जयपुर/वाराणसी. 'लालबाग के राजा' यानी भगवान गणेश का वह अद्भुत रूप जो दक्षिण मुम्बई के परेल इलाके में स्थापित होता है. इसके बारे में आपने सुना तो होगा ही, लेकिन क्या दूसरे 'लालबाग के राजा' के बारे में जानते हैं. जी हां 'दूसरे लालबाग के राजा' मुंबई से 1600 किमी दूर शिव की नगरी बनारस में विराजते हैं.
12 सालों से हो रहा आयोजन, एक छोटी गली से हुई शुरूआत
इस गणेशोत्सव का आयोजन 12 सालों से काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की ओर से किया जा रहा है. पूजा में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग काशी पहुंचते हैं और बप्पा का पांच दिवसीय उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं.काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की तरफ से 2007 में एक छोटी-सी गली में इस गणेश उत्सव की शुरुआत की गई थी. महाराष्ट्र के सांगली से सोने-चांदी का कारोबार करने के लिए आए मराठी समुदाय के लोगों ने अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए काशी में इसकी शुरुआत की, लेकिन कुछ अलग करने की खातिर लोगों ने मुंबई के लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति बैठाने का निर्णय लिया.
यह भी पढ़ें. जानिए आखिर क्यों की जाती है बुधवार को गणेश जी की पूजा
मुंबई के कारीगर करते हैं तैयार, महाराष्ट्र से आते हैं कलाकार
साल 2009 में इसका भव्य आयोजन किया जाने लगा. इस आयोजन की सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्रतिमा स्थापित की जाती है वह मुंबई का वें कारीगर तैयार करते हैं, जो कारीगर 'लालबाग के राजा' की प्रतिमा तैयार करते हैं. लालबाग के राजा की तर्ज पर यहां सुबह-शाम महाआरती का आयोजन होता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. 5 दिन के उत्सव के बाद जब विसर्जन होता है तो बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से कलाकारों का समूह यहां पहुंचता है, जो अपनी पूजा छोड़कर काशी के इस पूजा में शरीक होते हैं.