जयपुर. प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के नेता एक के बाद एक कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. इन दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं. वही कांग्रेस संगठन के कई नेता भी कोरोना की चपेट में हैं. इसके बाद भी संगठन में नियुक्तियों का दौर जारी है. जिसमें एआईसीसी ने राजस्थान के सोशल मीडिया संभालने के लिए सुमित भगासरा को चेयरमैन और विक्रम स्वामी समेत 5 कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है. वहीं राजस्थान कांग्रेस ने विधि मानवाधिकार विभाग और आरटीआई विभाग में नियुक्तियां की साथ ही 88 मंडल अध्यक्षों और 19 नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों की नियुक्ति की जा रही है.
अब सवाल ये है कि राजस्थान में आगामी विधान सभा चुनाव में केवल 8 महीने का समय ही बचा है. कांग्रेस पार्टी में बीते ढाई साल से चल रहे संघर्ष के कारण जिला अध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है. इसके लिए किसी तरह की कवायद भी नहीं दिख रही है, ऐसे में संगठन में भले ही ब्लॉक, मंडल और नगर अध्यक्ष बना दिए जाएं लेकिन जब तक जिले को संभालने वाले जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी नहीं बनती है तब तक ऐसी नियुक्तियां भी कांग्रेस संगठन का कोई खास फायदा नहीं करेगी.
चुनाव सामने है, इसलिए प्रवक्ता और सोशल मीडिया के पदों पर हुई नियुक्तियां
राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट के बीच चल रहा राजनीतिक शीत युद्ध किसी से छिपा नहीं है. यही कारण है कि अब तक कांग्रेस पार्टी केवल 5 जिला अध्यक्ष ही बना पायी है. बाकी जिला अध्यक्ष बनाना संभवत दोनों नेताओं के वर्चस्व की जंग के चलते रुका हुआ है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी जानती है की चुनाव में मीडिया और सोशल मीडिया का जो महत्वपूर्ण रोल रहेगा, उसमें सक्रिय रहने के लिए प्रवक्ता और सोशल मीडिया इंचार्ज बना दिए हैं.
कांग्रेस पार्टी की बात मीडिया और सोशल मीडिया पर बेहतर तरीके से कैसे रखी जाए इसके लिए राजस्थान में 8 प्रवक्ता, 7 मीडिया पैनलिस्ट और 3 मीडिया कोऑर्डिनेटर बनाकर मीडिया में कांग्रेस की बात कौन रखें ये तय कर दिया गया है. साथ ही सोशल मीडिया को मजबूती देने के लिए भी कांग्रेस ने एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष सुमित भगासरा को राजस्थान के कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग का चेयरमैन बनाया है. वही विक्रम स्वामी समेत 5 स्टेट कोऑर्डिनेटर भी नियुक्त किए हैं. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती कि दोनों नेताओं की गुटबाजी के चलते संगठन की नियुक्तियों में देरी हो. उसका असर मीडिया और सोशल मीडिया पर नं पड़े और इसलिए कांग्रेस ने पहले अपनी मीडिया और सोशल मीडिया विंग को दुरुस्त किया है.