जयपुर. अलवर जिले के बहरोड़ में दसवीं कक्षा की छात्रा से प्रिंसिपल और 3 शिक्षकों के दुष्कर्म करने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. पिछले एक साल में राजस्थान में सरकारी स्कूलों में छात्राओं से दुष्कर्म के 13 मामले सामने आए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब शिक्षा के मंदिर में ही बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो बाकी जगहों पर क्या हालात होंगे.
दरअसल, प्रदेशभर में महिलाओं, युवतियों और छोटी बच्चियों से ज्यादती के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस साल प्रदेशभर में दुष्कर्म के 5,877 मामले (Rape cases in Rajasthan in 2021) दर्ज हुए हैं. जबकि 95 फीसदी मामलों में परिचितों द्वारा ही दुष्कर्म के आरोप लगे हैं. हालांकि, पुलिस का तर्क है कि दुष्कर्म के जितने मामले दर्ज होते हैं. इनमें से एक तिहाई मामले झूठे पाए जाते हैं. इस साल पुलिस करीब 35.7 फीसदी मामलों में एफआर लगा चुकी है.
बात अगर स्कूली छात्राओं से ज्यादती की करें तो बीते एक साल में सरकारी स्कूलों में दुष्कर्म के 13 मामले दर्ज हुए हैं. इन सभी मामलों में दुष्कर्म के आरोपी शिक्षक हैं और कई मामलों में तो अध्यापिकाओं द्वारा दुष्कर्म की घटनाओं में साथ देने तक के आरोप हैं. इस तरह के भीलवाड़ा और झुंझुनूं में 3-3 और दौसा, हनुमानगढ़, सीकर, राजसमंद, जयपुर, जालोर और जोधपुर में 1-1 मामला सामने आ चुका है.
सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू का कहना है कि प्रदेश की स्कूलों में छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके लिए काफी हद तक स्कूल प्रशासन जिम्मेदार है. बच्चों के प्रति अपराध रोकने के लिए कानून तो हैं, लेकिन उन कानूनों का ठीक से क्रियान्वयन नहीं होने से इस तरह की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. उनका कहना है कि बाल कल्याण समितियों को और ज्यादा सक्रिय करने की दरकार है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हमें एक उदाहरण पेश करने की जरूरत है. अबोध बच्चे अपने साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते. उनकी आवाज को मजबूती देने की आवश्यकता है.
महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह पहली बार नहीं है. जब शिक्षा के मंदिर में इस तरह की घिनौनी हरकत का मामला सामने आया है. यह चिंताजनक है. सीएम गहलोत के पास ही अभी गृह मंत्रालय है. जो महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का दम भरते हैं. उन्हें धरातल पर काम करके ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं पर जब दो लाइन का बयान तक जारी नहीं होता है तो कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है. ऐसी घटनाओं के लिए उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री गहलोत को जिम्मेदार बताया है.
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इधर, भाजपा सांसद दीया कुमारी ने ट्वीट कर इस मामले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा कि राजस्थान में सरकारी स्कूलों में दुष्कर्म के 13 मामले सामने आ चुके हैं. इससे भी शर्म की बात यह है कि इनमें से एक भी आरोपी को अब तक सजा नहीं मिली है.