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अपराधियों और अफवाहों पर नकेल कसने के लिए राजस्थान पुलिस का हथियार बना सोशल मीडिया

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Published : Apr 3, 2023, 4:53 PM IST

राजस्थान में इन दिनों कुख्यात गैंगस्टर्स और हार्डकोर अपराधी सोशल मीडिया के जरिए अपनी धाक जमाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब पुलिस भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए ही बदमाशों पर नकेल कस रही है. देखिए ये रिपोर्ट...

Social media became weapon of Rajasthan Police
Social media became weapon of Rajasthan Police

जयपुर. राजस्थान में कई अपराधी सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी धाक जमाने और इसे कायम रखने के लिए कर रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से चंद सेकंड में एक बड़े वर्ग तक फैलती अफवाहों और गलत सूचनाएं भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही थी. लेकिन अब पुलिस ने अपराधियों और अफवाहों के खिलाफ अपनी इस जंग में सोशल मीडिया को ही अहम हथियार बना लिया है. आज हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजस्थान पुलिस का ऑफिशियल अकाउंट है और हर जानकारी इन पर शेयर करने के साथ ही लोगों को अलग-अलग मुद्दों पर जागरूक करने का काम भी पुलिस कर रही है. वहीं, आज सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बने राजस्थान पुलिस के अकाउंट पर लाखों फॉलोवर्स हैं.

26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप - सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आधिकारिक अकाउंट के साथ ही पुलिस वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसके लिए बीट स्तर पर काम किया जा रहा है. वाट्सएप पर बीट के आधार पर ग्रुप बनाकर पुलिस डेढ़ लाख लोगों को अपने साथ जोड़ चुकी है. इसके लिए 26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर शिकंजा कसने और अफवाहों पर अंकुश लगाने में भी यह वाट्सएप ग्रुप पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं.

एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पुलिस को साढ़े चार हजार से ज्यादा अहम जानकारियां मिली हैं. समय पर जानकारी मिलने से जरूरी कार्रवाई करने में आसानी होती है. इन जानकारियों को संबंधित थानों को भेजकर कार्रवाई सुनिश्चित करवाई गई है. साथ ही बड़े पैमाने पर अफवाहों और गलत जानकारियों का खंडन करने में भी सोशल मीडिया पुलिस के लिए मददगार साबित हो रही है.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान पुलिस की Suspended SI नैना कंवल है सोशल मीडिया स्टार, तस्वीरों में देखें हर स्टाइलिश अंदाज

समाज के लोगों को जागरूक करने की मुहिम - हनी ट्रैप के बढ़ते मामले हो या फिर साइबर ठगी की वारदात. पुलिस ने सोशल मीडिया पर अनूठे अंदाज में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया है. इसके साथ ही यातायात नियमों की पालना करने और लोगों को नशे से दूर रहने की अपील भी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए पुलिस लगातार कर रही है. इसके साथ ही आपसी सद्भाव बिगाड़ने वाली गलत जानकारी शेयर नहीं करने के लिए भी पुलिस लगातार लोगों से समझाइश कर रही है.

त्योहारों पर बधाई संदेश से लोगों को जोड़ने की मुहिम - लोगों को जागरूक करने के लिए तो पुलिस सोशल मीडिया का सहारा ले ही रही है. इसके साथ ही त्योहारों पर बधाई संदेश के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने की दिशा में काम किया जा रहा है. दीपावली, होली, मकर संक्रांति, नवरात्रि, चेटीचंड सहित सभी धर्मों के त्योहारों पर बधाई और शुभकामना संदेश भी पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर जारी किए जा रहे हैं.

ट्विटर पर 8 लाख लोग जुड़े, फेसबुक पर 1 लाख से ज्यादा - राजस्थान पुलिस के ट्विटर अकाउंट से करीब आठ लोग जुड़े हैं. इसके साथ ही फेसबुक पर एक लाख से ज्यादा लोग राजस्थान पुलिस के आधिकारिक पेज को फॉलो करते हैं. इसी तरह वाट्सएप ग्रुप से भी डेढ़ लाख लोग जुड़े हैं.

जयपुर. राजस्थान में कई अपराधी सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी धाक जमाने और इसे कायम रखने के लिए कर रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से चंद सेकंड में एक बड़े वर्ग तक फैलती अफवाहों और गलत सूचनाएं भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही थी. लेकिन अब पुलिस ने अपराधियों और अफवाहों के खिलाफ अपनी इस जंग में सोशल मीडिया को ही अहम हथियार बना लिया है. आज हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजस्थान पुलिस का ऑफिशियल अकाउंट है और हर जानकारी इन पर शेयर करने के साथ ही लोगों को अलग-अलग मुद्दों पर जागरूक करने का काम भी पुलिस कर रही है. वहीं, आज सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बने राजस्थान पुलिस के अकाउंट पर लाखों फॉलोवर्स हैं.

26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप - सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आधिकारिक अकाउंट के साथ ही पुलिस वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसके लिए बीट स्तर पर काम किया जा रहा है. वाट्सएप पर बीट के आधार पर ग्रुप बनाकर पुलिस डेढ़ लाख लोगों को अपने साथ जोड़ चुकी है. इसके लिए 26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर शिकंजा कसने और अफवाहों पर अंकुश लगाने में भी यह वाट्सएप ग्रुप पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं.

एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पुलिस को साढ़े चार हजार से ज्यादा अहम जानकारियां मिली हैं. समय पर जानकारी मिलने से जरूरी कार्रवाई करने में आसानी होती है. इन जानकारियों को संबंधित थानों को भेजकर कार्रवाई सुनिश्चित करवाई गई है. साथ ही बड़े पैमाने पर अफवाहों और गलत जानकारियों का खंडन करने में भी सोशल मीडिया पुलिस के लिए मददगार साबित हो रही है.

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समाज के लोगों को जागरूक करने की मुहिम - हनी ट्रैप के बढ़ते मामले हो या फिर साइबर ठगी की वारदात. पुलिस ने सोशल मीडिया पर अनूठे अंदाज में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया है. इसके साथ ही यातायात नियमों की पालना करने और लोगों को नशे से दूर रहने की अपील भी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए पुलिस लगातार कर रही है. इसके साथ ही आपसी सद्भाव बिगाड़ने वाली गलत जानकारी शेयर नहीं करने के लिए भी पुलिस लगातार लोगों से समझाइश कर रही है.

त्योहारों पर बधाई संदेश से लोगों को जोड़ने की मुहिम - लोगों को जागरूक करने के लिए तो पुलिस सोशल मीडिया का सहारा ले ही रही है. इसके साथ ही त्योहारों पर बधाई संदेश के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने की दिशा में काम किया जा रहा है. दीपावली, होली, मकर संक्रांति, नवरात्रि, चेटीचंड सहित सभी धर्मों के त्योहारों पर बधाई और शुभकामना संदेश भी पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर जारी किए जा रहे हैं.

ट्विटर पर 8 लाख लोग जुड़े, फेसबुक पर 1 लाख से ज्यादा - राजस्थान पुलिस के ट्विटर अकाउंट से करीब आठ लोग जुड़े हैं. इसके साथ ही फेसबुक पर एक लाख से ज्यादा लोग राजस्थान पुलिस के आधिकारिक पेज को फॉलो करते हैं. इसी तरह वाट्सएप ग्रुप से भी डेढ़ लाख लोग जुड़े हैं.

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