जयपुर. जिले के एसओएस बालग्राम का वार्षिकोत्सव और स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया. एसओएस बालग्राम के संस्थापक डॉ. हरमन माइनर की 100वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला बालग्राम संरक्षण निदेशक निष्काम दिवाकर मौजूद रहे.
एसओएस बालग्राम के स्थापना दिवस के अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुतियां भी दीं. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एसओएस बालग्राम के कार्यों की सराहना की और कहा कि एसएस की परिकल्पना और इसकी सेवाएं अपने आप में अद्वितीय हैं. उन्होंने संस्था के संस्थापक डॉ हरमन माइनर की इस मुहिम की प्रशंसा की. कार्यक्रम के दौरान कछुआ संस्था की ओर से ट्रैकिंग फुटप्रिंट ऑफ द सेटलड यूथ नामक पुस्तक का परिवहन मंत्री ने विमोचन किया. इसके अलावा प्रताप सिंह खाचरियावास ने विभिन्न परीक्षा परिणाम में अच्छे अंक लाने वाले संस्थान के बच्चों को सम्मानित किया. एसओएस बालग्राम जयपुर में पिछले 43 वर्षों से निराश्रित और बेसहारा बच्चों की सेवा में समर्पित है.
प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि डॉक्टर हरमन की जयंती पर आज एसओएस बालग्राम में आकर बहुत अच्छा लगा. एसओएस में आकर अपने परिवार जैसा लगा. देश में आज भी दो करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो बिल्कुल अकेले हैं. उन बच्चों को परिवार की जरूरत है और परिवार का माहौल एसओएस बालग्राम देता है. जो लोग धर्म पुण्य कमाना चाहते हैं, उन्हें एसओएस बालग्राम में आकर देखना चाहिए, जहां पर ना जाति का पता है ना धर्म का पता है. यहां पर बच्चों को अपने परिवार के साथ मां का प्यार भी नसीब होता है. यहां पर बच्चा पैदा होते ही आता है जिसकी जाति और धर्म कोई नहीं पूछता और वही बच्चा बड़ा होकर भारत के नागरिक के रूप में एमबीए करता है. कोई डॉक्टर बनता है और कोई अधिकारी बनता है. इससे बड़ी सेवा कोई नहीं हो सकती. ऐसे बच्चे जिनका दुनिया में कोई नहीं है उनको एसओएस बालग्राम में परिवार का प्यार मिलता है. जिन बच्चों को किसी ने कचरे में फेंक दिया, सड़कों पर छोड़ दिया, स्टेशनों पर छोड़ दिया, कोई बस स्टैंड पर मिल गया या कोई भीख मांगते हुए मिल गया उनको इस बालग्राम में आने से चेहरों पर चमक और उत्साह-उमंग देखने को मिलती है.
एसओएस बालग्राम के डायरेक्टर अजय अटल ने बताया कि एसओएस बालग्राम में 14 घर हैं, जिनमें प्रत्येक घर में एक मां है. हर मां के पास 8 से 10 बच्चे हैं, जिनको वह अपने बच्चो की तरह पालती है. बच्चों के बड़े होने पर शादी विवाह भी यहीं पर होते हैं. सरकार को भी ऐसे बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और अनाथ बच्चों के लिए और भी ऐसे बालग्राम बनने चाहिए, जिससे बेसहारा बच्चों को आसरा मिल सके. उन्होंने बताया कि इस बालग्राम की एक बेटी एयरफोर्स ऑफीसर बनी है. इसके अलावा कई बच्चे इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, होटल बिजनेस और कई अच्छी नौकरियों में है, जिनके बारे में लिखी पुस्तक का आज विमोचन किया गया है.