अलवर : जिले में कुछ सालों पूर्व तक पीला 'सोना' यानी सरसों के उत्पादन के लिए जाना जाता था, लेकिन यहां के किसानों ने परंपरागत खेती से आगे बढ़ लाल प्याज की फसल को अपनाया और कुछ ही सालों में लाल प्याज की पैदावार मत्स्य क्षेत्र की प्रमुख फसलों में शुमार हो अर्थव्यवस्था की धुरी बन गई. मोटा मुनाफा होता देख किसानों का रुझान लाल प्याज की खेती की ओर बढ़ रहा है. इसी का नतीजा है कि अलवर में लाल प्याज की पैदावार का रकबा बढ़ रहा है और लाल प्याज की पैदावार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े कई लाख लोग हर साल निहाल हो रहे हैं.
कुछ साल पहले तक लाल प्याज की बात चलने पर महाराष्ट्र के नासिक की चर्चा सुनाई पड़ती थी. कारण है कि उस दौरान नासिक लाल प्याज का बड़ा उत्पादक क्षेत्र था, लेकिन पिछले कुछ सालों में लाल प्याज के उत्पादन में अलवर जिले का नाम भी प्रमुखता से जुड़ गया है. अब अलवर जिले में बहुतायत संख्या में किसान लाल प्याज की फसल करने लगे हैं. लाल प्याज की पैदावार से किसानों को अन्य फसलों से ज्यादा लाभ मिलने के कारण इसका रकबा हर वर्ष बढ़ रहा है.
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मत्स्य क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की धुरी बना लाल प्याज : लाल प्याज के उत्पादन में पिछले कुछ सालों में इस कदर बढ़ोतरी हुई कि अलवर की प्रमुख फसल बन यहां की अर्थव्यवस्था की धुरी के तौर पर उभरी है. प्याज मंडी अलवर के संरक्षक अभय सैनी ने बताया कि मत्स्य क्षेत्र में लाल प्याज की फसल के प्रति किसानों में रुझान तेजी से बढ़ रहा है. इसी का नतीजा है कि पूरे राजस्थान के लाल प्याज की बुवाई लक्ष्य की 81 प्रतिशत बुवाई मत्स्य क्षेत्र के अलवर जिले में हुई है. इस साल अलवर जिले में 24 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में लाल प्याज की बुवाई की गई है.
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उन्होंने बताया कि एक जिला एक फसल के रूप में अलवर के लिए लाल प्याज को लिया गया. लाल प्याज का उत्पादन हर साल यहां बढ़ता जा रहा है. इसके अलावा करीब 50 हजार लोग लाल प्याज से जुड़े अन्य कार्यों से जुड़ अपनी आजीविका कमा रहे हैं.
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अलवर में प्याज मंडी बढ़ने की उम्मीद : देश में नासिक लाल प्याज उत्पादन का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है. नासिक के अंतर्गत 27 प्याज मंडियां हैं. अब राजस्थान में अलवर जिला भी लाल प्याज का सबसे बड़ा उत्पादन केन्द्र बनता जा रहा है. फिलहाल अलवर जिले में प्याज की 4 मंडियां हैं, लेकिन जिस गति से अलवर जिले में लाल प्याज का उत्पादन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए जल्द ही यहां प्याज मंडियों की संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद है. वैसे तो अब पूरे अलवर जिले में किसान लाल प्याज की फसल करने लगे हैं, लेकिन रामगढ़, अलवर, किशनगढ़बास, तिजारा, उमरैण, अकबरपुर, मालाखेड़ा, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़ आदि क्षेत्रों में बहुतायत में होती है. अलवर की लाल प्याज देश व प्रदेश के साथ ही विदेशों तक अपनी पहचान बना चुका है. गल्फ देशों, कनाडा, अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल सहित कई अन्य देशों तक अलवर का लाल प्याज भेजा जाता है.
लाल प्याज की फसलों से बुनते किसान खुशहाली के सपने : लाल प्याज की फसल पर मत्स्य क्षेत्र के किसान सपने संजोते हैं. लक्ष्मणगढ़ तहसील के लालका गांव के किसान रामबक्श गुर्जर का कहना है कि उसने इस साल पांच बीघा जमीन पर लाल प्याज की पैदावार की, जिससे उसे करीब पांच लाख रुपए की बचत हुई. इस बार लाल प्याज के भाव भी किसानों को अच्छे मिले हैं. लाल प्याज की फसल मुनाफे का सौदा बनने के कारण नए किसान भी इस फसल की पैदावार से जुड़ रहे हैं. अकबरपुर क्षेत्र के किसान रामहेत सिंह ने बताया कि इस साल लाल प्याज की फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ है. लाल प्याज के भाव भी इस बार अच्छे मिले हैं. लाल प्याज की फसल पर किसानों की उम्मीदें टिकी रहती हैं. अच्छी पैदावार व मंडी में अच्छे भाव मिलने पर किसान की खुशियां बढ़ जाती हैं.
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