जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरुवार को उन कांग्रेस के प्रत्याशियों से भी मिले जो 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे. रंधावा पहले एक साथ ही सभी नेताओं से मिल रहे थे तो वहीं अचानक 2018 में निर्दलीय प्रत्याशियों से चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों ने हंगामा कर दिया. एकाएक प्रभारी के सामने हुई घटना से हर कोई चौंक गया. जहां प्रभारी पहले सभी नेताओं से एक साथ मिल रहे थे, उन्होंने एक-एक कर नेताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया.
दरअसल, हुआ यह कि शाहपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष यादव, बहरोड़ से आरसी यादव, नदबई से हिमांशु कटारा और खंडेला से सुभाष मील समेत 7-8 उन नेताओं ने एक साथ अपनी बात रखना शुरू कर दिया, जिनके सामने कांग्रेस के बागी के तौर पर चुनाव लड़े नेताओं को सरकार बचाने के इनाम में जबरदस्त तवज्जो मिली हुई है. अचानक हुए हंगामे के बाद प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इन सभी प्रत्याशियों को यह आश्वासन दिया कि आगे इनके साथ कुछ गलत नहीं होगा और कम से कम संगठन की नियुक्तियों में इन नेताओं को तवज्जो दी जाएगी.
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इस दौरान रंधावा के साथ फीडबैक बैठक में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी (Congress Meeting in Jaipur) यह स्वीकार किया कि सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 19 विधायकों के चलते उन 19 विधानसभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो सकी. वहीं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि इन विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशी इग्नोर हुए हैं, लेकिन अब रंधावा के इस तरह के फीडबैक से कांग्रेस पार्टी को फायदा मिलेगा.
निर्दलीय विधायकों ने लूट मचाकर किया तांडव, कांग्रेस को भी भुगतना पड़ेगा : रंधावा के सामने बात रख मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी मनीष यादव और सुभाष मील ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हम जैसे युवाओं को मौका दिया और कांग्रेस के ही बागियों के चलते हम चुनाव हारे. भाजपा के वोट हमारी विधानसभा में ना के बराबर थे, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बगावत करने वाले निर्दलीय एमएलए को सरकार में लाकर ताकत दी गई, जिससे न केवल हम कांग्रेस के उम्मीदवार विधानसभा में कमजोर हुए, बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी इन निर्दलीय विधायकों ने प्रताड़ित किया.
यहां तक कि इन विधायकों के चलते कांग्रेस के साथ रहे नेताओं को पंचायत या नगरपालिका में टिकट भी नहीं दिए गए. इन विधायकों ने आरोप लगाया कि निर्दलियों ने (Rajasthan Political Crisis) अपनी विधानसभा क्षेत्र में पैसे लेकर सरकार का दुरुपयोग किया, जिससे आम जनता और कांग्रेस कार्यकर्ता को नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि हमने प्रभारी रंधावा से इस बात की शिकायत की है कि इन लोगों ने हमारे क्षेत्र में कांग्रेस को मारने का काम किया है, जिस पर उन्होंने सकारात्मक रुख भी दिखाया है और आगे संगठन में नियुक्तियों के लिए हमें आश्वस्त किया है.
इन विधायकों ने आरोप लगाया कि निर्दलियों ने सरकार के नाम पर (Independent MLA in Rajasthan) हमारे क्षेत्र में अधिकारियों को धमकाया. निर्दलीय विधायकों ने जो तांडव मचाते हुए खुली लूट की, उसका नतीजा कांग्रेस सरकार को भी आने वाले चुनाव में भुगतना होगा.
मुख्यमंत्री के बेटे वैभव ने भी कही थी ये बड़ी बात : दरअसल, बुधवार को प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ बैठक करने कांग्रेस पार्टी के सांसद प्रत्याशी भी पहुंचे थे. इन सांसद प्रत्याशियों में जोधपुर से सांसद का चुनाव लड़ चुके मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत भी शामिल थे. वैभव गहलोत से पहले कुछ सांसद प्रत्याशियों ने कहा कि मंत्रियों से उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिलती. इसके बाद वैभव गहलोत ने भी अपनी बात रखी और कहा कि सांसद प्रत्याशियों कि कोई पूछ नहीं है. उन्हें किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता.
कांग्रेस पदाधिकारियों ने की मंत्रियों की शिकायत : राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से हुई फीडबैक बैठक में मंत्रियों के खिलाफ प्रभारियों ने भी मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस पदाधिकारियों की शिकायत थी कि मंत्री जब भी क्षेत्र में आते हैं तो वह पार्टी के पदाधिकारियों को न पूछते हैं और उसकी सूचना देते हैं. पदाधिकारियों ने कहा कि हमें तो कई बार ऐसा होता है कि मंत्री क्षेत्र में आकर चले जाते हैं और सुबह अखबार में खबर पढ़कर पता लगता है कि मंत्री आए हुए थे. मंत्री जिलों में बैठकों के लिए जाते हैं तो भी हमें न आने की सूचना देते हैं, न बैठकों में बुलाते हैं. कांग्रेस के प्रदेश सचिव महेंद्र सिंह खेड़ी ने रंधावा से कहा कि मैं एकमात्र पदाधिकारी हूं, जिसे पीसीसी मेंबर नहीं बनाया गया. इस पर रंधावा ने अलग से मिलने की बात कही.
महिला कांग्रेस की नेताओं ने हंगामा कर कहा- हमारी सरकार, लेकिन तवज्जो नहीं मिल रही : कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने महिला कांग्रेस की नेताओं से भी फीडबैक लिया. फीडबैक बैठक के दौरान कई महिला नेताओं ने तवज्जो नहीं मिलने को लेकर जमकर हंगामा किया. बाद में रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने समझाइश से हंगामा कर रही महिलाओं को समझाया. महिला नेताओं का कहना था कि कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद उन्हें किसी भी तरह की तवज्जो नहीं दी जाती. महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है. इसका आने वाले चुनाव में नुकसान होगा और महिला वर्ग बड़ा वोट बैंक है. अगर इस तरह की उपेक्षा उनके साथ हुई तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.