जैसलमेर. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दिहाड़ी मजदूरों और गरीब तबके के लोगों के हालात सबसे अधिक नाजुक हैं. ऐसे में पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में अपने और अपने परिवार के सुखद भविष्य के सपने संजोए यहां आए लोगों के हालात जानने ईटीवी भारत की टीम जैसलमेर जिले के पाक विस्थापितों की बस्ती पहुंची. पाक विस्थापितों ने इस दौरान अपना दुख-दर्द साझा किया.
जैसलमेर में 2 हजार से अधिक पाक विस्थापित
बता दें कि जैसलमेर जिले में 2 हजार से अधिक पाक विस्थापितों के परिवार रहते हैं. इनमें से 500 परिवार जैसलमेर नगर परिषद क्षेत्र में निवास करते हैं और करीब 1000 परिवारों को ही भारतीय नागरिकता प्राप्त है. जिन परिवारों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है उन्हें खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत राशन सामग्री और अन्य योजनाओं के तहत आर्थिक लाभ भी मिला है. लेकिन उन परिवारों की स्थिति खराब है, जिन्हें अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है.
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नहीं मिली है भारतीय नागरिकता
जैसलमेर के किशनघाट के पास स्थित पाक विस्थापितों की बस्ती में लगभग सभी परिवारों को अब तक नागरिकता प्राप्त नहीं है. किशनघाट के पास रहने वाले पाक विस्थापितों का कहना है कि अभी तक जिला प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला है, जिसके कारण उनके हालात और अधिक बदतर हो रहे हैं.
किशनघाट में 250 परिवारों की बस्ती
बता दें कि किशनघाट में 250 परिवारों की बस्ती है. वर्तमान समय में अभी 150 परिवार निवास कर रहे हैं और बांकी नहरी क्षेत्र में मजदूरी के लिए गए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गए हैं. पाक विस्थापितों का कहना है कि 150 परिवारों में से कुछ दिन पहले 55 परिवारों को राशन किट जिला प्रशासन की ओर से दिए गए थे. उनका कहना है कि यह राशन ऊंट के मुंह में जीरे के समान है, क्योंकि 6 से 8 सदस्यों के परिवार में यह किट 2 दिन ही बड़ी मुश्किल से चल पाता है.
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सरकार उठाए कोई ठोस कदम
भील बस्ती के पूर्व पार्षद और पाक विस्थापित नाथूराम ने बताया, कि जिला प्रशासन और सरकार की ओर से पाक विस्थापितों और मुख्यतः जो भारतीय नागरिक नहीं है, उनके लिए कोई विशेष व्यवस्थाएं नहीं की जा रही है. उनका कहना है कि अबतक उनके हाल राम भरोसे ही है. नाथूराम का कहना है कि कुछ परिवारों को राशन सामग्री उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. ऐसे में उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि पाकिस्तान से दुखी होकर भारत की शरण में आए इन पाक विस्थापितों के परिवारों के भरण-पोषण के लिए कोई ठोस कदम उठाए.
मासूमों का बुरा हाल
ईटीवी भारत की टीम जब इन पाक विस्थापितों की बस्ती में जाकर देखा तो हालात वास्तव में बहुत गंभीर थे. उनकी रसोई में आटा, दाल, मसालों सहित कोई भी राशन सामग्री दिखाई नहीं थी. वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने कहा कि उनके घर का चूल्हा नहीं जला है. इस लॉकडाउन में सबसे बुरा हाल मासूमों का है, जो कोरोना और लॉकडाउन का मतलब भी नहीं जानते.
पाक विस्थापितों का कहना है कि इस संकट की घड़ी में सरकार उन्हें भी भारतीय नागरिकों की तरह सुविधाएं मुहैया कराए. उन्होंने मांग की है कि सरकार उनके और परिवार के लिए आवश्यक खाद्य साम्रगी की व्यवस्था उपलब्ध करवाएं.