर के सांचोर और चितलवाना क्षेत्र के हजारों किसान नर्मदा नहर में पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं. लेकिन गुजरात से पानी की आवक कम होने के कारण सभी नहरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में किसानों की ओर से पिछले दो दिनों से धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.

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सांचौर में नर्मदा नहर में पानी छोड़ने की मांग
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Published : Nov 25, 2020, 5:22 PM IST

जालोर. जिले के सांचौर में किसान लगातार नर्मदा नहर की छोटी कैनाल में पानी देने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही नहरों में पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण किसान दो दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले में विभाग के अधिकारी गुजरात से पानी की आवक कम होने की बात कह रहे हैं. जिसके कारण हजारों किसान परेशान हो रहे हैं.

सांचौर में नर्मदा नहर में पानी छोड़ने की मांग

जानकारी अनुसार जिले के सांचोर और चितलवाना क्षेत्र में नर्मदा नहर से करीब 2 लाख हेक्टेयर में हर साल रबी की फसल की बुवाई होती है. ऐसे में ज्यादातर किसानों ने रबी का सीजन शुरू होते ही बुवाई की तैयारी कर ली है. लाखों रुपए खर्च करके किसानों ने खेत तैयार करके बीज डाल दिए हैं लेकिन पानी नहीं पहुंचने के कारण खेतों में डाले गए बीज खराब हो रहे हैं.

ऐसे में परेशान किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. नहर की सभी वितरिकाओं और माइनरों में पानी देने की मांग को लेकर किसान धरना दे रहे हैं. जिसके चलते बुधवार को सांचोर से विधायक और वन पर्यावरण मंत्री के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उनके बेटे सत्येंद्र कुमार, नर्मदा नहर परियोजना के साथ चीफ आरडी शर्मा, एडीशनल चीफ इंजीनियर सहित एक्सईएन जोगेंद्र कुमार जाणी सहित किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने जीरो हेड सीलु से लेकर गुजरात तक निरीक्षण किया.

पढ़ें: कोटा: आसमान में छाए रहे बादल, न्यूनतम तापमान बढ़ा लेकिन ठिठुरन बरकरार

निरीक्षण में सामने आया कि राजस्थान के एंट्री प्वाइंट सीलु के पास रड़का हेड के पास केवल 1 हजार क्यूसेक पानी ही था. वहीं, गुजरात की तरफ नहर में साफ-सफाई का कार्य नहीं करवाया गया है. ऐसे में पानी का फ्लो बहुत ही कम था. जबकि गुजरात के खानपुर हेड पर पानी की मात्रा 2200 क्यूसेक थी. खानपुर से 55 किमी दूर राजस्थान के बॉर्डर तक गुजरात में 5 बड़ी नहरों के निकलने से पानी की मात्रा कम हो जाती है. जिसके कारण जिले में 1 हजार क्यूसेक से भी कम पानी पहुंच पाता है. जबकि राजस्थान को नर्मदा नहर से 2200 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए.

जालोर. जिले के सांचौर में किसान लगातार नर्मदा नहर की छोटी कैनाल में पानी देने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही नहरों में पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण किसान दो दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले में विभाग के अधिकारी गुजरात से पानी की आवक कम होने की बात कह रहे हैं. जिसके कारण हजारों किसान परेशान हो रहे हैं.

सांचौर में नर्मदा नहर में पानी छोड़ने की मांग

जानकारी अनुसार जिले के सांचोर और चितलवाना क्षेत्र में नर्मदा नहर से करीब 2 लाख हेक्टेयर में हर साल रबी की फसल की बुवाई होती है. ऐसे में ज्यादातर किसानों ने रबी का सीजन शुरू होते ही बुवाई की तैयारी कर ली है. लाखों रुपए खर्च करके किसानों ने खेत तैयार करके बीज डाल दिए हैं लेकिन पानी नहीं पहुंचने के कारण खेतों में डाले गए बीज खराब हो रहे हैं.

ऐसे में परेशान किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. नहर की सभी वितरिकाओं और माइनरों में पानी देने की मांग को लेकर किसान धरना दे रहे हैं. जिसके चलते बुधवार को सांचोर से विधायक और वन पर्यावरण मंत्री के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उनके बेटे सत्येंद्र कुमार, नर्मदा नहर परियोजना के साथ चीफ आरडी शर्मा, एडीशनल चीफ इंजीनियर सहित एक्सईएन जोगेंद्र कुमार जाणी सहित किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने जीरो हेड सीलु से लेकर गुजरात तक निरीक्षण किया.

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निरीक्षण में सामने आया कि राजस्थान के एंट्री प्वाइंट सीलु के पास रड़का हेड के पास केवल 1 हजार क्यूसेक पानी ही था. वहीं, गुजरात की तरफ नहर में साफ-सफाई का कार्य नहीं करवाया गया है. ऐसे में पानी का फ्लो बहुत ही कम था. जबकि गुजरात के खानपुर हेड पर पानी की मात्रा 2200 क्यूसेक थी. खानपुर से 55 किमी दूर राजस्थान के बॉर्डर तक गुजरात में 5 बड़ी नहरों के निकलने से पानी की मात्रा कम हो जाती है. जिसके कारण जिले में 1 हजार क्यूसेक से भी कम पानी पहुंच पाता है. जबकि राजस्थान को नर्मदा नहर से 2200 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए.

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