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ईटीवी भारत की मुहिम लाई रंग, सांसी समाज ने लिया 'कुकड़ी' कुप्रथा को बंद करने फैसला - ईनाडुइंडिया

समाज के पढ़े-लिखे तबके ने इस कुप्रथा को बंद करने के लिए और इसके खिलाफ कानून बनाए जाने को लेकर समाज के साथ मिल सामूहिक सहमति बनाई है. इसके साथ ही समाज के लोगों ने बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी सर्व सहमति से निर्णय लिया है.

राकेश रावत, प्रदेश महासचिव, सांसी समाज
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Published : Feb 4, 2019, 8:26 PM IST

जयपुर. प्रदेश के सांसी समाज ने कुकड़ी प्रथा को बंद करने का फैसला लिया है. ईटीवी भारत की एक साल से चल रही मुहिम के बाद अब समाज के लोगों ने कुकड़ी को कुप्रथा मानते हुए इसे बंद करने पर सामूहिक सहमति बनाई है.

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ईटीवी भारत की पहल के बाद कुप्रथा कुकड़ी के खिलाफ अब सांसी समाज के लोगों ने एक बड़ा निर्णय लिया है. समाज के पढ़े-लिखे तबके ने इस कुप्रथा को बंद करने के लिए और इसके खिलाफ कानून बनाए जाने को लेकर समाज के साथ मिल सामूहिक सहमति बनाई है. इसके साथ ही समाज के लोगों ने बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी सर्व सहमति से निर्णय लिया है.

इस संबंध में सांसी समाज के प्रदेश महासचिव राकेश रावत ने ईटीवी भारत को कुकड़ी प्रथा के खिलाफ मुहिम छेड़ने को लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया. साथ ही कहा कि अब समाज में इस प्रथा को बंद करने पर सहमति बनी है और यदि अब भी किसी परिवार या पंच पटेलों की ओर से इस प्रथा को जारी रखा जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करवाई जाएगी.

इसके साथ ही सांसी समाज में बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी पाबंदी थी. इस भेदभाव को भी खत्म करने पर निर्णय लिया गया है. आपको बता दें कि 13वीं शताब्दी से प्रदेश के सांसी समुदाय में कुकड़ी कुप्रथा चली आ रही है. जिसमें नवविवाहिता की वर्जिनिटी चेक की जाती है. इस कुप्रथा के खिलाफ ईनाडु इंडिया ने बीते एक साल से मुहिम छेड़ रखी थी. जिस पर अब समाज के लोगों ने भी इस कुप्रथा को बंद करने का फैसला लिया है.

जयपुर. प्रदेश के सांसी समाज ने कुकड़ी प्रथा को बंद करने का फैसला लिया है. ईटीवी भारत की एक साल से चल रही मुहिम के बाद अब समाज के लोगों ने कुकड़ी को कुप्रथा मानते हुए इसे बंद करने पर सामूहिक सहमति बनाई है.

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ईटीवी भारत की पहल के बाद कुप्रथा कुकड़ी के खिलाफ अब सांसी समाज के लोगों ने एक बड़ा निर्णय लिया है. समाज के पढ़े-लिखे तबके ने इस कुप्रथा को बंद करने के लिए और इसके खिलाफ कानून बनाए जाने को लेकर समाज के साथ मिल सामूहिक सहमति बनाई है. इसके साथ ही समाज के लोगों ने बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी सर्व सहमति से निर्णय लिया है.

इस संबंध में सांसी समाज के प्रदेश महासचिव राकेश रावत ने ईटीवी भारत को कुकड़ी प्रथा के खिलाफ मुहिम छेड़ने को लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया. साथ ही कहा कि अब समाज में इस प्रथा को बंद करने पर सहमति बनी है और यदि अब भी किसी परिवार या पंच पटेलों की ओर से इस प्रथा को जारी रखा जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करवाई जाएगी.

इसके साथ ही सांसी समाज में बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी पाबंदी थी. इस भेदभाव को भी खत्म करने पर निर्णय लिया गया है. आपको बता दें कि 13वीं शताब्दी से प्रदेश के सांसी समुदाय में कुकड़ी कुप्रथा चली आ रही है. जिसमें नवविवाहिता की वर्जिनिटी चेक की जाती है. इस कुप्रथा के खिलाफ ईनाडु इंडिया ने बीते एक साल से मुहिम छेड़ रखी थी. जिस पर अब समाज के लोगों ने भी इस कुप्रथा को बंद करने का फैसला लिया है.
Intro:प्रदेश के सांसी समाज ने कुकड़ी प्रथा को बंद करने का फैसला लिया है... ईटीवी भारत की 1 साल से चल रही मुहिम के बाद अब समाज के लोगों ने कुकड़ी को कुप्रथा मानते हुए,,, इसे बंद करने पर सामूहिक सहमति बनाई है...


Body:ईटीवी भारत की पहल के बाद सांसी समाज की कुप्रथा कुकड़ी के खिलाफ अब समाज के लोगों ने एक बड़ा निर्णय लिया है... समाज के पढ़े-लिखे तबके ने इस कुप्रथा को बंद करने के लिए और इसके खिलाफ कानून बनाए जाने को लेकर समाज के साथ मिल सामूहिक सहमति बनाई है... इसके साथ ही समाज के लोगों ने बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी सर्व सहमति से निर्णय लिया है... इस संबंध में सांसी समाज के प्रदेश महासचिव राकेश रावत ने ईटीवी भारत का कुकड़ी प्रथा के खिलाफ मुहिम छेड़ने को लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया... साथ ही कहा कि अब समाज में इस प्रथा को बंद करने पर सहमति बनी है,,, और यदि अब भी किसी परिवार या पंच पटेलों की ओर से इस प्रथा को जारी रखा जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करवाई जाएगी... इसके साथ ही सांसी समाज में बारात में महिलाओं को ले जाने पर भी पाबंदी थी,,, इस भेदभाव को भी खत्म करने पर निर्णय लिया गया... आपको बता दें कि 13वीं शताब्दी से प्रदेश के सांसी समुदाय में कुकड़ी कुप्रथा चली आ रही है... जिसमें नवविवाहिता की वर्जिनिटी चेक की जाती है... इस कुप्रथा के खिलाफ ईटीवी भारत ने बीते 1 साल से मुहिम छेड़ रखी थी... जिस पर अब समाज के लोगों ने भी इस कुप्रथा को बंद करने का फैसला लिया है...


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