जैसलमेर. राष्ट्रीय मरू उद्यान में वॉटरहॉल पद्धति के माध्यम से शनिवार को वैशाख पूर्णिमा पर बनाए गए वॉटर पॉइंट के पास मचान पर बैठ कर विचरण करने वाले वन्यजीवों की गणना की जा रही है. हर साल डीएनपी द्वारा वैशाख पूर्णिमा पर चांद की भरपूर रोशनी में वन्यजीवों की गणना की जाती है. वॉटरहोल पद्धति से की जाने वाली इस घटना को जानकारों के अनुसार काफी हद तक सही माना जाता है.
बुध पूर्णिमा पर जंगल में चंद्रमा का प्रकाश अच्छा होता है और गर्मी के मौसम में वन्य जीव पानी के लिए जल स्रोत के पास जाते हैं. ऐसे में इन जल स्रोत के पास मचान लगाकर बैठ कर वन्यजीवों की गणना की जाती है. इसलिए बुद्धपूर्णिमा वन्य जीव गणना के लिए उपयुक्त माना जाता है. जानकार इसका कारण यह भी बताते हैं कि भीषण गर्मी के इस मौसम में वन्यजीव दिन में एक बार पानी पीने जरूर आते हैं और उस क्लोजर पर पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की गणना की जाती है.
शनिवार सुबह 8 बजे से रविवार सुबह 9 बजे तक पानी के स्थानों के पास मकान बनाकर गणना की जा रही है. डीएनपी एरिया में मांसाहारी पशुओं में सियार, गीदड़, जंगली बिल्ली, मरू बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, शाकाहारी पशुओं में रोजड़ा, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर की व पक्षियों में गोडावण, गीत, शिकारी पक्षी व मोर की गणना की जाएगी.