जैसलमेर. पाकिस्तान से हवा का रुख भारत की ओर होने के कारण 10 हजार से 1 लाख टिड्डियों के दल प्रतिदिन भारत आ रहे हैं. टिड्डी दलों पर कंट्रोल करने के लिए अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं, वह सारे विफल रहे. नतीजा यह रहा है कि जिले भर में टिड्डियों का आतंक फैल गया है. इस बार बारिश देरी से हुई फिर भी किसानों ने 70 प्रतिशत बुवाई की है. अब उनके सामने बड़ी चिंता टिड्डी दलों की है. करोड़ों की फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. साथ ही पशुओं के चारे की व्यवस्था करना भी बड़ी चुनौती बना हुआ है.
जैसलमेर में टिड्डी नियंत्रण दल को लेकर किसानों में भारी रोष है. उनका कहना है कि कभी भी फोन नहीं उठाते इस मामले में उनके उच्च अधिकारियों यह मानते हैं कि कई बार शिकायत मिली है कि स्थानीय अधिकारी फोन नहीं उठाते. ऐसे में समय पर टीम मौके पर कैसे भी जाएंगे. हालांकि कंट्रोल रूम है, वहां पर किसानों की सूचना दर्ज की जाती है. लेकिन उसमें भी शिकायत यह मिल रही है कि समय पर टीम नहीं पहुंच रही है.
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फसलें बड़ी हो गईं, स्प्रे में आ रही दिक्कत
कृषि विभाग के मुताबिक इन दिनों फसलें बड़ी हो गईं हैं. विभाग के पास गाड़ी से स्प्रे की सुविधा है. खड़ी फसलों में गाड़ी से स्प्रे नहीं हो पाता है. खुले खेत जहां बुवाई नहीं की हुई है. वहां टिड्डी के बैठने का इंतजार करते हैं और फिर छिड़काव करते हैं. किसानों ने कहा कि वे फसलों पर टिड्डी नहीं बैठने दें. इसी वजह से किसान खेतों में थाली, खाली टीन बजाकर टिड्डी को भगा रहे हैं. अक्टूबर के बाद फसलों की कटाई हो जाएगी. तब तक टिड्डी से फसलों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है. वहीं इसके बाद खेतों से फसलों की कटाई होने के बाद स्प्रे के लिए भी विभाग को परेशानी नहीं आएगी.
जैसलमेर में सबसे पहले बॉर्डर इलाके में ही टिड्डी दल देखने को मिले, लेकिन मानसून के बाद नमी बढ़ी तो धीरे-धीरे इनकी संख्या इतनी बढ़ गई कि ये पूरे जिले में फैल गए. फिलहाल पोकरण, फतेहगढ़ और जैसलमेर के गांवों में टिड्डी दल मौजूद है. रेगिस्तानी बाड़मेर-जैसलमेर में इस बार अच्छी बारिश से फसलों की पैदावार भी अच्छी है. ऐसे में टिड्डी के हमले से सबसे ज्यादा नुकसान बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ और अन्य फसलों को पहुंच रहा है. खेतों और पेड़ों पर टिडि्डयों की चादर बिछ गई. किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट यह है की उनकी फसलें तबाह हो जाएगी.
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टिड्डी कंट्रोल नहीं होने की बड़ी वजह
1. शुरुआती टिड्डी दलों ने आते ही प्रजनन किया, शुरुआती दौर में पर्याप्त संसाधन नहीं जुटाए गए
2. फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ प्रजनन, गोडावण की वजह से स्प्रे नहीं हुआ और टिड्डी दल बढ़ते गए
3. सीमावर्ती इलाकों में टीमें तैनात नहीं की गईं, जिससे पाकिस्तान से टिड्डी दलों के भारतीय क्षेत्र में आते ही उन पर कंट्रोल नहीं किया जा सका और हालात बेकाबू होते गए
4. सबसे बड़ी बात तो यह भी है कि फाका छोटी टिडि्डयां. जो उड़ नहीं सकती है और वे तारबंदी के नीचे से होकर जैसलमेर में प्रवेश कर गई, यहां आकर बड़ी टिड्डियों के दल में बदल गई. नियंत्रण विभाग के लिए इन फाका दलों पर कंट्रोल करना आसान था
5. टिड्डी चेतावनी संगठन को जब भी टिड्डी दल आने की ग्रामीणों से सूचना मिली तो समय पर टीम वहां नहीं पहुंच पाई
6. हवाई स्प्रे किया जाता तो हालात काबू में होते. इधर, सरकार कह रही है कि यदि हवाई स्प्रे करते तो दूसरी तरह का नुकसान होता
7. टिड्डी दल इतने हो गए हैं कि उन्हें बढ़ने के लिए 40 से 45 दिन का समय मिल गया और अब टिड्डिया बन चुकी है और इन पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है