पोकरण (जैसलमेर). पोकरण प्रशासन की लापरवाही के चलते खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था न होने से नाराज मजदूर पैदल ही अपने गांव की ओर रवाना हुए थे. दूध और पानी के अभाव में इनके बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान पोकरण के विभिन्न विद्यालयों में रोके गए अन्य प्रदेशों के मजदूरों को प्रशासन खाने-पीने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. इसके चलते ये मजदूर ठहराव स्थलों से निकलकर जोधपुर सड़क मार्ग से होते हुए पैदल ही अपने गांवों की ओर रुख कर दिए. मजदूरों ने कहा कि हमको घर जाना है. यहां के प्रशासन ने 30 से अधिक लोगों के बीच में सिर्फ 20 किलो आटा और आधा किलो तेल देकर चल गया. आखिर इतने में कैसे गुजारा होगा.
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पोकरण से लगभग 4 किलोमीटर दूर मजदूरों के जाने की सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन ने काफी मशक्कत कर उनको वहां रोके रखा और इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी. मजदूरों के पलायन की सूचना मिलते ही पुलिस उपाधीक्षक मोटाराम गोदारा, पोकरण थाना अधिकारी सुरेंद्र कुमार प्रजापत, यातायात निरीक्षक कपूरा राम, निरीक्षक कांता सिंह ढिल्लो के नेतृत्व में कई पुलिस के सिपाहियों ने पलायन कर रहे मजदूरों से अपील कर उन्हें वहां पर रोककर रखा.
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इस दौरान जिला कलेक्टर अमित मेहता को सूचित करने पर कलेक्टर ने पोकरण प्रभारी अतिरिक्त कमिश्नर दुर्गेश बिस्सा, उपखंड अधिकारी अजय अमरावत, तहसीलदार राजेश विश्नोई सहित प्रशासन के आला अधिकारी वहां पहुंचे. बातचीत के दौरान मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें खाने-पीने का पूरा सामान नहीं मिल रहा है. उनके छोटे-छोटे बच्चों को दूध न मिलने के कारण बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. मजदूर जिद पर अड़े रहे कि हम अपने गांव जाएंगे. प्रशासन की काफी मशक्कत के बाद मजदूर अपने आश्रय स्थल पर जाने के लिए राजी हुए.