जयपुर. हमारे जीवन में एक शिक्षक की अहम भूमिका होती है. लगन और समर्पण भाव से ये शिक्षक नई जनरेशन को विकसित करने की राह दिखाते हैं. मौजूदा दौर में शिक्षा का पूरी तरह से व्यवसायीकरण हो गया है, हालांकि, इसके बावजूद कुछ लोग इसे पेशा न समझकर समाज सेवा मानकर काम कर रहे हैं. 'विश्व शिक्षक दिवस' पर हम आपको मिलाते हैं जयपुर की रंजू जैन से, जो पिछले 14 साल से निशुल्क शिक्षा के जरिए सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुधार रही हैं. रंजू जैन ने 2009 में 15 बच्चों के साथ प्रेम मंदिर शिक्षण संस्थान की शुरुआत की थी, जिसमें आज तक 400 से अधिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा चुकी है.
एक घटना ने बदल दिया लक्ष्य : रंजू जैन बताती हैं कि वह एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर थीं. हर दिन की तरह अप्रैल 2009 में वह अपने घर से स्कूल के लिए जा रही थीं. इस दौरान घर के बाहर कुछ बच्चे कचरा बिनते हुए दिखाई दिए. वह 7 से 10 साल के बीच के थे तो मैंने उन बच्चों से पूछा कि वह स्कूल क्यों नहीं जाते? बच्चों ने कहा कि वो स्कूल तो जाना चाहते हैं, लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि उनके पेरेंट्स उन्हें स्कूल में दाखिल करा सकें. उनके मासूम से जवाब ने उन्हें अंदर तक हिला कर रख दिया.
400 से अधिक बच्चे पढ़ाई कर चुके : उस दिन रंजू अपने स्कूल नहीं गईं और घर जाकर परिजनों से कच्ची बस्ती में रहने वाले गरीबों-जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की इच्छा जताई. परिवार ने भी इसमें सहमति दी. इसके बाद एक मकान लेकर वहां पर कुछ बच्चों के साथ पढ़ाना शुरू किया. हालांकि, शुरुआत में 10 से 15 बच्चे ही आए, लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया, इन बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई. आज प्रेम मंदिर शिक्षण संस्थान से 400 सबसे अधिक बच्चे 8वीं तक शिक्षा लेकर आगे की पढ़ाई कर रहे हैं.
निशुल्क देती हैं शिक्षा : रंजू जैन बताती हैं कि जब बच्चों की संख्या 10 से 15 से अधिक हो गई, तो लगा कि इन बच्चों को अगर सही तरीके से शिक्षा देनी है तो एक स्कूल को रजिस्टर्ड करना पड़ेगा. इसके बाद प्रेम मंदिर शिक्षण संस्थान का रजिस्ट्रेशन कराया और प्रॉपर एक प्राइवेट स्कूल की तरह स्कूल को संचालित करना शुरू किया. इस स्कूल में 8 से 10 टीचर बच्चों को हर दिन शिक्षा देते हैं, उसके लिए उन्हें भुगतान भी किया जाता है. बच्चों को तकनीकी शिक्षा की जानकारी मिले, इसके लिए कंप्यूटर लैब भी अलग से बनाई गई है.
150 से अधिक बच्चे शिक्षा ले रहे : रंजू जैन बताती हैं कि आपसी सहयोग से स्कूल में जो खर्च आता है, वह पूरा किया जा रहा है. यहां आने वाले किसी भी बच्चे से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता. यहां तक की स्कूल ड्रेस, शूज, स्टेशनरी की सामग्री, सब निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है. आपसी सहयोग से चलने वाले प्रेम मंदिर शिक्षण संस्थान में अब तक 400 से अधिक बच्चों ने 8वीं तक की शिक्षा ग्रहण कर ली है. आज भी संस्थान में 150 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.
कंपटीशन के जरिए हुनर को दे रही मंच : उन्होंने बताया कि संस्थान में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी पार्टिसिपेट कराया जाता है. यहां पर बच्चों को डांसिंग, म्यूजिक के बारे में भी सिखाया जाता है. इसके लिए संस्थान की ओर से हर साल अलग-अलग तरह की कंपटीशन आयोजित किए जाते हैं, जिसमें यह बच्चे पार्टिसिपेट करते हैं. बच्चों का हौसला बढ़े और आत्मविश्वास के साथ कुछ करने का जज्बा पैदा हो, इसके लिए इन बच्चों को सम्मानित भी किया जाता है. कई समाजसेवी ऐसे भी हैं, जो आज भी शिक्षण संस्थान में हर त्योहार बच्चों के साथ सेलिब्रेट करते हैं और चैरिटी के जरिए इन बच्चों को कई तरह की सामग्री उपलब्ध कराते हैं.
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5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस : भारत में हर साल शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. ठीक इसी तरह पूरी दुनिया में शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए 5 अक्टूबर को 'विश्व शिक्षक दिवस' मनाया जाता है. इस वर्ष 2023 में विश्व शिक्षक दिवस की थीम यूनेस्को की ओर से 'हमें जो शिक्षा चाहिए उसके लिए शिक्षकों की आवश्यकता: शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए वैश्विक अनिवार्यता' रखी गई है. इस दिन को शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारी और अहमियत के प्रति जागरूक करने और उनकी मेहनत के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है.