जैसलमेर. जन-जन के आराध्यदेव बाबा रामदेव जी की कर्मभूमि रामदेवरा में बाबा रामदेव जी के 636वें भादवा मेले को कोरोना महामारी के कारण जैसलमेर जिला प्रशासन ने स्थगित कर दिया है. जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने मेले के स्थगन के आदेश निकाले थे, लेकिन इसके बावजूद भी हजारों श्रद्धालु अपनी आस्था के कारण रामदेवरा पहुंच रहे हैं और बन्द समाधिस्थल के आगे ही नतमस्तक होकर धोक लगा रहे हैं. इसलिए कोरोना संक्रमण का खतरा यहां बढ़ गया है.
ऐसे में अब प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को रोकने का अलग तरीका अपनाते हुए रामदेवरा कस्बे की सीमाओं को श्रद्धालुओं के लिए सील कर दिया है. प्रशासन की ओर से कस्बे की सीमा के सड़क मार्गों पर नाके लगाए गए हैं. यहां पुलिस और आरएसी का जाब्ता तैनात किया है, जो श्रद्धालुओं को रामदेवरा में प्रवेश नहीं दे रहा है.
इसके अलावा बाबा रामदेव जी के समाधि स्थल के आगे और बाजारों में भी पुलिस और आरएसी के जवान तैनात किए गए हैं, जो श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को गाइडलाइन की पालना करने के लिए समझाइश कर रहे हैं. बाबा रामदेव समाधि समिति ने भी समाधि स्थल के प्रवेश द्वार पर भीड़ कम हो, इसके लिए बाहर ऑनलाइन दर्शनों के लिए लगी एलईडी टीवी को भी बन्द कर दिया गया है.
गौरतलब है कि प्रतिवर्ष भादवा माह में शुक्ला द्वितीया से बाबा रामदेव के भादवा मेले का शुभारंभ होता है. इस मेले में देशभर के लगभग 50 लाख श्रद्धालु भाग लेते है. इन श्रद्धालुओं में से 60 प्रतिशत श्रद्धालु पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते हैं. जिसके कारण रामदेवरा को जोधपुर, बीकानेर, नागौर और जैसलमेर से जोड़ने वाली सड़कें पदयात्रियों से अट जाती है.
पढ़ें- जैसलमेर: कोरोना गाइडलाइन की पालना के साथ मनाया गया 74वां स्वतंत्रता दिवस
इस बार कोरोना के चलते यात्रियों की संख्या कम हुई है, लेकिन भारी संख्या में फिर भी श्रद्धालु रामदेवरा पहुंच रहे थे. ऐसे में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से सीमाओं पर ही श्रद्धालुओं को रोकने के बाद समझाइश करके वापस भेजा जा रहा है.
आस्था है रामदेवरा पहुंचने का कारण
राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित देशभर में बाबा रामदेव जी को मानने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में है. जिनमें से अधिकांश श्रद्धालु भादवा में आते हैं. इस बार कोरोना के चलते समाधि स्थल पिछले पांच माह से बंद है, लेकिन अपनी श्रद्धा और आस्था के कारण भारी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं और मुख्य द्वार पर ही धोक लगा रहे हैं और अपने आप को अपने आराध्यदेव की शरण में आने के बाद धन्य मान रहे हैं. अब प्रशासन की ओर से सीमाओं पर रोक देने के बाद श्रद्धालुओं की ओर से रामदेवरा की सीमाओं पर ही धोक लगाई जा रही है. हालांकि समाधिस्थल के अंदर पूजा नियमित रूप से चालू है.