शिमला / जयपुर. सरकारी नौकरी के पीछे भागने वाले युवाओं को हिमाचल के विख्यात सेब बागवान रामलाल चौहान की कहानी से सीख लेने की जरूरत है. देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगते, लेकिन शिमला जिला के रामलाल चौहान ने साबित किया है कि पेड़ों पर भी पैसे उगाए जा सकते हैं.
ये तथ्य सौ फीसदी सत्य से परिपूर्ण है कि सेब बागीचे में अपना ध्यान लगाकार रामलाल चौहान ने लक्ष्मी को स्थाई रूप से अपने घर में प्रतिष्ठित कर लिया है. रामलाल चौहान की कहानी हिमाचल के उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो किस्मत को कोसते हैं या फिर सरकारी नौकरी के पीछे भाग-भाग कर तनाव का शिकार हो जाते हैं.
रामलाल चौहान ने सेब से समृद्धि का मंत्र दिया है. इसी साल सेब सीजन में उन्होंने अपने बागीचे में ही पौधों पर मौजूद सेब अस्सी लाख के रुपए में बेचे हैं. इसी कमाई से वे 1.60 करोड़ रुपये की रेंज रोवर कार भी ले चुके हैं.
रामलाल चौहान शिमला जिला की कोटखाई तहसील के ढांगवी इलाके से संबंध रखते हैं. उनके बागीचे में सेब की कई विदेशी किस्में फल दे रही हैं. मौजूदा सीजन में उन्होंने लुधियाना की एक कंपनी से अब तक की सबसे बड़ी कारोबारी डील करते हुए अपने बागीचे का 2500 पेटी सेब अस्सी लाख रुपए में बेचा है. यही नहीं, अगस्त के दूसरे पखवाड़े में रामलाल चौहान के बागीचे में ही सेब की 3000 पेटी एक करोड़ रुपए में बिकने वाली है. उसके लिए कई कंपनियां इच्छुक हैं.
चौहान के बागीचे का क्वालिटी सेब सीधे विदेश को निर्यात होगा. रामलाल चौहान के साथ उनके छोटे भाई मोतीलाल चौहान भी सक्रिय हैं. ये दोनों भाई मिलकर नित नई बुलंदियां छू रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि सेब से ये समृद्धि रातों-रात आई है. इसके पीछे तीन दशक की मेहनत है. रामलाल चौहान बताते हैं कि आरंभ का समय बड़ी चुनौतियों वाला था. चौहान के अनुसार उन्होंने ठान रखा था कि सेब उत्पादन में अपना नाम चमकाना है. इसी धुन को मन में लिए रामलाल चौहान सेब उत्पादन की बारीकियों को समझने लगे.
देश-विदेश से सेब उत्पादन से संबंधित उत्कृष्ट पुस्तकें जुटाई. कई देशों की यात्राएं कीं. विश्व में सेब की सबसे बड़ी नर्सरी अमेरिका में स्थित वेनवेल की यात्रा की. यूरोप के कई देशों के बागवानी विशेषज्ञों से चर्चा कर नई तकनीक से परिचय हासिल किया. हिमाचल में रूट स्टॉक भी सबसे पहले रामलाल चौहान ही लाए.
रामलाल चौहान का कहना है कि हिमाचल में फल उत्पादन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. युवाओं को सरकारी नौकरी के पीछे भागने की बजाय बागवानी में हाथ आजमाना चाहिए. रामलाल चौहान ने बताया कि बागीचे में तीस साल से मेहनत का फल ही है कि आज उनके पास शिमला व गांव में आलीशान मकान हैं और घर के सामने महंगी गाड़ियां खड़ी हैं.