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मुंबई से सोलह सौ किमी दूर, जानिए कहां विराजते हैं दूसरे 'लालबाग के राजा'

गणपति बप्पा मोरया के उद्घोष के साथ देश भर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है 'लालबाग के राजा' की तर्ज पर दूसरे 'लालबाग के राजा' की भी पूजा-अर्चना होती है. जानिए कहां विराजते हैं दूसरे 'लालबाग के राजा'.

second lalbagh raja varanasi, गणेश चतुर्थी न्यूज जयपुर, दूसरे लालबाग के राजा
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Published : Sep 4, 2019, 11:02 AM IST

जयपुर/वाराणसी. 'लालबाग के राजा' यानी भगवान गणेश का वह अद्भुत रूप जो दक्षिण मुम्बई के परेल इलाके में स्थापित होता है. इसके बारे में आपने सुना तो होगा ही, लेकिन क्या दूसरे 'लालबाग के राजा' के बारे में जानते हैं. जी हां 'दूसरे लालबाग के राजा' मुंबई से 1600 किमी दूर शिव की नगरी बनारस में विराजते हैं.

वाराणसी में बसते हैं दूसरे 'लालबाग के राजा'

12 सालों से हो रहा आयोजन, एक छोटी गली से हुई शुरूआत

इस गणेशोत्सव का आयोजन 12 सालों से काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की ओर से किया जा रहा है. पूजा में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग काशी पहुंचते हैं और बप्पा का पांच दिवसीय उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं.काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की तरफ से 2007 में एक छोटी-सी गली में इस गणेश उत्सव की शुरुआत की गई थी. महाराष्ट्र के सांगली से सोने-चांदी का कारोबार करने के लिए आए मराठी समुदाय के लोगों ने अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए काशी में इसकी शुरुआत की, लेकिन कुछ अलग करने की खातिर लोगों ने मुंबई के लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति बैठाने का निर्णय लिया.

यह भी पढ़ें. जानिए आखिर क्यों की जाती है बुधवार को गणेश जी की पूजा

मुंबई के कारीगर करते हैं तैयार, महाराष्ट्र से आते हैं कलाकार

साल 2009 में इसका भव्य आयोजन किया जाने लगा. इस आयोजन की सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्रतिमा स्थापित की जाती है वह मुंबई का वें कारीगर तैयार करते हैं, जो कारीगर 'लालबाग के राजा' की प्रतिमा तैयार करते हैं. लालबाग के राजा की तर्ज पर यहां सुबह-शाम महाआरती का आयोजन होता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. 5 दिन के उत्सव के बाद जब विसर्जन होता है तो बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से कलाकारों का समूह यहां पहुंचता है, जो अपनी पूजा छोड़कर काशी के इस पूजा में शरीक होते हैं.

जयपुर/वाराणसी. 'लालबाग के राजा' यानी भगवान गणेश का वह अद्भुत रूप जो दक्षिण मुम्बई के परेल इलाके में स्थापित होता है. इसके बारे में आपने सुना तो होगा ही, लेकिन क्या दूसरे 'लालबाग के राजा' के बारे में जानते हैं. जी हां 'दूसरे लालबाग के राजा' मुंबई से 1600 किमी दूर शिव की नगरी बनारस में विराजते हैं.

वाराणसी में बसते हैं दूसरे 'लालबाग के राजा'

12 सालों से हो रहा आयोजन, एक छोटी गली से हुई शुरूआत

इस गणेशोत्सव का आयोजन 12 सालों से काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की ओर से किया जा रहा है. पूजा में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग काशी पहुंचते हैं और बप्पा का पांच दिवसीय उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं.काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की तरफ से 2007 में एक छोटी-सी गली में इस गणेश उत्सव की शुरुआत की गई थी. महाराष्ट्र के सांगली से सोने-चांदी का कारोबार करने के लिए आए मराठी समुदाय के लोगों ने अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए काशी में इसकी शुरुआत की, लेकिन कुछ अलग करने की खातिर लोगों ने मुंबई के लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति बैठाने का निर्णय लिया.

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मुंबई के कारीगर करते हैं तैयार, महाराष्ट्र से आते हैं कलाकार

साल 2009 में इसका भव्य आयोजन किया जाने लगा. इस आयोजन की सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्रतिमा स्थापित की जाती है वह मुंबई का वें कारीगर तैयार करते हैं, जो कारीगर 'लालबाग के राजा' की प्रतिमा तैयार करते हैं. लालबाग के राजा की तर्ज पर यहां सुबह-शाम महाआरती का आयोजन होता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. 5 दिन के उत्सव के बाद जब विसर्जन होता है तो बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से कलाकारों का समूह यहां पहुंचता है, जो अपनी पूजा छोड़कर काशी के इस पूजा में शरीक होते हैं.

Intro:गणेश उत्सव पर स्पेशल स्टोरी-- सुधीर सर के विशेष ध्यानार्थ---

वाराणसी: भोलेनाथ की नगरी काशी में इन दिनों उनके पुत्र गणपति के जयकारों से गूंज रही है हर हर महादेव का जयघोष बीच-बीच में तो लग रहा है लेकिन हर मिनट बस गणपति बप्पा मोरिया जय गणेश जय गणेश के जयकारे हर तरफ सुनने को मिल रहे हैं और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि मौका है गणेश उत्सव का काशी में गणेश उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ आज से शुरू हो गया है देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाए जाने के साथ काशी में इसका एक अलग ही रूप देखने को मिल रहा है काशी का एक गणेश उत्सव ऐसा भी है जो मुंबई के लाल बाग के राजा की प्रतिमूर्ति के साथ शुरू हुआ है 12 सालों से काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की तरफ से आयोजित होने वाली इस पूजा में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग अपनी पूजा छोड़कर काशी पहुंचते हैं और बप्पा का पांच दिवसीय उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं.


Body:वीओ-01 काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की तरफ से 2007 में एक छोटी सी गली में गणेश उत्सव की शुरुआत की गई महाराष्ट्र के सांगली से सोने चांदी का कारोबार करने के लिए बनारस पहुंचे मराठी समुदाय के लोगों ने अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए काशी में गणेश उत्सव की शुरुआत की लेकिन कुछ अलग करने की खातिर लोगों ने मुंबई के लाल बाग के राजा की प्रतिमूर्ति बैठाने का निर्णय लिया 2009 से शुरुआत हुई इस भव्य आयोजन की सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्रतिमा काशी के अग्रवाल भवन में नीची बाग इलाके में स्थापित की जाती है वह महाराष्ट्र के मुंबई से उसी कारीगर के यहां से तैयार होकर आती है जो कारीगर लाल बाग के राजा की प्रतिमा तैयार करता है 1 सप्ताह पहले यह प्रतिमा सड़क मार्ग से लाकर काशी में रख दी जाती है जिससे आज विधिवत पूजन पाठ के साथ स्थापित किया.


Conclusion:वीओ-02 पूजा समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि काशी में अपनी परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से मराठा समुदाय के लोगों ने इस भव्य पूजा का शुभारंभ किया जिस तरह से लाल बाग के राजा का दर्शन का लोग अपने कष्टों का निवारण करते हैं वैसे ही काशी के लोगों को लाल बाग के राजा के दर्शन कराने के उद्देश्य से इस नई प्रथा की शुरुआत हुई और बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर विघ्नहर्ता से अपने कष्टों को हरने के लिए यहां आते हैं लाल बाग के राजा की तर्ज पर ही यहां पर सुबह-शाम महा आरती का आयोजन होता है सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और विसर्जन 5 दिन बाद जब होता है तो बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से कलाकारों का समूह यहां पहुंचता है जो अपनी पूजा छोड़कर काशी के इस पूजा में शरीक होता है.

बाइट- संतोष पाटिल, संरक्षक काशी मराठा गणेश उत्सव समिति

गोपाल मिश्र

9839809074
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