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जयपुर का एक ऐसा मंदिर जहां होते हैं भगवान के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन, एक ही छत के नीचे मिलते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग - MAHASHIVRATRI 2025

छोटी काशी भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो रही है. वहीं, एक ऐसा मंदिर भी है जहां भगवान के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन होते हैं.

mahashivratri in Jaipur
भगवान के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 26, 2025, 7:03 AM IST

जयपुर: यूं ही जयपुर को छोटी काशी नहीं कहा जाता है. यहां पग-पग पर भगवान भोलेनाथ के मंदिर देखने को मिलते हैं और उन्हीं में से एक है बनीपार्क स्थित चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर, जहां भगवान का अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन होते हैं. 60 साल पुराने इस मंदिर की अपनी महिमा है. यही वजह है कि जब श्रद्धालुओं ने भगवान के चमत्कार देखें तो मंदिर का नाम चमत्कारेश्वर रखते हुए इसे भव्यता भी दी.

मंदिर समिति के सचिव रवि ने बताया कि करीब 60 साल पहले भादो के महीने में देशी गाय के थन से दूध की धार बहने लगी. उस वक्त स्थानीय लोगों ने इस पर गौर किया और भगवान के प्रति आस्था के भाव के चलते मंदिर निर्माण करना शुरू किया. तब से मंदिर में भगवान की नियमित सेवा पूजा हो रही है और कई बड़े आयोजन यहां पर होते हैं.

भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो रही छोटी काशी (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने बताया कि यहां उत्तर भारत की पहली अर्द्धनारीश्वर मूर्ति है. इसके साथ ही यहां भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग स्वरूप को भी विराजमान कराया गया है. इसके पीछे सोच यही है कि जो श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर सकते वो एक ही छत के नीचे भगवान के इन सभी स्वरूपों का दर्शन कर सके. उन्होंने बताया कि इस मंदिर के भक्त जयपुर के हर कोने से यहां पहुंचते हैं. यही नहीं, कई भक्त विदेश में रहते हैं जो जब भी जयपुर आते हैं, तो भगवान की सेवा करने के लिए यहां जरूर पहुंचते हैं.

Chamatkareshwar Mahadev Temple
चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : महाशिवरात्रि : भगवान शिव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, जानिए कैसे करें पूजा - MAHASHIVARATRI 2025

यहां होते हैं 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन :

  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात, सौराष्ट्र
  2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश, श्रीशैलम
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश, उज्जैन
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश, खरगोन
  5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड, रुद्रप्रयाग
  6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, पुणे
  7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश, वाराणसी
  8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, नासिक
  9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखंड, देवघर
  10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात, द्वारका
  11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु, रामेश्वरम
  12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, औरंगाबाद

वहीं, मंदिर समिति में उपकोषाध्यक्ष राम शरण ने बताया कि यहां स्वयंभू शिवलिंग है और बाद में भगवान के पूरे परिवार को यहां विराजमान कराया गया. इसके साथ ही भगवान के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप और द्वादश ज्योतिर्लिंग स्वरूप भी यहां मौजूद है. इनके अलावा मंदिर प्रांगण में भगवान गणेश, जीण माता, काले हनुमान, काल भैरव, राम दरबार, राधा कृष्ण और नवग्रह भी यहां विराजमान हैं, जिनकी नियमित सेवा पूजा की जाती है. यहां नियमित तीन से चार हजार श्रद्धालु भगवान की सेवा के लिए पहुंचते हैं.

Chamatkareshwar Mahadev Temple
चमत्कारेश्वर महादेव स्वयंभू शिवलिंग (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, इस मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि वो पीढ़ियों से यहां आ रहे हैं. मंदिर का जैसा नाम है उसी तरह की चमत्कार यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं के जीवन में घटित भी हुए हैं और ये सब भोलेनाथ का ही चमत्कार है. वहीं, कुछ श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो उस समय से मंदिर में आ रहे हैं, जब मंदिर का छोटा स्वरूप था. बहरहाल, शिव और शक्ति के विवाह के पर्व महाशिवरात्रि को लेकर छोटी काशी के लोग तैयार हैं और तमाम शिवालय में भक्त अपने भगवान का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक कर उन्हें रिझाते हुए नजर आएंगे.

जयपुर: यूं ही जयपुर को छोटी काशी नहीं कहा जाता है. यहां पग-पग पर भगवान भोलेनाथ के मंदिर देखने को मिलते हैं और उन्हीं में से एक है बनीपार्क स्थित चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर, जहां भगवान का अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन होते हैं. 60 साल पुराने इस मंदिर की अपनी महिमा है. यही वजह है कि जब श्रद्धालुओं ने भगवान के चमत्कार देखें तो मंदिर का नाम चमत्कारेश्वर रखते हुए इसे भव्यता भी दी.

मंदिर समिति के सचिव रवि ने बताया कि करीब 60 साल पहले भादो के महीने में देशी गाय के थन से दूध की धार बहने लगी. उस वक्त स्थानीय लोगों ने इस पर गौर किया और भगवान के प्रति आस्था के भाव के चलते मंदिर निर्माण करना शुरू किया. तब से मंदिर में भगवान की नियमित सेवा पूजा हो रही है और कई बड़े आयोजन यहां पर होते हैं.

भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो रही छोटी काशी (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने बताया कि यहां उत्तर भारत की पहली अर्द्धनारीश्वर मूर्ति है. इसके साथ ही यहां भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग स्वरूप को भी विराजमान कराया गया है. इसके पीछे सोच यही है कि जो श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर सकते वो एक ही छत के नीचे भगवान के इन सभी स्वरूपों का दर्शन कर सके. उन्होंने बताया कि इस मंदिर के भक्त जयपुर के हर कोने से यहां पहुंचते हैं. यही नहीं, कई भक्त विदेश में रहते हैं जो जब भी जयपुर आते हैं, तो भगवान की सेवा करने के लिए यहां जरूर पहुंचते हैं.

Chamatkareshwar Mahadev Temple
चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : महाशिवरात्रि : भगवान शिव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, जानिए कैसे करें पूजा - MAHASHIVARATRI 2025

यहां होते हैं 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन :

  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात, सौराष्ट्र
  2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश, श्रीशैलम
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश, उज्जैन
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश, खरगोन
  5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड, रुद्रप्रयाग
  6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, पुणे
  7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश, वाराणसी
  8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, नासिक
  9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखंड, देवघर
  10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात, द्वारका
  11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु, रामेश्वरम
  12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र, औरंगाबाद

वहीं, मंदिर समिति में उपकोषाध्यक्ष राम शरण ने बताया कि यहां स्वयंभू शिवलिंग है और बाद में भगवान के पूरे परिवार को यहां विराजमान कराया गया. इसके साथ ही भगवान के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप और द्वादश ज्योतिर्लिंग स्वरूप भी यहां मौजूद है. इनके अलावा मंदिर प्रांगण में भगवान गणेश, जीण माता, काले हनुमान, काल भैरव, राम दरबार, राधा कृष्ण और नवग्रह भी यहां विराजमान हैं, जिनकी नियमित सेवा पूजा की जाती है. यहां नियमित तीन से चार हजार श्रद्धालु भगवान की सेवा के लिए पहुंचते हैं.

Chamatkareshwar Mahadev Temple
चमत्कारेश्वर महादेव स्वयंभू शिवलिंग (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, इस मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि वो पीढ़ियों से यहां आ रहे हैं. मंदिर का जैसा नाम है उसी तरह की चमत्कार यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं के जीवन में घटित भी हुए हैं और ये सब भोलेनाथ का ही चमत्कार है. वहीं, कुछ श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो उस समय से मंदिर में आ रहे हैं, जब मंदिर का छोटा स्वरूप था. बहरहाल, शिव और शक्ति के विवाह के पर्व महाशिवरात्रि को लेकर छोटी काशी के लोग तैयार हैं और तमाम शिवालय में भक्त अपने भगवान का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक कर उन्हें रिझाते हुए नजर आएंगे.

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