ETV Bharat / state

स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार उदासीन : HC - jaipur

राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर शहर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को कहा है कि वह यातायात से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने पर विचार करे...

बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार उदासीन
author img

By

Published : Jul 23, 2019, 10:13 PM IST

जयपुर . राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि सुबह के समय हजारों की संख्या में स्कूली बच्चे और मॉर्निंग वॉकर्स सड़क पर रहते हैं. लेकिन इस दौरान न तो एक भी पुलिसकर्मी मौजूद रहता है और ना ही चौराहों पर सिग्नल काम करते हैं.

इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यातायात से जुडे़ विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने पर विचार करे. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रिजवान खान व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि शहर हेरिटेज सिटी में शामिल होकर महानगर बनने की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में यहां की ट्रेफिक व्यवस्था में किस तरह सुधार किया जा सकता है. सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर में ट्रेफिक व्यवस्था सुचारू हो और पार्किग की भी उचित व्यवस्था की जाए. अदालत ने महाधिवक्ता को भी कहा है कि वे इस संबंध में एक समग्र योजना पेश करें.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीएस स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा. इसके अलावा अदालत को बताया गया कि यातायात पुलिस के पास 13 इन्टरसेप्टर, 236 ब्रेथ एनालाइजर, सहित अन्य संसाधन हैं. सरकार की ओर से पिछले तीन साल के आंकडे पेश कर कहा गया कि वर्ष 2017 में जयपुर कमिश्नरेट में 1764 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 538 लोग घायल हुए और 399 लोगों की मौत हुई. इसी तरह वर्ष 2018 में 1661 दुर्घटनाओं में 399 लोग घायल हुए और 308 लोगों की मौत हो गई. वहीं इस साल जून माह तक 936 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 822 लोग घायल हुए और 187 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.

राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि गत 27 मार्च को ट्रेफिक कन्ट्रोल बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया है कि केन्द्रीय बस स्टैंड से यात्री भार कम करने के लिए अजमेर रोड पर सी-जोन बाईपास, ट्रांसपोर्ट नगर, बी2 बाईपास और विद्याधर नगर में बसों का ठहराव किया जाएगा. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शहर का ट्रेफिक बदहाल है. सुबह शाम ड्राईविंग स्कूल वाले वाहन चलाना सिखाते हैं, जिससे भी जाम लग जाता है. इसी तरह ई रिक्शा से भी समस्या बढ़ रही है.

जबरन गर्भपात कराने के मामले में जांच अधिकारी तलब...

राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहिता को गर्भ निरोधक दवा खिलाने और बाद में अस्पताल को गलत जानकारी देकर गर्भपात कराने के मामले में जांच अधिकारी को केस डायरी सहित 2 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश सोनम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि गत वर्ष 25 मई को याचिकाकर्ता के ससुराल पक्ष के लोगों ने उसे गर्भ निरोधक दवा खिला दी और बाद में तबीयत बिगडने पर उसे सवाई माधोपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया.

यहां उसके जेठ ने अपने आप को याचिकाकर्ता का पति बताकर याचिकाकर्ता का तीन माह का गर्भपात करा दिया. मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने गत 5 मई को उदय मोड थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. वहीं, अब पुलिस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रकरण के जांच अधिकारी को तलब किया है.

जयपुर . राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि सुबह के समय हजारों की संख्या में स्कूली बच्चे और मॉर्निंग वॉकर्स सड़क पर रहते हैं. लेकिन इस दौरान न तो एक भी पुलिसकर्मी मौजूद रहता है और ना ही चौराहों पर सिग्नल काम करते हैं.

इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यातायात से जुडे़ विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने पर विचार करे. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रिजवान खान व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि शहर हेरिटेज सिटी में शामिल होकर महानगर बनने की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में यहां की ट्रेफिक व्यवस्था में किस तरह सुधार किया जा सकता है. सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर में ट्रेफिक व्यवस्था सुचारू हो और पार्किग की भी उचित व्यवस्था की जाए. अदालत ने महाधिवक्ता को भी कहा है कि वे इस संबंध में एक समग्र योजना पेश करें.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीएस स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा. इसके अलावा अदालत को बताया गया कि यातायात पुलिस के पास 13 इन्टरसेप्टर, 236 ब्रेथ एनालाइजर, सहित अन्य संसाधन हैं. सरकार की ओर से पिछले तीन साल के आंकडे पेश कर कहा गया कि वर्ष 2017 में जयपुर कमिश्नरेट में 1764 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 538 लोग घायल हुए और 399 लोगों की मौत हुई. इसी तरह वर्ष 2018 में 1661 दुर्घटनाओं में 399 लोग घायल हुए और 308 लोगों की मौत हो गई. वहीं इस साल जून माह तक 936 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 822 लोग घायल हुए और 187 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.

राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि गत 27 मार्च को ट्रेफिक कन्ट्रोल बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया है कि केन्द्रीय बस स्टैंड से यात्री भार कम करने के लिए अजमेर रोड पर सी-जोन बाईपास, ट्रांसपोर्ट नगर, बी2 बाईपास और विद्याधर नगर में बसों का ठहराव किया जाएगा. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शहर का ट्रेफिक बदहाल है. सुबह शाम ड्राईविंग स्कूल वाले वाहन चलाना सिखाते हैं, जिससे भी जाम लग जाता है. इसी तरह ई रिक्शा से भी समस्या बढ़ रही है.

जबरन गर्भपात कराने के मामले में जांच अधिकारी तलब...

राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहिता को गर्भ निरोधक दवा खिलाने और बाद में अस्पताल को गलत जानकारी देकर गर्भपात कराने के मामले में जांच अधिकारी को केस डायरी सहित 2 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश सोनम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि गत वर्ष 25 मई को याचिकाकर्ता के ससुराल पक्ष के लोगों ने उसे गर्भ निरोधक दवा खिला दी और बाद में तबीयत बिगडने पर उसे सवाई माधोपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया.

यहां उसके जेठ ने अपने आप को याचिकाकर्ता का पति बताकर याचिकाकर्ता का तीन माह का गर्भपात करा दिया. मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने गत 5 मई को उदय मोड थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. वहीं, अब पुलिस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रकरण के जांच अधिकारी को तलब किया है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में बढ़ रही सडक़ दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि सुबह के समय हजारों की संख्या में स्कूली बच्चे और मॉर्निग वॉकर्स सडक़ पर रहते हैं, लेकिन इस दौरान न तो एक भी पुलिसकर्मी मौजूद रहता है और ना ही चौराहों पर सिग्नल काम करते हैं। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यातायात से जुडे विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने पर विचार करे। मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रिजवान खान व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। Body:सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि शहर हेरिटेज सिटी में शामिल होकर महानगर बनने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में यहां की ट्रेफिक व्यवस्था में किस तरह सुधार किया जा सकता है। सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर में टे्रफिक व्यवस्था सुचारू हो और पार्किग की भी उचित व्यवस्था की जाए। अदालत ने महाधिवक्ता को भी कहा है कि वे इस संबंध में एक समग्र योजना पेश करें। 
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीएस स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा। इसके अलावा अदालत को बताया गया कि यातायात पुलिस के पास 13 इन्टरसेप्टर, 236 ब्रेथ एनालाइजर, सहित अन्य संसाधन हैं। सरकार की ओर से पिछले तीन साल के आंकडे पेश कर कहा गया कि वर्ष 2017 में जयपुर कमिश्नरेट में 1764 दुर्घटनाएं हुई। इनमें 538 लोग घायल हुए और 399 लोगों की मौत हुई। इसी तरह वर्ष 2018 में 1661 दुर्घटनाओं में 399 लोग घायल हुए और 308 लोगों की मौत हो गई। वहीं इस साल जून माह तक 936 दुर्घटनाएं हुई। इनमें 822 लोग घायल हुए और 187 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि गत 27 मार्च को ट्रेफिक कन्ट्रोल बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया है कि केन्द्रीय बस स्टैंड से यात्री भार कम करने के लिए अजमेर रोड पर सी-जोन बाईपास, ट्रांसपोर्ट नगर, बी2 बाईपास और विद्याधर नगर में बसों का ठहराव किया जाएगा। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शहर का ट्रेफिक बदहाल है। सुबह शाम ड्राईविंग स्कूल वाले वाहन चलाना सिखाते हैं, जिससे भी जाम लग जाता है। इसी तरह ई रिक्शा से भी समस्या बढ़ रही है। 
Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.