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Women Empowerment: अब पशुपालन में भी 'शक्ति' और 'सौंदर्य' से मिल रही पुरुषों को कड़ी टक्कर, सम्मानित हुई महिलाएं - Animal rearing women honored in Jaipur

हथियार लेकर सीमाओं की रक्षा करना हो, प्लेन उड़ाना हो (Participation of women in animal husbandry sector) या फिर पहाड़ों की ऊंची चोटियां अपने कदमों से नापना. दुनियाभर में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को टक्कर देती हुई कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.

Animal husbandry women honored in Jaipur
Animal husbandry women honored in Jaipur
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Published : Mar 22, 2023, 6:32 PM IST

जयपुर में सम्मानित की गई पशुपालक महिलाएं

जयपुर. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बुधवार को दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र के ऑडिटोरियम में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला. पशुपालन जैसे पुरुष प्रधान काम में महिलाओं की न केवल बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखी, बल्कि अब इस क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं. दरअसल, पशुपालन विभाग की ओर से प्रदेश के प्रगतिशील पशुपालकों को बुधवार को सम्मान किया गया. इस सम्मान समारोह में करीब 415 पशुपालकों को सम्मानित किया गया. जिनमें महिलाओं की संख्या 25 थी. ऐसे में अब यह मिथक भी टूटता जा रहा है कि पशुपालन के क्षेत्र में महिलाओं का रुझान नहीं है. खास बात यह है कि सम्मानित होने वाली इन महिला पशुपालकों में काफी पढ़ी-लिखी और प्रोफेशनल डिग्रीधारी महिलाएं भी शामिल हैं.

बीए-एलएलबी सुनीता ने शुद्ध दुग्ध उत्पाद के लिए रखा कदम - अजमेर जिले के रूपनगढ़ के पास मानपुरा गांव में गिर नस्ल की गायों का ब्रीडिंग फार्म चलाने वाली सुनीता माहेश्वरी को इस सम्मलेन में जिला स्तरीय सम्मान मिला है. वे बताती हैं कि वह बीए-एलएलबी और उनके पति भी उच्च शिक्षित हैं. लेकिन कहीं न कहीं धरती माता से जुड़ाव, संस्कृति से जुड़ाव और शुद्ध खानपान की चाहत के लिए उन्होंने यह काम शुरू किया. वर्तमान में वो अपने फार्म में गिर नस्ल के गोवंश का संरक्षण और संवर्धन कर रही हैं. उनका कहना है कि दुग्ध उत्पादन के साथ ही गिर नस्ल की गायों का संरक्षण और संवर्धन करना भी उनका मकसद है.

इसे भी पढ़ें - Women Empowerment : 11 महिलाओं ने मिलकर कुछ इस तरह 28 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

7 साल पहले गिर नस्ल की एक गाय से शुरू किया काम - सुनीता माहेश्वरी कहती हैं कि आमतौर पर माना जाता है कि पशुपालन पुरुषों के एकाधिकार वाला व्यवसाय है और महिलाओं के लिए यह कोई आसान फील्ड नहीं है. यहां तक कि आसान तो पुरुषों के लिए भी यह काम नहीं है. पहले वो चाहती थी कि शुद्ध दूध, दही और घी के साथ ही शुद्ध सब्जियां खा पाएं. इसलिए सबसे पहले आज से करीब 7 साल पहले 2016 में गिर नस्ल की एक गाय खरीदी थी. गिर नस्ल की उस गाय को उन्होंने लक्ष्मी नाम दिया. इसी दौरान उन्होंने एक फार्म की स्थापना की. वर्तमान में फार्म पर गिर नस्ल की 100 से अधिक गाय हैं. इससे पहले भी उनका फार्म तहसील स्तर पर सम्मानित हो चुका है. इस बार जिला स्तर पर उनके फार्म को सम्मानित किया गया है.

पारंपरिक तरीके से तैयार करती हैं घी - सुनीता का कहना है कि धीरे-धीरे उनकी रूचि बढ़ती गई. एक गाय से यह सफर शुरू हुआ और अब उनके पास गोवंश का आंकड़ा सौ से ज्यादा पहुंच गया है. इससे शुद्ध दूध, दही और घी मिल पा रहा है. उनका कहना है कि उनका फार्म ऑर्गेनिक सर्टिफाइड है. जहां पूरे पारंपरिक तरीके से बिलौना बनाया जाता है, जिसे कांच के जार में पैक करके देश-विदेशों में भेजा जाता है.

श्रीडूंगरगढ़ की कंचन देवी ने 10 गायों से शुरू किया था काम - जिला स्तर पर सम्मानित बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ की कंचन देवी बताती हैं कि बैठे-बैठे अचानक ही एक दिन उन्हें ख्याल आया कि गाय पालकर डेयरी का काम शुरू करना चाहिए. ऐसे में उन्होंने 10 गायों से पशुपालन और डेयरी व्यवसाय शुरू किया. अभी उनके पास 125 गाय हैं और वो वर्तमान में फार्म चला रही हैं. जिसमें दस लोग काम करते हैं. इतना ही नहीं वो खेतों में हरी सब्जियां भी उगाती हैं. पशुपालन के क्षेत्र में आने वाली महिलाओं के लिए संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मार्गदर्शन चाहिए तो उनसे संपर्क करें. इस व्यवसाय में अच्छी कमाई है और भविष्य के लिए भी इसमें अपार संभावनाएं हैं.

जयपुर में सम्मानित की गई पशुपालक महिलाएं

जयपुर. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बुधवार को दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र के ऑडिटोरियम में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला. पशुपालन जैसे पुरुष प्रधान काम में महिलाओं की न केवल बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखी, बल्कि अब इस क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं. दरअसल, पशुपालन विभाग की ओर से प्रदेश के प्रगतिशील पशुपालकों को बुधवार को सम्मान किया गया. इस सम्मान समारोह में करीब 415 पशुपालकों को सम्मानित किया गया. जिनमें महिलाओं की संख्या 25 थी. ऐसे में अब यह मिथक भी टूटता जा रहा है कि पशुपालन के क्षेत्र में महिलाओं का रुझान नहीं है. खास बात यह है कि सम्मानित होने वाली इन महिला पशुपालकों में काफी पढ़ी-लिखी और प्रोफेशनल डिग्रीधारी महिलाएं भी शामिल हैं.

बीए-एलएलबी सुनीता ने शुद्ध दुग्ध उत्पाद के लिए रखा कदम - अजमेर जिले के रूपनगढ़ के पास मानपुरा गांव में गिर नस्ल की गायों का ब्रीडिंग फार्म चलाने वाली सुनीता माहेश्वरी को इस सम्मलेन में जिला स्तरीय सम्मान मिला है. वे बताती हैं कि वह बीए-एलएलबी और उनके पति भी उच्च शिक्षित हैं. लेकिन कहीं न कहीं धरती माता से जुड़ाव, संस्कृति से जुड़ाव और शुद्ध खानपान की चाहत के लिए उन्होंने यह काम शुरू किया. वर्तमान में वो अपने फार्म में गिर नस्ल के गोवंश का संरक्षण और संवर्धन कर रही हैं. उनका कहना है कि दुग्ध उत्पादन के साथ ही गिर नस्ल की गायों का संरक्षण और संवर्धन करना भी उनका मकसद है.

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7 साल पहले गिर नस्ल की एक गाय से शुरू किया काम - सुनीता माहेश्वरी कहती हैं कि आमतौर पर माना जाता है कि पशुपालन पुरुषों के एकाधिकार वाला व्यवसाय है और महिलाओं के लिए यह कोई आसान फील्ड नहीं है. यहां तक कि आसान तो पुरुषों के लिए भी यह काम नहीं है. पहले वो चाहती थी कि शुद्ध दूध, दही और घी के साथ ही शुद्ध सब्जियां खा पाएं. इसलिए सबसे पहले आज से करीब 7 साल पहले 2016 में गिर नस्ल की एक गाय खरीदी थी. गिर नस्ल की उस गाय को उन्होंने लक्ष्मी नाम दिया. इसी दौरान उन्होंने एक फार्म की स्थापना की. वर्तमान में फार्म पर गिर नस्ल की 100 से अधिक गाय हैं. इससे पहले भी उनका फार्म तहसील स्तर पर सम्मानित हो चुका है. इस बार जिला स्तर पर उनके फार्म को सम्मानित किया गया है.

पारंपरिक तरीके से तैयार करती हैं घी - सुनीता का कहना है कि धीरे-धीरे उनकी रूचि बढ़ती गई. एक गाय से यह सफर शुरू हुआ और अब उनके पास गोवंश का आंकड़ा सौ से ज्यादा पहुंच गया है. इससे शुद्ध दूध, दही और घी मिल पा रहा है. उनका कहना है कि उनका फार्म ऑर्गेनिक सर्टिफाइड है. जहां पूरे पारंपरिक तरीके से बिलौना बनाया जाता है, जिसे कांच के जार में पैक करके देश-विदेशों में भेजा जाता है.

श्रीडूंगरगढ़ की कंचन देवी ने 10 गायों से शुरू किया था काम - जिला स्तर पर सम्मानित बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ की कंचन देवी बताती हैं कि बैठे-बैठे अचानक ही एक दिन उन्हें ख्याल आया कि गाय पालकर डेयरी का काम शुरू करना चाहिए. ऐसे में उन्होंने 10 गायों से पशुपालन और डेयरी व्यवसाय शुरू किया. अभी उनके पास 125 गाय हैं और वो वर्तमान में फार्म चला रही हैं. जिसमें दस लोग काम करते हैं. इतना ही नहीं वो खेतों में हरी सब्जियां भी उगाती हैं. पशुपालन के क्षेत्र में आने वाली महिलाओं के लिए संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मार्गदर्शन चाहिए तो उनसे संपर्क करें. इस व्यवसाय में अच्छी कमाई है और भविष्य के लिए भी इसमें अपार संभावनाएं हैं.

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