जैसलमेर. जिले में जिला प्रशासन की पहल पर आमजन की सेहत की सार-संभाल और चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रयास निरन्तर जारी हैं. इन्हीं प्रयासों के अन्तर्गत जैसलमेर जिला मुख्यालय स्थित जिले के सबसे बड़े जवाहिर अस्पताल में ना केवल मरीजों के लिए बल्कि उनके साथ आने वाले परिजनों के लिए भी जरूरी सेवाओं और सुविधाओं के लिए माकूल प्रबन्ध किए जा रहे हैं.
जिला कलेक्टर आशीष मोदी की पहल पर जिला अस्पताल के नवीनीकरण और चिकित्सा सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए किए गए प्रयासों के बाद अस्पताल का रंग-रूप निखर उठा है. मरीजों के बेहतर ईलाज के लिए चिकित्सा स्टाफ के प्रबन्धों के साथ ही सेवाओं में व्यापक सुधार आया है और अब चिकित्सालय के परिसरों से लेकर विभिन्न वार्डों तक में सुकून का अनुभव होने लगा है. इससे ना केवल मरीज बल्कि उनकी कुशलक्षेम पूछने आने वाले परिजन भी महसूस करने लगे हैं.
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वरदान साबित हुआ ये निरीक्षण...
करीब डेढ़-दो माह पूर्व जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल का औचक निरीक्षण किया और जमीनी हकीकत से रूबरू हुए. उन्होंने तभी ठान लिया था कि अस्पताल के सुधार, विकास और सेवाओं के विस्तार के लिए ठोस योजना का क्रियान्वयन जरूरी है. निरीक्षण में सामने आई कमियों, समस्याओं, जरूरतों आदि पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर इसकी कार्ययोजना बनाई गई और पर्यवेक्षण के लिए अधिकारियों की टीम लगाई गई. अस्पताल को नवीन स्वरूप देने के लिए जिला कलेक्टर ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के डवलपमेंट पार्टनर यूएनएफपीए के जिला समन्वयक परमसुख सैनी को जिम्मेदारी सौंपी और उनकी देखरेख में ही जिला अस्पताल का ये कायाकल्प हुआ है.
सामूहिक श्रमदान और साफ-सफाई ने रखी कायापलट की नींव
चिकित्सालय का कायाकल्प करने की शुरूआत जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने अस्पताल परिसर में साफ-सफाई के लिए सामूहिक श्रमदान से की. इसके बाद लगातार अस्पताल विकास और सेवाओं-सुविधाओं के विस्तार में एक के बाद एक नवीन आयाम जुड़ते चले गए. इन्हीं लगातार प्रयासों का ही नतीजा है कि आज जिला चिकित्सालय नए रंग-रूप में निखर कर सामने है, जिसे देखकर ही सुकूनदायी अहसास होता है. जिला प्रशासन, यूएनएफपीए और अस्पताल प्रशासन की सहभागिता से इस अस्पताल की तमाम व्यवस्थाओं को आदर्श स्वरूप दिए जाने के प्रयास लगातार जारी हैं. डॉक्टरों एवं चिकित्साकर्मियों की कमी के मद्देनज़र जिला कलेक्टर के प्रयासों से पद भरे गए.
हर तरफ दिख रहा सकारात्मक सुखद परिवर्तन
अस्पताल का कायापलट करने वाली कार्ययोजना के अनुरूप चिकित्सालय की नियमित साफ-सफाई और स्वच्छता भरा माहौल दिखने लगा है. वार्ड की शैय्याओं, द्वारों, खिड़कियों, फर्श, छतों, वार्ड और अस्पताल के परिसरों के रंग-रोगन, जल व्यवस्था की दृष्टि से 3-3 हजार लीटर जल संग्रहण टंकियों की स्थापना, कचरा और बायोवेस्ट संग्रहण और निस्तारण के लिए विशेष डिजाइन युक्त 15 वेस्ट बिन्स, रिवोल्विंग डस्ट बिन, हैण्डवाश के लिए उपयोग की हिदायतों की जानकारी दी.
साथ ही स्थापित वाश बेसिन, सीएसआर में प्राप्त धनराशि से टॉयलेट व्यवस्था में सुधार और रिनोवेशन, ड्रैनेज तंत्र में व्यापक सुधार, उद्यान विकास, वार्ड सुधार, प्रसूति कक्ष को नवीन स्वरूप देने जैसे ढेरों काम होने के बाद अस्पताल का स्वरूप निखर उठा है. जिला अस्पताल में लम्बे समय से तकनीकि कारणों से खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन भी ठीक करवा दी गई है. इसका उपयोग जारी है. इससे मरीजों को जांच की सुविधा प्राप्त हो रही है. इन सभी गतिविधियों के मूर्त रूप लेने के उपरान्त अस्पताल में स्वच्छता के साथ ही परिसर संक्रमण से मुक्त हुए हैं. अस्पताल की सहयोगी सेवाओं को सम्बल मिला है.
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प्रतीक्षालयों ने दी राहत
जिला अस्पताल में प्रतीक्षालय का अभाव अर्से से महसूस किया जा रहा था. मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के लिए अस्पताल परिसर में बैठने के अभाव में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. जिला मुख्यालय पर ये एक मात्र बड़ा सरकारी अस्पताल है. जहां 300 किलोमीटर दूर तक के मरीज ईलाज कराने आते हैं पर इनके रिश्तेदारों और घरवालों के साथ ही सामान्य मरीजों के लिए खास प्रबन्ध नहीं थे. इस वजह से गर्मी और बरसात के दिनों में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
अस्पताल निरीक्षण के दौरान लोगों की इस पीड़ा को जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने समझा और तत्काल इस दिशा में कार्य करने के लिए निर्देशित किया. इसके उपरान्त एक माह से भी कम अवधि में जिला अस्पताल परिसर में करीब 200 लोगों की बैठक व्यवस्था के लिए तीन अलग-अलग स्थानों पर प्रतीक्षालय बनवाकर आरामदायी कुर्सियां लगाई गई हैं और नियमित रूप से साफ-सफाई का प्रबंध किया गया है. दूरदराज से आने वाले मरीजों, उनके रिश्तेदारों और सामान्य मरीजों के लिए ये प्रतीक्षालय राहत भरे और सुकूनदायी साबित हो रहे हैं.