रानीवाड़ा (जालोर). कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन और पुलिस के साथ-साथ चिकित्सा विभाग पूरी तरह से अलर्ट है. कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन के कारण कोई गरीब व्यक्ति भूखा ना सोए इसको लेकर प्रशासन खुद के स्तर के साथ-साथ भामाशाहों और दानदाताओं के सहयोग से गरीब और जरूरतमंद परिवारों को राशन सामग्री उपलब्ध करवा रहा हैं, लेकिन प्रशासन गरीब परिवार के लोगों को एक बार राशन सामग्री देने के बाद उनको भूल जाता हैं. ऐसा ही एक मामला जालोर के रानीवाड़ा में देखने को मिला जहां राशन सिर्फ 2 दिन का ही राशन दिया.
दरअसल, कलां गांव में गाडोलिया लोहार समाज के 13 परिवार अस्थाई रूप से निवास करते हैं. यह सभी मूल पाली जिले के मुंडारा गांव के निवासी हैं. रानीवाड़ा में मजदूरी करने के लिए आये हुए हैं. गाडोलिया लोहार समाज के लोग दिहाड़ी मजदूरों की श्रेणी में आते हैं. क्योंकि यह दिन भर मजदूरी करके पैसे कमाकर उसी कमाए हुए पैसों से परिवार चलाते हैं, लेकिन कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन में उन्हें किसी भी प्रकार की मजदूरी नहीं मिल रही है जिससे उनके सामने परिवार के पालन पोषण करने का संकट खड़ा हो गया है.
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13 परिवारों को मात्र 10 दिन का मिला राशन...
रानीवाड़ा के जालेरा कलां गांव में अस्थाई रूप से निवास कर रहे गाडोलिया लोहार समाज के 13 परिवारों को 10 दिन पहले नाम मात्र का राशन दिया था. वह सिर्फ 2 दिन में ही समाप्त हो गया है. अब लॉकडाउन के चलते मजदूरी नहीं मिलने के कारण वो किराना की दुकान से राशन सामग्री भी नहीं खरीद पा रहे है. क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है.
जिससे 13 परिवार के करीब 70 से अधिक सदस्य अब प्रशासन के द्वारा दिए जा रहे राशन सामग्री के कीट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. लोहार समाज को कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण मजदूरी भी नहीं मिल रही है, ऐसे में मजदूरों के पास पैसों का अभाव है. अब देखना यह होगा के क्या रानीवाड़ा प्रशासन से राशन सामग्री की किट उपलब्ध होती है या नहीं.