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ये है भरतपुर का राजेश्वर महादेव मंदिर, पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण करने वाला पवित्र स्थल - MAHASHIVRATRI 2025

महाशिवरात्रि के अवसर पर आज हम आपको भरतपुर के राजेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बता रहे हैं. जानिए मंदिर का इतिहास और धार्मिक मान्यताएं.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
भरतपुर का राजेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 26, 2025, 6:18 AM IST

भरतपुरः राजस्थान का भरतपुर अपने गौरवशाली इतिहास और भव्य किलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासिक मान्यताओं और अनूठी आस्था के लिए अलग ही पहचान रखता है. मंदिर की प्राचीनता, राजपरिवार की भक्ति, नागा साधुओं की तपस्या और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी अनेक कथाएं इसे एक दिव्य स्थल बनाती हैं.

मंदिर की स्थापना और ऐतिहासिक मान्यताः भरतपुर के प्रसिद्ध लोहागढ़ दुर्ग की स्थापना पूर्व महाराजा सूरजमल ने 1733 ई. में की थी, लेकिन सुजान गंगा नहर के किनारे खिरनी घाट पर स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर उससे भी अधिक प्राचीन है. पुजारी सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब यहां खुदाई की गई, तो धरती से स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ. उसकी नागा साधु पूजा करते थे. लोहागढ़ दुर्ग की स्थापना से पहले पूर्व महाराजा सूरजमल नागा साधुओं से मिले और दुर्ग स्थापना की बात कही, तो नागा साधुओं ने महाराज से शिव मंदिर बनवाने की कही. उसके बाद दुर्ग की स्थापना की है.

कहानी राजेश्वर महादेव मंदिर की, खुद देखिए... (ETV Bharat Bharatpur)

पुजारी सुनील ने बताया कि भरतपुर के राजपरिवार की रानियां विशेष रूप से यहां पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए पूजा-अर्चना करने आती थीं. जब भी राजपरिवार में किसी पुत्र का जन्म होता, तो सबसे पहले उसे इस मंदिर में लाकर भगवान राजेश्वर महादेव के दर्शन करवाए जाते और आशीर्वाद लिया जाता था.

पढ़ें : 303 साल पुराने इस गढ़ के मंदिर में हैं 11 शिवलिंग, जल चढ़ाने से ही मनोकामना पूरी होने की है मान्यता - SHIV TEMPLE IN KUCHAMAN FORT

राजपरिवार की आस्था का केंद्रः मंदिर में स्थापित भगवान शिव को राजेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर का निर्माण राजपरिवार द्वारा कराया गया. तब से ही यह मंदिर राजघराने के धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है. आज भी विशेष अवसर पर पूर्व राजघराने के सदस्य यहां पूजा करने आते हैं.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है राजेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat Bharatpur)

पुजारी सुनील बताते हैं कि इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान और अभिषेक किए जाते हैं. पहले यहां पूजा-पाठ और रक्षा का कार्य नागा साधु किया करते थे. कहा जाता है कि वर्षों पहले मंदिर में हमेशा 11 साधु नियमित रूप से मंत्रोच्चारण किया करते थे. राजपरिवार इन साधुओं का विशेष ध्यान रखता था और मंदिर की सेवा में कोई कमी नहीं होने दी जाती थी.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
जराजेश्वरी शांकवारी माता की प्राचीन प्रतिमा (ETV Bharat Bharatpur)

देवी की ऐतिहासिक प्रतिमाः मंदिर में भगवान शिव के साथ राजराजेश्वरी शांकवारी माता की प्राचीन प्रतिमा भी स्थित है. पुजारी सुनील ने बताया कि देवी की प्रतिमा की स्थापना पूर्व महाराजा जवाहर सिंह ने करवाई थी. ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, जब पूर्व महाराजा जवाहर सिंह ने दिल्ली पर चढ़ाई की और मुगलों पर विजय प्राप्त की, तब युद्ध के बाद उन्हें अपार धन-सम्पत्ति प्राप्त हुई. इसी खजाने में देवी राजराजेश्वरी की प्रतिमा भी थी, जिसे बाद में भरतपुर लाया गया. पुजारी अजय भारद्वाज ने बताया कि पूर्व महाराजा जवाहर सिंह को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने इस प्रतिमा को मंदिर में प्रतिष्ठित किया. यह वही प्रतिमा थी, जिसकी पूजा कभी पृथ्वीराज चौहान किया करते थे.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
राजपरिवार की श्रद्धा का प्रतीक है यह मंदिर (ETV Bharat Bharatpur)

आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्रः पुजारी अजय ने बताया कि यह मंदिर भरतपुर और आसपास के क्षेत्रों में आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर भगवान राजेश्वर महादेव और माता राजराजेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. पुजारी सुनील और बुजुर्ग श्रद्धालु सुधा शर्मा कहती हैं कि हमारे पूर्वज बताते थे कि इस मंदिर में आने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए तो विशेष रूप से पूजा की जाती थी.

भरतपुरः राजस्थान का भरतपुर अपने गौरवशाली इतिहास और भव्य किलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासिक मान्यताओं और अनूठी आस्था के लिए अलग ही पहचान रखता है. मंदिर की प्राचीनता, राजपरिवार की भक्ति, नागा साधुओं की तपस्या और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी अनेक कथाएं इसे एक दिव्य स्थल बनाती हैं.

मंदिर की स्थापना और ऐतिहासिक मान्यताः भरतपुर के प्रसिद्ध लोहागढ़ दुर्ग की स्थापना पूर्व महाराजा सूरजमल ने 1733 ई. में की थी, लेकिन सुजान गंगा नहर के किनारे खिरनी घाट पर स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर उससे भी अधिक प्राचीन है. पुजारी सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब यहां खुदाई की गई, तो धरती से स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ. उसकी नागा साधु पूजा करते थे. लोहागढ़ दुर्ग की स्थापना से पहले पूर्व महाराजा सूरजमल नागा साधुओं से मिले और दुर्ग स्थापना की बात कही, तो नागा साधुओं ने महाराज से शिव मंदिर बनवाने की कही. उसके बाद दुर्ग की स्थापना की है.

कहानी राजेश्वर महादेव मंदिर की, खुद देखिए... (ETV Bharat Bharatpur)

पुजारी सुनील ने बताया कि भरतपुर के राजपरिवार की रानियां विशेष रूप से यहां पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए पूजा-अर्चना करने आती थीं. जब भी राजपरिवार में किसी पुत्र का जन्म होता, तो सबसे पहले उसे इस मंदिर में लाकर भगवान राजेश्वर महादेव के दर्शन करवाए जाते और आशीर्वाद लिया जाता था.

पढ़ें : 303 साल पुराने इस गढ़ के मंदिर में हैं 11 शिवलिंग, जल चढ़ाने से ही मनोकामना पूरी होने की है मान्यता - SHIV TEMPLE IN KUCHAMAN FORT

राजपरिवार की आस्था का केंद्रः मंदिर में स्थापित भगवान शिव को राजेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर का निर्माण राजपरिवार द्वारा कराया गया. तब से ही यह मंदिर राजघराने के धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है. आज भी विशेष अवसर पर पूर्व राजघराने के सदस्य यहां पूजा करने आते हैं.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है राजेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat Bharatpur)

पुजारी सुनील बताते हैं कि इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान और अभिषेक किए जाते हैं. पहले यहां पूजा-पाठ और रक्षा का कार्य नागा साधु किया करते थे. कहा जाता है कि वर्षों पहले मंदिर में हमेशा 11 साधु नियमित रूप से मंत्रोच्चारण किया करते थे. राजपरिवार इन साधुओं का विशेष ध्यान रखता था और मंदिर की सेवा में कोई कमी नहीं होने दी जाती थी.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
जराजेश्वरी शांकवारी माता की प्राचीन प्रतिमा (ETV Bharat Bharatpur)

देवी की ऐतिहासिक प्रतिमाः मंदिर में भगवान शिव के साथ राजराजेश्वरी शांकवारी माता की प्राचीन प्रतिमा भी स्थित है. पुजारी सुनील ने बताया कि देवी की प्रतिमा की स्थापना पूर्व महाराजा जवाहर सिंह ने करवाई थी. ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, जब पूर्व महाराजा जवाहर सिंह ने दिल्ली पर चढ़ाई की और मुगलों पर विजय प्राप्त की, तब युद्ध के बाद उन्हें अपार धन-सम्पत्ति प्राप्त हुई. इसी खजाने में देवी राजराजेश्वरी की प्रतिमा भी थी, जिसे बाद में भरतपुर लाया गया. पुजारी अजय भारद्वाज ने बताया कि पूर्व महाराजा जवाहर सिंह को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने इस प्रतिमा को मंदिर में प्रतिष्ठित किया. यह वही प्रतिमा थी, जिसकी पूजा कभी पृथ्वीराज चौहान किया करते थे.

Rajeshwar Mahadev Temple of Bharatpur
राजपरिवार की श्रद्धा का प्रतीक है यह मंदिर (ETV Bharat Bharatpur)

आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्रः पुजारी अजय ने बताया कि यह मंदिर भरतपुर और आसपास के क्षेत्रों में आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर भगवान राजेश्वर महादेव और माता राजराजेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. पुजारी सुनील और बुजुर्ग श्रद्धालु सुधा शर्मा कहती हैं कि हमारे पूर्वज बताते थे कि इस मंदिर में आने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए तो विशेष रूप से पूजा की जाती थी.

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