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Rajasthan High Court: सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर पद के लिए डीपीसी करने पर लगी रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर पद के लिए डीपीसी आयोजिक करने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

High Court has put an interim stay,  Rajasthan High Court
चीफ इंजीनियर पद के लिए डीपीसी करने पर लगी रोक.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 7, 2023, 6:51 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में एडिशनल चीफ इंजीनियर से चीफ इंजीनियर के पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी आयोजित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख कार्मिक सचिव, प्रमुख जल संसाधन सचिव और आरपीएससी सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश राजपाल सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विशाल सोनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के तहत एडिशनल चीफ इंजीनियर के तौर पर काम कर रहा है. वर्ष 2008 में सिंचाई विभाग ने परिपत्र जारी कर एडिशनल चीफ इंजीनियर से उच्च पदों पर पदोन्नति के लिए सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रांच के अधिकारियों को पात्र माना है. वहीं इस संबंध में अदालत ने भी पूर्व में निर्देश दिए थे कि इस पदोन्नति के लिए तीनों ब्रांच की एक सामान्य मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी.

पढ़ेंः एईएन से एक्सईएन की डीपीसी पर रोक, कार्मिक विभाग व अन्य से मांगा जवाब

पढ़ेंः स्पीकर के अयोग्यता नोटिस विवाद मामले में दो सप्ताह में जवाब दे केंद्र सरकार : राजस्थान हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया कि विभाग की ओर से एडिशनल चीफ इंजीनियर से चीफ इंजीनियर के लिए सिर्फ सिविल ब्रांच के अधिकारियों को ही पात्र माना जा रहा है. याचिकाकर्ता मैकेनिकल ब्रांच के तहत सर्वोच्च वरीयता रखता है. इसके बावजूद भी उसे पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए डीपीसी आयोजित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में एडिशनल चीफ इंजीनियर से चीफ इंजीनियर के पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी आयोजित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख कार्मिक सचिव, प्रमुख जल संसाधन सचिव और आरपीएससी सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश राजपाल सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विशाल सोनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के तहत एडिशनल चीफ इंजीनियर के तौर पर काम कर रहा है. वर्ष 2008 में सिंचाई विभाग ने परिपत्र जारी कर एडिशनल चीफ इंजीनियर से उच्च पदों पर पदोन्नति के लिए सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रांच के अधिकारियों को पात्र माना है. वहीं इस संबंध में अदालत ने भी पूर्व में निर्देश दिए थे कि इस पदोन्नति के लिए तीनों ब्रांच की एक सामान्य मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी.

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याचिका में कहा गया कि विभाग की ओर से एडिशनल चीफ इंजीनियर से चीफ इंजीनियर के लिए सिर्फ सिविल ब्रांच के अधिकारियों को ही पात्र माना जा रहा है. याचिकाकर्ता मैकेनिकल ब्रांच के तहत सर्वोच्च वरीयता रखता है. इसके बावजूद भी उसे पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए डीपीसी आयोजित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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