जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम 2 ने कृषि विभाग झुंझुनूं में 13 साल पहले भ्रष्टाचार करने से जुडे़ मामले में तत्कालीन उप निदेशक विस्तार राजेश कुमार नैनावत को दो साल की सजा सुनाई है. साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त से पद पर रहते हुए लोक सेवक के तौर पर पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करने की अपेक्षा थी, लेकिन उसने इससे इतर काम किया. ऐसे कृत्य से जन सामान्य में लोक सेवकों के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है.
भारतीय परिवेश में वर्तमान में भ्रष्टाचार एक गंभीर बुराई का रूप ले चुका है. इस तरह के अपराधों में बढोतरी हो रही है. इसलिए अभियुक्त के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता. अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि परिवादी किशन सिंह ने तीस सितंबर 2010 को एसीबी में शिकायत दी थी. शिकायत में कहा गया कि उसने कृषि विभाग से लाइसेंस लेकर झुंझुनूं के पुराना बस स्टैंड पर खाद बीज की दुकान खोल रखी है. इस लाइसेंस का वर्ष 2007 के बाद नवीनीकरण नहीं हो पाया.
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23 सितंबर को उसने उप निदेशक राजेश कुमार नैनावत को अर्जी पेश कर लाइसेंस नवीनीकरण की गुहार की. इस पर अभियुक्त राजेश कुमार ने लाइसेंस के बदले पांच हजार रुपए की रिश्वत मांगी. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने अभियुक्त को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई. 4 अक्टूबर 2010 को अभियुक्त को उसके कार्यालय से पांच हजार रुपए लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया. वहीं मामले में अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद एसीबी ने 23 सितंबर 2011 को अभियुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 17 गवाहों के बयान भी लेखबद्ध कराए गए. दूसरी ओर अभियुक्त की ओर से कहा गया कि उसे प्रकरण में फंसाया गया है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाते हुए अर्थदंड से दंडित किया है.