जयपुर. जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ कई बार दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने रिश्ते में पीड़िता की बहन का जेठ लगने वाले इस अभियुक्त पर एक लाख पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
अदालत ने कहा कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है. अदालत ने कहा कि भले ही गुमशुदगी रिपोर्ट में पीड़िता की उम्र 19 साल लिखाई गई है, लेकिन स्कूल दस्तावेजों के अनुसार घटना के समय उसकी उम्र करीब पन्द्रह साल की थी. इसलिए पीड़िता नाबालिग ही माना जाएगी. अदालत ने कहा कि पीड़िता शादीशुदा थी और वह स्वयं व उसके माता-पिता पक्षद्रोही घोषित हुए हैं, लेकिन डीएनए रिपोर्ट के अनुसार अभियुक्त का डीएनए पीड़िता के कपड़ों पर मिला है. इससे साबित है कि अभियुक्त ने उसके साथ दुष्कर्म किया है.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजन विजया पारीक ने अदालत को बताया कि पीड़िता के पिता ने 7 जून 2020 को नरेना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी 19 साल की बेटी पशुओं को पानी पिलाने गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 9 जून को पीड़िता को पचार से बरामद कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया था. सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से अदालत को बताया गया कि घटना के दिन वह कपड़े सिलवाने गई थी. रास्ते में उसकी बहन के रिश्ते में जेठ लगने वाला अभियुक्त मिला. जिसके साथ वह मोटर साइकिल पर बैठकर चली गई. उसने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया.
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वहीं पीड़िता की मां ने भी घटना से इनकार करते हुए कहा कि घटना के दिन पीड़िता अपने घर पर ही थी. इसके अलावा पीड़िता का पिता भी अपने बयानों से मुकरता हुआ पक्षद्रोही हो गया. एसपीपी विजया पारीक ने अदालत को बताया कि डीएनए जांच में सामने आया है कि पीड़िता के कपड़ों पर अभियुक्त का डीएनए मिला है और पीड़िता अभियुक्त के साथ जाना स्वीकार कर रही है. इससे साबित है कि अभियुक्त ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है. इसका विरोध करते हुए अभियुक्त की ओर से कहा गया कि एफआईआर में पीड़िता की उम्र 19 साल बताई गई है और स्कूल के रिकॉर्ड में हस्ताक्षर नहीं है. ऐसे में घटना के समय पीड़िता को बालिग ही मानकर उसे दोषमुक्त करना चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत में अभियुक्त को सजा सुनाई है.