जयपुर. नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने हो गई है. जहां केंद्र सरकार ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू कर दिया गया है वहीं प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केंद्र के इस नए कानून को मानने से इंकार कर दिया है. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कितना जुर्माना वसूल किया जाएगा यह राज्य सरकार तय करेगी. वह केंद्र के तय किए गए जुर्माना राशि को प्रदेश में लागू नहीं करेंगे.
नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर जहां केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को यह निर्देश दिए कि वह केंद्र के तय किए गए कानून को प्रदेश में लागू करें. वहीं राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने केंद्र सरकार की इस आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नया संशोधित कानून लाया है. जिसमें इसका उल्लंघन करने वालों पर भारी-भरकम जुर्माना राशि देने का प्रावधान किया गया है.
ऐसे कानून को प्रदेश में लागू नहीं किया जाएगा. साथ ही खाचरियावास ने यह भी साफ कर दिया कि शराब पीकर गाड़ी चलाने और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने वालों पर केंद्र सरकार के तय किए जुर्माना राशि को प्रदेश में लागू किया जाएगा. लेकिन इसके अलावा केंद्र की तय की गई जुर्माना राशि को राज्य की सरकार नहीं मानेगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जुर्माना राशि कितनी होनी चाहिए इसको लेकर सभी की राय ली जा रही है सबका फीडबैक मिलने के बाद ही प्रदेश में जुर्माना राशि तय की जाएगी.
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परिवहन मंत्री ने कहा कि जुर्माना राशि उतनी ही होगी जितनी एक आदमी अदा कर पाए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक व्यक्ति की बाइकक की जितनी कीमत नहीं है उससे ज्यादा उसपर जुर्माना लगाया जाए यह गलत है. खाचरियावास ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि यह जो कानून में संशोधन किया गया है और जुर्माना राशि जो केंद्र सरकार ने तय की है. वह हाई स्टैंडर्ड लेवल के लोगों द्वारा वेट कर तैयार करी गई है. उन्हें ग्रास रूट पर काम करने वाले लोगों की समस्या और उनके बजट का अनुमान नहीं है. इसलिए उन्होंने भारी-भरकम जुर्माना राशि का भार उन पर डाला है. खाचरियावास ने हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को लेकर भी केंद्र सरकार पर हमला बोला उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार ने एनएचआई को चिट्ठी लिखी जाएगी. जिसमें टोल कंपनी द्वारा बिना काम पूरा किए टोल वसूलने और जो सुविधाएं देने के नियम है उन्हें पूरा नहीं करने को लेकर लिखा जाएगा. अगर केंद्र सरकार इंटेल कंपनियों पर लगाम नहीं कसती है तो राज्य की सरकार अपने विवेक और अधिकार के अनुसार इंटेल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगी.