जालोर. जिले के 5 गांवों के किसान रबी की फसल के सिंचाई के लिए पानी देने की मांग को लेकर 9 दिन से धरने पर बैठे हैं. जिसको लेकर प्रशासन ने अभी तक सुध नहीं ली है. किसानों ने चेतावनी दी है कि प्रशासन उनकी मांग नहीं मानेगा तो वे नहर में कूदकर सामूहिक आत्महत्या करेंगे.
बता दें कि सिंचाई के लिए पानी की मांग को लेकर अन कमाण्ड क्षेत्र के किसानों का धरना पिछले नौ दिन से जारी है, लेकिन इन नौ दिनों में प्रशासन ने एक बार भी किसानों की समस्या सुनने की या सुध लेने की कोशिश तक नहीं की है. जिसके कारण प्रशासनिक और नर्मदा विभाग के अधिकारियों खिलाफ किसानों में आक्रोश है. किसानों का कहना है की नर्मदा नहर का निर्माण करने के लिए सरकार ने औने-पौने दाम में जमीन अवाप्त कर ली, लेकिन आज उनको पानी लेने से वंचित कर दिया. जिसके कारण 10 किमी की परिधि में 1600 हेक्टेयर जमीन पर किसान नर्मदा नहर के पानी से सिंचाई नहीं कर पा रहे है.
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जानकारी के अनुसार नर्मदा नहर के किनारे पर बसे गांव मेघावा, कुंडकी, मणोहर, वीरावा और अगड़ावा के सैंकड़ों किसान पिछले नौ दिन से अपनी जमीन को अन कमाण्ड से कमांड क्षेत्र में जुड़वाने की मांग कर रहे है, लेकिन किसानों की सुनवाई नहीं हो रही है.
खेत के अंदर से नहर निकाली, लेकिन पानी से वंचित रख दिया
किसानों का आरोप है कि नर्मदा विभाग के अधिकारियों ने 75 मीटर की जगह 150 मीटर जमीन उनकी औने पौने दाम में 2007 में अवाप्त कर ली. वहीं 2008 में नहर का निर्माण किया गया था. उस समय हुए सर्वे में इस क्षेत्र के किसानों को कमांड क्षेत्र में शामिल नहीं किया. किसानों का कहना है कि पिछले10 सालों से लगातार कमांड क्षेत्र में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. किसानों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है. अगर इन गांवों की जमीन को कमांड में शामिल नहीं किया तो किसान आंदोलन को उग्र करेंगे और नहर में कूदकर आत्महत्या करेंगे.
मंत्री का विधानसभा क्षेत्र, लेकिन किसानों से मिलने नहीं गए
मेघावा गांव में नर्मदा नहर के किनारे किसान रबी की फसल के सिंचाई के लिए पानी देने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे है. धरना-प्रदर्शन जिस जगह किया जा रहा है, वहां से सांचोर विधायक और वर्तमान में वन व पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का घर मात्र 5 किमी ही दूर है. धरने के दौरान मंत्री एक बार सांचोर आकर भी गए है, लेकिन किसानों ने वार्ता करने या मिलने मंत्री बिश्नोई नहीं पहुंचे. किसानों का आरोप है कि मंत्री क्षेत्र के होने के बावजूद भी सुध लेने नहीं आए हैं.