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आजादी के 75 वर्ष बाद भी पाक विस्थापितों में कहीं खुशी तो कहीं गम

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के जश्न के माहौल में हर भारतीय डूबा है. इस जश्न के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो भारतीय नागरिक बनने की राह देख रहे हैं. ये हैं जैसलमेर में रह रहे पाक विस्थापित जो सरकार से गुहार लगा रहे हैं. हालांकि, इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई है. वे खुश हैं. इस मिश्रित माहौल के चलते पा​क विस्थापितों में कहीं गम तो कहीं खुशी का माहौल है.

Pakistan displaced persons in Jaisalmer, some got Indian citizenship, few are waiting
आजादी के 75 वर्ष बाद भी पाक विस्थापितों में कहीं खुशी तो कहीं गम
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Published : Aug 15, 2022, 10:50 PM IST

जैसलमेर. पूरा देश आजादी के 75 वर्ष होने पर जश्न मना रहा है. वहीं, सीमावर्ती जैसलमेर में एक तबका ऐसा भी है जिनमें खुशी और गम दोनों दिखाई दे रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में होने वाले जुल्मों सितम से पीड़ित होकर भारत आने वाले पाक विस्थापितों (Pakistan displaced persons in Jaisalmer) की. इनमें से कुछ को लंबे अरसे के बाद भारतीय नागरिकता मिल गई है, जबकि बहुत से लोगों को इसका अब भी इंतजार है.

जिन पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हुई है, उनकी खुशी को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. ये लोग केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद देते नहीं थक रहे. वहीं, दूसरी तरफ कई ऐसे पाक विस्थापित भी हैं, जिन्हें लंबे इंतजार के बाद अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है.

पढ़ें: पाक विस्थापित 132 नागरिक बने भारतीय, 3 हजार लोगों अभी इंतजार

इन लोगों का कहना है कि ये 2009 में भारत आए थे और 2019, 2020 और 2021 में नागरिकता के लिए आवेदन किया था. लेकिन अब इनसे पासपोर्ट रिन्यू करवाने और सरेंडर करवाने के लिए कहा जा रहा (Pakistan displaced persons waiting for Indian citizenship) है. इनका कहना है कि जब ये लोग पाकिस्तान से कोई नाता नहीं रखना चाहते, तो वे पाक एंबेसी में जाकर अपना पासपोर्ट रिन्यू क्यों करवाएं. इनका कहना है कि एक पासपोर्ट रिन्यू करवाने में 10 से 12 हजार रुपए का खर्च आता है और इनके परिवार में 8 से 10 पासपोर्ट हैं. ऐसे में लगभग 1 लाख रुपए का भुगतान पाकिस्तान सरकार को करना होगा. इनका कहना है कि इससे अच्छा होगा कि भारत सरकार ही इनसे कोई आवेदन शुल्क ले ले.

पढ़ें: पाक विस्थापितों को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार को दिया समय

जिन पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो चुकी (Pakistan displaced persons got Indian citizenship) है, उन्हें अब केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलना प्रारंभ हो गया है. वहीं, जिन्हें नागरिकता नहीं मिली, वे इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकेंगे. पाक विस्थापितों का कहना है कि उनके बच्चे जो स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें भी विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके नागरिकता मिलने के रास्ते आने वाली समस्याएं सुलझ जाएंगी और अगले वर्ष वे भी आजादी के जश्न को और अधिक खुशी के साथ मना सकेंगे.

जैसलमेर. पूरा देश आजादी के 75 वर्ष होने पर जश्न मना रहा है. वहीं, सीमावर्ती जैसलमेर में एक तबका ऐसा भी है जिनमें खुशी और गम दोनों दिखाई दे रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में होने वाले जुल्मों सितम से पीड़ित होकर भारत आने वाले पाक विस्थापितों (Pakistan displaced persons in Jaisalmer) की. इनमें से कुछ को लंबे अरसे के बाद भारतीय नागरिकता मिल गई है, जबकि बहुत से लोगों को इसका अब भी इंतजार है.

जिन पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हुई है, उनकी खुशी को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. ये लोग केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद देते नहीं थक रहे. वहीं, दूसरी तरफ कई ऐसे पाक विस्थापित भी हैं, जिन्हें लंबे इंतजार के बाद अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है.

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इन लोगों का कहना है कि ये 2009 में भारत आए थे और 2019, 2020 और 2021 में नागरिकता के लिए आवेदन किया था. लेकिन अब इनसे पासपोर्ट रिन्यू करवाने और सरेंडर करवाने के लिए कहा जा रहा (Pakistan displaced persons waiting for Indian citizenship) है. इनका कहना है कि जब ये लोग पाकिस्तान से कोई नाता नहीं रखना चाहते, तो वे पाक एंबेसी में जाकर अपना पासपोर्ट रिन्यू क्यों करवाएं. इनका कहना है कि एक पासपोर्ट रिन्यू करवाने में 10 से 12 हजार रुपए का खर्च आता है और इनके परिवार में 8 से 10 पासपोर्ट हैं. ऐसे में लगभग 1 लाख रुपए का भुगतान पाकिस्तान सरकार को करना होगा. इनका कहना है कि इससे अच्छा होगा कि भारत सरकार ही इनसे कोई आवेदन शुल्क ले ले.

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जिन पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो चुकी (Pakistan displaced persons got Indian citizenship) है, उन्हें अब केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलना प्रारंभ हो गया है. वहीं, जिन्हें नागरिकता नहीं मिली, वे इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकेंगे. पाक विस्थापितों का कहना है कि उनके बच्चे जो स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें भी विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके नागरिकता मिलने के रास्ते आने वाली समस्याएं सुलझ जाएंगी और अगले वर्ष वे भी आजादी के जश्न को और अधिक खुशी के साथ मना सकेंगे.

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