ETV Bharat / state

गलता के जंगलों में डेवलप की जा रही लेपर्ड सफारी, विरोध में उतरे सामाजिक संगठन...पेड़ काटकर ट्रैक बनाने का लगाया आरोप

गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी विकसित करने के प्रोजेक्ट पर विरोध के सुर तेज हो गए हैं. सामाजिक संगठनों ने लेपर्ड प्रोजेक्ट का विरोध करना शुरू कर दिया है. जबकि वन विभाग के अफसरों का कहना है कि इससे वन और वन्यजीवों को लाभ होगा.

Galata Safari Project,  Leopard Safari in Galata
गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी का विरोध
author img

By

Published : Nov 15, 2021, 8:01 PM IST

Updated : Nov 15, 2021, 9:33 PM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर के गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी डेवलप की जा रही है. लेकिन लेपर्ड प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले ही उसका विरोध होने लगा है. सामाजिक संगठन लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. नए प्रोजेक्ट को लेकर गलता में सामाजिक संगठनों की ओर से रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया. मरुकला संस्थान, जन पीड़ा निवारण संस्थान समेत अन्य संगठनों ने लेपर्ड सफारी का विरोध करते हुए जंगल में पेड़ काटने का आरोप लगाया है. उनका कहना है इससे जंगल खत्म हो जाएगा.

वहीं इस पूरे मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए गलता वन क्षेत्र को डेवलप किया जा रहा है. जंगल में पानी के लिए वाटर पॉइंट बनाए जा रहे हैं, ताकि वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं निकले. जधानी जयपुर के आसपास के जंगलों में लगातार बघेरों का कुनबा बढ़ता जा रहा है. झालाना लेपर्ड रिजर्व की तर्ज पर गलता और नाहरगढ़ जंगल में भी सफारी शुरू करने की तैयारी की जा रही है. लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर विरोध में उतरे सामाजिक संगठनों का कहना है कि जंगल से पेड़ काटकर ट्रैक बनाए जा रहे हैं.

गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी का विरोध

पढ़ें. झालाना लेपर्ड की तर्ज पर गलता और नाहरगढ़ जंगल में भी होगी सफारी...वन्यजीवों के बढ़ते कुनबे को देख विकसित करने में जुटा वन विभाग

वहीं मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ वही पेड़ काटे गए हैं, जो जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं. जूली फ्लोरा जंगल के लिए नुकसानदायक माना जाता है. जूली फ्लोरा को हटाकर ग्रास लैंड विकसित की जाएगी. हालांकि कुछ स्थानीय लोगों ने लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर वन विभाग का समर्थन किया है.

पेड़ काटे तो तेज करेंगे आंदोलन

जन पीड़ा निवारण संस्थान की अर्चना शर्मा ने बताया कि हमें जीव जंतुओं के साथ ऑक्सीजन और पेड़ भी चाहिए. वन विभाग की ओर से जंगल में लेपर्ड सफारी के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है. जंगल को काटा जाएगा तो जानवर रोड पर आ जाएंगे. जयपुर में झालाना लेपर्ड सफारी पहले से ही है और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क भी बना हुआ है. हर जगह पर पार्क बनाने से क्या फायदा होगा. जंगल को जंगल रहने दिया जाए और पेड़ तो नहीं काटने दिए जाएंगे. अगर लेपर्ड प्रोजेक्ट का काम नहीं रोका गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

पढ़ें. बाघों की सलामती पर हर महीने खर्च होते हैं लाखों रुपए , 24 घंटे होती है मॉनिटरिंग

मूर्ति मीणा ने बताया कि लेपर्ड सफारी के लिए जंगल से पेड़ काटना गलत है. बल्कि ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जाने चाहिए. पेड़ों को काटकर कोई भी प्रोजेक्ट नहीं बनाने दिया जाएगा. अगर काम को नहीं रोका गया तो महिलाओं को इकट्ठा कर जन आंदोलन किया जाएगा.

वॉटर प्वाइंट्स और ग्रास लैंड बनने से वन्यजीवों को होगी सहूलियत

सहायक वनपाल राजकिशोर योगी ने बताया कि गलता जंगल मंदिरों से घिरा हुआ है. जंगल के बीच वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. गलता जंगल में प्राकृतिक जलाशय नहीं है. जंगल में वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था करने के उद्देश्य से वाटर पॉइंट्स बनाए जा रहे हैं. जानवरों के लिए ग्रास लैंड डेवलप की जाएगी ताकि उन्हें भोजन-पानी की तलाश में जंगल से बाहर न निकलना पड़े. जंगल को डेवलप करने से पूरा एरिया सुरक्षित हो जाएगा. जानवर जंगल से बाहर नहीं निकलेगा तो आमजन को भी परेशानी नहीं होगी. जंगल में जूली फ्लोरा ज्यादा तादाद में हैं. जूली फ्लोरा जंगल को नुकसान पहुंचाने वाला पेड़ माना जाता है. जूली फ्लोरा को हटाकर ग्रास लैंड डवलप की जाएगी. नए पेड़-पौधे लगाए जाएंगे. जंगल को विकसित करने से कटान भी नहीं हो पाएगा.

पढ़ें. Alwar Sariska Tiger Reserve: 3 शावकों का हुआ नामकरण, ST-12 के तीनों शावक मां से हो चुके हैं अलग

स्थानीय निवासी संदीप सिंह ने बताया कि पहले जंगल में कटान की घटनाएं होती थीं लेकिन अब वन विभाग की मॉनिटरिंग से कटान बंद हो गया है. जंगल के अंदर वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था होने से जानवर बाहर नहीं निकलेंगे. जंगल में अब पेड़ भी नहीं काटे जा रहे हैं.

जंगलों को जोड़ने के लिए बना रहे कॉरिडोर

वन विभाग की ओर से गलता, आमागढ़ और नाहरगढ़ जंगल को विकसित किया जा रहा है. गलता जंगल में भी लेपर्ड्स की संख्या में इजाफा हुआ है. वन अधिकारियों के मुताबिक गलता जंगल में करीब 15 लेपर्ड्स रहते हैं. गलता वन क्षेत्र 16 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. विभाग की ओर से यहां जंगलों को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाया जा रहा है. गलता के साथ ही नाहरगढ़ जंगल में भी वन्यजीवों के लिए संरक्षण का काम किया जा रहा है. गलता और नाहरगढ़ में सफारी शुरू होने के बाद जयपुर शहर में चार सफारी हो जाएगी. झालाना लेपर्ड सफारी और नाहरगढ़ लॉयन सफारी पहले से ही चल रही है.

पर्यटकों को जल्द ही गलता जंगल में सफारी की सौगात मिलने वाली है. गलता में लगातार बढ़ते लेपर्ड्स के कुनबे को देखते हुए वन विभाग सफारी के लिए जंगल को विकसित कर रहा है. इसके साथ ही जंगल में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी कई बेहतर कार्य किए जा रहे हैं. गलता जंगल में सफारी शुरू होने पर झालाना की तरह ही लेपर्ड्स की शानदार साइटिंग हो सकेगी.

जयपुर. राजधानी जयपुर के गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी डेवलप की जा रही है. लेकिन लेपर्ड प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले ही उसका विरोध होने लगा है. सामाजिक संगठन लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. नए प्रोजेक्ट को लेकर गलता में सामाजिक संगठनों की ओर से रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया. मरुकला संस्थान, जन पीड़ा निवारण संस्थान समेत अन्य संगठनों ने लेपर्ड सफारी का विरोध करते हुए जंगल में पेड़ काटने का आरोप लगाया है. उनका कहना है इससे जंगल खत्म हो जाएगा.

वहीं इस पूरे मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए गलता वन क्षेत्र को डेवलप किया जा रहा है. जंगल में पानी के लिए वाटर पॉइंट बनाए जा रहे हैं, ताकि वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं निकले. जधानी जयपुर के आसपास के जंगलों में लगातार बघेरों का कुनबा बढ़ता जा रहा है. झालाना लेपर्ड रिजर्व की तर्ज पर गलता और नाहरगढ़ जंगल में भी सफारी शुरू करने की तैयारी की जा रही है. लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर विरोध में उतरे सामाजिक संगठनों का कहना है कि जंगल से पेड़ काटकर ट्रैक बनाए जा रहे हैं.

गलता के जंगल में लेपर्ड सफारी का विरोध

पढ़ें. झालाना लेपर्ड की तर्ज पर गलता और नाहरगढ़ जंगल में भी होगी सफारी...वन्यजीवों के बढ़ते कुनबे को देख विकसित करने में जुटा वन विभाग

वहीं मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ वही पेड़ काटे गए हैं, जो जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं. जूली फ्लोरा जंगल के लिए नुकसानदायक माना जाता है. जूली फ्लोरा को हटाकर ग्रास लैंड विकसित की जाएगी. हालांकि कुछ स्थानीय लोगों ने लेपर्ड प्रोजेक्ट को लेकर वन विभाग का समर्थन किया है.

पेड़ काटे तो तेज करेंगे आंदोलन

जन पीड़ा निवारण संस्थान की अर्चना शर्मा ने बताया कि हमें जीव जंतुओं के साथ ऑक्सीजन और पेड़ भी चाहिए. वन विभाग की ओर से जंगल में लेपर्ड सफारी के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है. जंगल को काटा जाएगा तो जानवर रोड पर आ जाएंगे. जयपुर में झालाना लेपर्ड सफारी पहले से ही है और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क भी बना हुआ है. हर जगह पर पार्क बनाने से क्या फायदा होगा. जंगल को जंगल रहने दिया जाए और पेड़ तो नहीं काटने दिए जाएंगे. अगर लेपर्ड प्रोजेक्ट का काम नहीं रोका गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

पढ़ें. बाघों की सलामती पर हर महीने खर्च होते हैं लाखों रुपए , 24 घंटे होती है मॉनिटरिंग

मूर्ति मीणा ने बताया कि लेपर्ड सफारी के लिए जंगल से पेड़ काटना गलत है. बल्कि ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जाने चाहिए. पेड़ों को काटकर कोई भी प्रोजेक्ट नहीं बनाने दिया जाएगा. अगर काम को नहीं रोका गया तो महिलाओं को इकट्ठा कर जन आंदोलन किया जाएगा.

वॉटर प्वाइंट्स और ग्रास लैंड बनने से वन्यजीवों को होगी सहूलियत

सहायक वनपाल राजकिशोर योगी ने बताया कि गलता जंगल मंदिरों से घिरा हुआ है. जंगल के बीच वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. गलता जंगल में प्राकृतिक जलाशय नहीं है. जंगल में वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था करने के उद्देश्य से वाटर पॉइंट्स बनाए जा रहे हैं. जानवरों के लिए ग्रास लैंड डेवलप की जाएगी ताकि उन्हें भोजन-पानी की तलाश में जंगल से बाहर न निकलना पड़े. जंगल को डेवलप करने से पूरा एरिया सुरक्षित हो जाएगा. जानवर जंगल से बाहर नहीं निकलेगा तो आमजन को भी परेशानी नहीं होगी. जंगल में जूली फ्लोरा ज्यादा तादाद में हैं. जूली फ्लोरा जंगल को नुकसान पहुंचाने वाला पेड़ माना जाता है. जूली फ्लोरा को हटाकर ग्रास लैंड डवलप की जाएगी. नए पेड़-पौधे लगाए जाएंगे. जंगल को विकसित करने से कटान भी नहीं हो पाएगा.

पढ़ें. Alwar Sariska Tiger Reserve: 3 शावकों का हुआ नामकरण, ST-12 के तीनों शावक मां से हो चुके हैं अलग

स्थानीय निवासी संदीप सिंह ने बताया कि पहले जंगल में कटान की घटनाएं होती थीं लेकिन अब वन विभाग की मॉनिटरिंग से कटान बंद हो गया है. जंगल के अंदर वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था होने से जानवर बाहर नहीं निकलेंगे. जंगल में अब पेड़ भी नहीं काटे जा रहे हैं.

जंगलों को जोड़ने के लिए बना रहे कॉरिडोर

वन विभाग की ओर से गलता, आमागढ़ और नाहरगढ़ जंगल को विकसित किया जा रहा है. गलता जंगल में भी लेपर्ड्स की संख्या में इजाफा हुआ है. वन अधिकारियों के मुताबिक गलता जंगल में करीब 15 लेपर्ड्स रहते हैं. गलता वन क्षेत्र 16 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. विभाग की ओर से यहां जंगलों को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाया जा रहा है. गलता के साथ ही नाहरगढ़ जंगल में भी वन्यजीवों के लिए संरक्षण का काम किया जा रहा है. गलता और नाहरगढ़ में सफारी शुरू होने के बाद जयपुर शहर में चार सफारी हो जाएगी. झालाना लेपर्ड सफारी और नाहरगढ़ लॉयन सफारी पहले से ही चल रही है.

पर्यटकों को जल्द ही गलता जंगल में सफारी की सौगात मिलने वाली है. गलता में लगातार बढ़ते लेपर्ड्स के कुनबे को देखते हुए वन विभाग सफारी के लिए जंगल को विकसित कर रहा है. इसके साथ ही जंगल में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी कई बेहतर कार्य किए जा रहे हैं. गलता जंगल में सफारी शुरू होने पर झालाना की तरह ही लेपर्ड्स की शानदार साइटिंग हो सकेगी.

Last Updated : Nov 15, 2021, 9:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.