जैसलमेर/पोकरणः मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ने 10 फरवरी को राज्य का बजट पेश किया था. इस बजट में सीएम ने ग्राम पंचायत रामदेवरा को नगर पालिका क्षेत्र बनाने की घोषणा की थी. वहीं, इस ऐलान के बाद रामदेवरा के ग्रामीण पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इस संबंध में ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ पंचायती राज के तहत उन्हें मिल पाता है. नगरपालिका बनने के बाद ग्रामीणों को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल पाएगा. स्थानीय लोगों ने कहा कि मनरेगा के काम रामदेवरा क्षेत्र में सबसे ज्यादा होते हैं.
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इस वजह से ग्रामीण कर रहे विरोध: बीते साल करीब 3 हजार 200 श्रमिक मनरेगा में कार्यरत थे. ग्रामीणों ने कहा कि गरीब तबके के लोगों का गुजर बसर इसी पर आधारित है. ऐसे में सरकार की तरफ से संचालित होने वाली पंचायती राज के कई योजनाओं का लाभ ग्राम पंचायत के लोगों को मिल पा रहा है. सरपंच समंदर सिह तंवर ने कहा कि ये ही वजह है कि ग्रामीणों इसका विरोध कर रहे हैं.
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रामदेवरा ग्राम पंचायत की आबादी सात हजार के करीब: उन्होंने कहा कि इस संबंध में ग्रामीणों ने मांग रखी कि वे नगरपालिका का अंग नहीं बनना चाहते हैं. उन्हें ग्राम पंचायत क्षेत्र में ही रहने दी जाए. समंदर सिह तंवर ने बताया कि रामदेवरा ग्राम पंचायत की आबादी सात हजार के करीब है. इसके बावजूद सरकार की तरफ से नगरपालिका क्षेत्र घोषित किया गया है. वहीं, सोमवार को इस मामले में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की. जिसमें सर्वधर्म सभी समाज के लोगों ने नगरपालिका बनने का पुरजोर विरोध जताया. उन्होंने इसे ग्राम पंचायत रहने देने की मांग अशोक गहलोत सरकार से की.