जैसलमेर. पर्यटन नगरी जैसलमेर में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही यहां की सुंदरता को और अधिक बढ़ाने के लिए देश की एक निजी संस्था द्वारा यहां एक सर्वे किया गया कि कैसे घने कचरे का निस्तारण इस प्रकार किया जाए कि स्वच्छता के साथ ही रेवेन्यू भी जनरेट हो. संस्था द्वारा राजस्थान में कोटा में इससे पहले एक प्रोजेक्ट शुरू किया जा चुका है. साथ ही देश के कई अन्य हिस्सों में भी परम संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है. मंगलवार को शहर स्थित एक निजी होटल में संस्था द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया और जैसलमेर में इस प्रोजेक्ट की संभावनाओं पर चर्चा की गई.
संस्था के अध्यक्ष उमेश शर्मा का कहना है कि जैसलमेर में 30 से 35 टन कचरा प्रतिदिन पैदा होने की संभावना है और उस कचरे में लगभग 70 प्रतिशत जैविक कचरा भी मौजूद रहता है. यदि इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से रिसायकल किया जाए तो किसानों को जैविक खाद मुहैया करवाई जा सकती है. डॉ. शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही खाद बनाने से पहले इस कचरे से सीएनजी और मीथेन गैस भी पैदा की जा सकती है, जिससे रोड लाइट भी जलाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि जैसलमेर जैसी पर्यटन नगरी में इस प्रकार के प्रोजेक्ट के शुरू होने से यहां आने वाले सैलानियों के सामने यह एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि इस प्रकार से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से नगर परिषद को इससे इनती आय होगी, जिससे प्रोजेक्ट के खर्च के साथ ही अन्य खर्च भी निकाले जा सकेंगे. साथ ही यहां की सुंदरता में और अधिक वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए नगर परिषद सभापति और राज्य परिवार सदस्य से भी बातचीत की गई है और उनकी तरफ से सकारात्मक प्रतिउत्तर मिला है. ऐसे में संभावना है कि जल्द ही जैसलमेर में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सकेगा.