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Reality Check: मौत बांटने वाले Corona वायरस से ऐसे लड़ेगा...तो कैसे जीतेगा जैसलमेर जिला अस्पताल

दुनियाभर में मौत बांटने वाले कोरोना वायरस से हर कोई दहशत में हैं. WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. उधर, कोरोना से भारत में पहली मौत भी हो चुकी है. वहीं अब तक पूरे देश में 81 पॉजिटिव केस भी सामने आ चुके है. जिनमें से 3 कोरोना पॉजिटिव राजस्थान में हैं. ऐसे में प्रदेश सरकारी अस्पतालों का क्या हाल है, इसका जायजा लेने ईटीवी भारत जैसलमेर जिला अस्पताल पहुंचा..देखिए जैसलमेर से स्पेशल रिपोर्ट

जैसलमेर जिला अस्पताल,  reality check on corona
जैसलमेर जिला अस्पताल का रियलिटी चेक
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Published : Mar 13, 2020, 11:46 PM IST

जैसलमेर. प्रदेश सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरल को लेकर क्या व्यवस्था और कैसे हाल है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत जैसलमेर पहुंचा. जहां की हालत देखकर ये साफ होता है कि खुद अस्पताल बीमार है, तो वो कैसे कोरोना से लड़ सकेगा. जैसलमेर जिला अस्पताल की बात करें तो यहां आइसोलेशन वार्ड में हाइजीन से लेकर साफ सफाई और 24 घंटे डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी होनी चाहिये, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला.

जैसलमेर जिला अस्पताल का रियलिटी चेक

जब हम वहां पहुंचे और देखा तो वहां का नर्सिंग ड्यूटी रूम ही बंद था और वहां पर ताला लटक रहा था. वहीं सफाई व्यवस्था का भी इस पूरे वार्ड में बुरा हाल था. यहां के बाथरूम से लेकर कमरे बयां कर रहे थे कि यहां कई दिनों से सफाई नहीं हुई है. ऐसे में कोरोना से पीडित व्यक्ति यहां भर्ती होता है तो बजाय ठीक होने के और बीमार ही पड़ जाए.

इसी बीच हमें एक मरीज भी मिला. जिसे कोरोना के संदेह के चलते यहां भर्ती किया गया था, जब हमने इस मरीज से बात की तो इसने अपना नाम बाखू बताया और कहा कि पिछले दिनों इटली का दंपत्ति जो कोरोना से पीड़ित था. जिस होटल में रूका था, वह वहीं काम करता था. लिहाजा प्रशासन ने एहतियात के तौर पर उसे ऑब्जर्वेशन में रखा है. लेकिन उसका कहना था कि ना तो यहां कोई सफाई के लिए आता है और ना ही कोई डॉक्टर या नर्सिंग स्टॉफ उसे चेक करने आते हैं, एक कैदी की तरह उसे उस वार्ड में बंद कर के रखा गया है. जहां सफाई और हाइजीन का कोई बंदोबस्त नहीं है. ऐसे में उसे भय है कि वो वाकई में बीमार ना पड़ जाए.

पढ़ें: Corona का इलाज SMS अस्पताल में 'मुमकिन', इटली की एक मरीज को किया कोरोना मुक्त

बता दें कि कुछ दिन पहले कोरोना को लेकर एडवाइजरी जारी करने के बाद जिला कलक्टर मित मेहता ने कहा था कि कोरोना को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारियां कर ली है और जिला अस्पताल में कोरोना से निपटने के लिये बेहतरीन व्यवस्था की गई है. लेकिन निर्देश देने से व्यवस्थाएं नहीं होती. उन्हें धरातल पर जाकर जांचना भी होता है. जिसका जीता जागता प्रमाण जिला अस्पताल है.

पढ़ें: CORONA का असर: चित्तौड़ दुर्ग पर पसरा सन्नाटा, पर्यटन व्यवसाय की टूटी कमर

वहीं इस रियलिटी चेक के बाद जब हम जैसलमेर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास पहुंचे और उनसे बात की तो उन्होंने भी इस आइसोलेशन वार्ड में व्यवस्थाएं दुरूस्त होने की बात कही, लेकिन जब हमने उन्हें सच्चाई दिखाई तो उन्होंने माना कि व्यवस्थाओं में चूक है और उन्हें अब दुरूस्त कर दिया जायेगा.

पढ़ें: इन चार ड्रग्स को मिलाकर बनी कोरोनावायरस की दवाई, इलाज के बाद मरीज का रिपोर्ट नेगेटिव

कोरोना वायरस को लेकर जहां सरकार चिन्ता व्यक्त कर रही है, वहीं दूसरी ओर जैसलमेर जो की पर्यटन नगरी है और बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी इन दिनों यहां भ्रमण पर है.. ऐसे में अगर कोई कोरोना का मरीज सामने आता है तो उसका इलाज किस तरह किया जायेगा, यह बड़ा सवाल है.

जैसलमेर. प्रदेश सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरल को लेकर क्या व्यवस्था और कैसे हाल है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत जैसलमेर पहुंचा. जहां की हालत देखकर ये साफ होता है कि खुद अस्पताल बीमार है, तो वो कैसे कोरोना से लड़ सकेगा. जैसलमेर जिला अस्पताल की बात करें तो यहां आइसोलेशन वार्ड में हाइजीन से लेकर साफ सफाई और 24 घंटे डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी होनी चाहिये, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला.

जैसलमेर जिला अस्पताल का रियलिटी चेक

जब हम वहां पहुंचे और देखा तो वहां का नर्सिंग ड्यूटी रूम ही बंद था और वहां पर ताला लटक रहा था. वहीं सफाई व्यवस्था का भी इस पूरे वार्ड में बुरा हाल था. यहां के बाथरूम से लेकर कमरे बयां कर रहे थे कि यहां कई दिनों से सफाई नहीं हुई है. ऐसे में कोरोना से पीडित व्यक्ति यहां भर्ती होता है तो बजाय ठीक होने के और बीमार ही पड़ जाए.

इसी बीच हमें एक मरीज भी मिला. जिसे कोरोना के संदेह के चलते यहां भर्ती किया गया था, जब हमने इस मरीज से बात की तो इसने अपना नाम बाखू बताया और कहा कि पिछले दिनों इटली का दंपत्ति जो कोरोना से पीड़ित था. जिस होटल में रूका था, वह वहीं काम करता था. लिहाजा प्रशासन ने एहतियात के तौर पर उसे ऑब्जर्वेशन में रखा है. लेकिन उसका कहना था कि ना तो यहां कोई सफाई के लिए आता है और ना ही कोई डॉक्टर या नर्सिंग स्टॉफ उसे चेक करने आते हैं, एक कैदी की तरह उसे उस वार्ड में बंद कर के रखा गया है. जहां सफाई और हाइजीन का कोई बंदोबस्त नहीं है. ऐसे में उसे भय है कि वो वाकई में बीमार ना पड़ जाए.

पढ़ें: Corona का इलाज SMS अस्पताल में 'मुमकिन', इटली की एक मरीज को किया कोरोना मुक्त

बता दें कि कुछ दिन पहले कोरोना को लेकर एडवाइजरी जारी करने के बाद जिला कलक्टर मित मेहता ने कहा था कि कोरोना को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारियां कर ली है और जिला अस्पताल में कोरोना से निपटने के लिये बेहतरीन व्यवस्था की गई है. लेकिन निर्देश देने से व्यवस्थाएं नहीं होती. उन्हें धरातल पर जाकर जांचना भी होता है. जिसका जीता जागता प्रमाण जिला अस्पताल है.

पढ़ें: CORONA का असर: चित्तौड़ दुर्ग पर पसरा सन्नाटा, पर्यटन व्यवसाय की टूटी कमर

वहीं इस रियलिटी चेक के बाद जब हम जैसलमेर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास पहुंचे और उनसे बात की तो उन्होंने भी इस आइसोलेशन वार्ड में व्यवस्थाएं दुरूस्त होने की बात कही, लेकिन जब हमने उन्हें सच्चाई दिखाई तो उन्होंने माना कि व्यवस्थाओं में चूक है और उन्हें अब दुरूस्त कर दिया जायेगा.

पढ़ें: इन चार ड्रग्स को मिलाकर बनी कोरोनावायरस की दवाई, इलाज के बाद मरीज का रिपोर्ट नेगेटिव

कोरोना वायरस को लेकर जहां सरकार चिन्ता व्यक्त कर रही है, वहीं दूसरी ओर जैसलमेर जो की पर्यटन नगरी है और बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी इन दिनों यहां भ्रमण पर है.. ऐसे में अगर कोई कोरोना का मरीज सामने आता है तो उसका इलाज किस तरह किया जायेगा, यह बड़ा सवाल है.

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