जालोर. जिले के सबसे दूर और दूरस्थ माने जाने वाले चितलवाना को तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने 2013 में उपखण्ड मुख्यालय का दर्जा दिया था, लेकिन वहां पर अधिकारी लगाना सरकार भूल गई. पिछले 7 साल से यह कार्यालय मात्र एक कार्मिक के भरोसे ही चलता रहा. यहां का कार्यभार सांचोर उपखण्ड अधिकारी के पास में अतिरिक्त में रहा. जिसके कारण लोगों को उपखण्ड मुख्यालय के काम के लिये काफी परेशान होना पड़ा.
वहीं उधार के एसडीएम से काम चला रहे लोगों ने कई बार उपखण्ड अधिकारी का पद भरने के लिए राज्य सरकार, क्षेत्र के विधायक और वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से मांग की, लेकिन सरकार की ओर से अनदेखी की गई, लेकिन अब पंचायतीराज चुनाव को देखते हुए कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करके मासिंगा राम को उपखण्ड अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया है. जिन्होंने अब चितलवाना में उपखंड अधिकारी के पद पर जॉइन कर लिया. अब क्षेत्र के लोगों को उपखण्ड अधिकारी के संबंधित कार्यों के लिए सांचोर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, लेकिन कार्मिकों में केवल एक एलडीसी ही कार्यरत है. जिसके कारण नए एसडीएम के सामने आम जनता के काम करने की बड़ी चुनौती होगी.
7 साल से उधार के एसडीएम से चलाया काम
जिले का चितलवाना उपखण्ड क्षेत्र हर तरह से बैकवर्ड क्षेत्र है. यहां पर पिछले 7 सालों में कई बार बड़ी आपदा आई, लेकिन प्रशासनिक जिम्मा संभालने के लिए चितलवाना में कोई अधिकारी नहीं था. इन 7 सालों में 2 बार बाढ़ ने उपखंड के 80 प्रतिशत हिस्से को अपनी चपेट में लिया, हजारों लोग बेघर हो गए थे. वहीं हर साल नेहड़ क्षेत्र में बाढ़ के हालात बनते हैं, लेकिन एसडीएम का पद रिक्त होने से यहां का कार्यभार सांचोर उपखंड अधिकारी के पास में अतिरिक्त में होने के कारण लोगों को परेशान होना पड़ता था, लेकिन अब एसडीएम की नियुक्ति होने के बाद उम्मीद जगी है, कि लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा.
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केवल एक एलडीसी ही है कार्यरत
इस उपखण्ड मुख्यालय पर सरकार ने उपखण्ड का दर्जा 2013 में दिया. यहां पर करोड़ों रुपये खर्च कर भवन का निर्माण भी करवा दिया गया, लेकिन अधिकारियों या कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर सरकार ने बेरुखी दिखाई. यहां पिछले 7 साल से मात्र एक एलडीसी ही कार्यरत है. ऐसे में अब नए उपखण्ड अधिकारी मासिंगाराम के सामने कई चुनौतियां है. केवल एक एलडीसी के भरोसे ही आम जनता के काम करने पड़ेंगे.
1700 से ज्यादा मामले राजस्व के पेंडिंग
जिले के इस उपखण्ड में अधिकारी नहीं होने के कारण 1700 से ज्यादा राजस्व के मामले सालों से पेंडिंग चल रहे हैं. जिसके कारण 1700 मामलों के हजारों परिवादी न्याय की उम्मीद में रोज उपखण्ड मुख्यालय के चक्कर काटते हैं और निराश होकर वापस लौट जाते हैं. अब अधिकारी की नियुक्ति के बाद उम्मीद है, कि इन पेंडिंग मामलों में कुछ कमी आएगी.