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परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते ई-रिक्शा चालकों को परेशानी...नहीं बन रहे लाइसेंस - Driver

परिवहन विभाग की ओर से जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स पर दो करोड़ रुपए हर महीने लिए जाते हैं, लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. वहीं, जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई-रिक्शा की शुरुआत तो कर दी गई लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया. गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस नहीं बन पा रहे हैं. जयपुर, परिवहन विभाग, ई-रिक्शा, लाइसेंस, चालक, राजस्थान, Jaipur, Transport Department, e-Rickshaw, License, Driver, Rajasthan

परिवहन विभाग की लापरवाही
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Published : Feb 18, 2019, 3:02 PM IST

जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई-रिक्शा की शुरुआत कर दी गई, लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया. गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस अभी तक नहीं बने हैं. वहीं, परिवहन विभाग जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स के नाम पर दो करोड़ रुपए हर महीने वसूल रहा है, लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए किसी तरह की कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है.

दरअसल, जयपुर आरटीओ में रोज 30 से 40 ई-रिक्शा चालक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन आरटीओ की ओर से उन्हें बिना ट्रायल के ही वापस भेज दिया जाता है. इस तरह से जयपुर की सड़कों पर मजबूरन ई-रिक्शा चालकों को अवैध संचालन करना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालकों के मुताबिक परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने की बात का हवाला देकर चालकों को वापस लौटा देता है. जानकारी के अनुसार, पिछले तीन सालों में जयपुर शहर में 12 हजार ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन हुए हैं.

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परिवहन विभाग की लापरवाही
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शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए सबसे ज्यादा ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं. जनता को सुगम यातायात मिलने के बाद भी परिवहन विभाग चुप बैठा है. वहीं, यातायात पुलिस बिना लाइसेंस के ई-रिक्शा चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई कर रहा है. परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते ई-रिक्शा चालकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. शहर में ई-रिक्शा शुरू करने के समय परिवहन विभाग ने उनके लिए परमिट और मार्ग तय करने की अनिवार्यता की थी. उनके लाइसेंस में भी मार्ग दर्शाना अनिवार्य किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग ने नई गाइडलाइन निकालकर ई-रिक्शा के लिए परमिट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया और लाइसेंस की गाइडलाइन में संशोधन नहीं किया.

ऐसे में लाइसेंस के लिए मार्ग तय होना जरूरी है, लेकिन बिना परमिट के मार्ग नहीं मिल पा रहे हैं. अगर परिवहन विभाग लाइसेंस की गाइडलाइन में भी संशोधन करें तो चालकों को राहत मिल सकेगी. परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते ई-रिक्शा चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब चालक लर्निंग लाइसेंस तो बनवा रहे हैं, लेकिन स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर विभाग फीस वसूल रहा है और ट्रायल भी नहीं ले रहा. ऐसे में पैसों का भुगतान करने के बाद भी चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालक पैसे चुका रहे हैं इसके बावजूद उनके लाइसेंस नहीं बन पा रहे.

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जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई-रिक्शा की शुरुआत कर दी गई, लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया. गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस अभी तक नहीं बने हैं. वहीं, परिवहन विभाग जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स के नाम पर दो करोड़ रुपए हर महीने वसूल रहा है, लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए किसी तरह की कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है.

दरअसल, जयपुर आरटीओ में रोज 30 से 40 ई-रिक्शा चालक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन आरटीओ की ओर से उन्हें बिना ट्रायल के ही वापस भेज दिया जाता है. इस तरह से जयपुर की सड़कों पर मजबूरन ई-रिक्शा चालकों को अवैध संचालन करना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालकों के मुताबिक परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने की बात का हवाला देकर चालकों को वापस लौटा देता है. जानकारी के अनुसार, पिछले तीन सालों में जयपुर शहर में 12 हजार ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन हुए हैं.

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परिवहन विभाग की लापरवाही
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शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए सबसे ज्यादा ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं. जनता को सुगम यातायात मिलने के बाद भी परिवहन विभाग चुप बैठा है. वहीं, यातायात पुलिस बिना लाइसेंस के ई-रिक्शा चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई कर रहा है. परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते ई-रिक्शा चालकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. शहर में ई-रिक्शा शुरू करने के समय परिवहन विभाग ने उनके लिए परमिट और मार्ग तय करने की अनिवार्यता की थी. उनके लाइसेंस में भी मार्ग दर्शाना अनिवार्य किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग ने नई गाइडलाइन निकालकर ई-रिक्शा के लिए परमिट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया और लाइसेंस की गाइडलाइन में संशोधन नहीं किया.

ऐसे में लाइसेंस के लिए मार्ग तय होना जरूरी है, लेकिन बिना परमिट के मार्ग नहीं मिल पा रहे हैं. अगर परिवहन विभाग लाइसेंस की गाइडलाइन में भी संशोधन करें तो चालकों को राहत मिल सकेगी. परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते ई-रिक्शा चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब चालक लर्निंग लाइसेंस तो बनवा रहे हैं, लेकिन स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर विभाग फीस वसूल रहा है और ट्रायल भी नहीं ले रहा. ऐसे में पैसों का भुगतान करने के बाद भी चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालक पैसे चुका रहे हैं इसके बावजूद उनके लाइसेंस नहीं बन पा रहे.

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Intro:जयपुर
एंकर- परिवहन विभाग जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स के नाम पर दो करोड रुपए हर महीने तो वसूल रहा है लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा। जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई रिक्शा की शुरुआत तो कर दी गई लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया। गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई रिक्शा चालकों के लाइसेंस नहीं बन पा रहे हैं।


Body:परिवहन विभाग जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स के नाम पर दो करोड रुपए हर महीने तो वसूल रहा है लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा। जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई रिक्शा की शुरुआत तो कर दी गई लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया। गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई रिक्शा चालकों के लाइसेंस नहीं बन पा रहे हैं।
जयपुर आरटीओ में रोज 30 से 40 ई रिक्शा चालक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं लेकिन आरटीओ की ओर से उन्हें बिना ट्रायल के ही वापस भेज दिया जाता है। इस तरह से जयपुर की सड़कों पर मजबूरन ई रिक्शा चालकों को अवैध संचालन करना पड़ रहा है। पिछले 3 सालों में जयपुर शहर में 12 हजार ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन हुए। शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए सबसे ज्यादा ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं। जनता को सुगम यातायात मिलने के बाद भी परिवहन विभाग चुप बैठा है। वहीं यातायात पुलिस बिना लाइसेंस ई रिक्शा चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई कर रही है। परिवहन विभाग की वजह से ई रिक्शा चालकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। शहर में ई-रिक्शा शुरू करने के समय परिवहन विभाग ने उनके लिए परमिट और मार्ग तय करने की अनिवार्यता की थी। और उनके लाइसेंस में भी मार्ग दर्शाना अनिवार्य किया था। लेकिन परिवहन विभाग ने नई गाइडलाइन निकालकर ई-रिक्शा के लिए परमिट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया। लेकिन लाइसेंस की गाइडलाइन में संशोधन नहीं किया। ऐसे लाइसेंस के लिए मार्ग तय होना जरूरी है लेकिन बिना परमिट के मार्ग नहीं मिल पा रहे हैं। अगर परिवहन विभाग लाइसेंस की गाइडलाइन में भी संशोधन करें तो चालकों को राहत मिल सकेगी। परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते ई रिक्शा चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब चालक लर्निंग लाइसेंस तो बनवा रहे हैं लेकिन स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर विभाग फीस वसूल रहा है लेकिन ट्रायल नहीं ले रहा। ऐसे में पैसों का भुगतान करने के बाद भी चालको को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ई रिक्शा चालक पैसे चुका रहे हैं इसके बावजूद लाइसेंस नहीं बन पा रहे। ई रिक्शा चालकों के मुताबिक परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने की बात का हवाला देकर चालकों को वापस लौटा देता है।






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