जयपुर. बीते 15 मई को राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार को तीन मांगों पर कार्रवाई करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था. उसके अनुसार यदि कार्रवाई नहीं होगी तो वो प्रदेश में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे. आज मई माह का अंतिम दिन है और पायलट की डेडलाइन का भी अंतिम दिन है. ऐसे में आज सरकार की ओर से उनकी तीन मांगों पर कोई फैसला नहीं होता है तो पायलट कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. अब वो बड़ा निर्णय किसी आंदोलन की ओर या फिर कांग्रेस से बाहर की ओर जाएगा ? ये आने वाले कुछ दिनों में ही स्पष्ट हो जाएगा. हालांकि इस बात की उम्मीद ज्यादा है कि पायलट जनता के बीच रखी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर कोई ना कोई एक्शन जरूर लेंगे.
पद नहीं पायलट के लिए मांगों पर कार्रवाई ज्यादा जरूरी : भले ही यह कह जा रहा है कि सचिन पायलट को कांग्रेस में कोई पद देकर समाहित किया जाएगा, लेकिन सचिन पायलट को कांग्रेस में पद पाने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. वैसे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें राजस्थान में कोई पद देकर समाहित करने का कड़ा विरोध कर रहे हैं तो उन्हें भी पार्टी सीधा नाराज नहीं करेगी. लेकिन अब पायलट के पास इंतजार करने का ज्यादा समय नहीं है. उनके लिए पद से ज्यादा महत्वपूर्ण उन शब्दों की प्रतिष्ठा हो चुकी है जो उन्होंने जनता के बीच खड़े होकर कहे थे. ऐसे में आज उनके अल्टीमेटम पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो पायलट कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. मांगे नहीं माने जाने की स्थिति में पायलट का रास्ता नई पार्टी की ओर या मोदी की ओर जाएगा ये तो आने वाला समय बताएगा. वैसे भी मोदी ने राजस्थान में चुनावी शंखनाद के लिए जिस अजमेर को चुना है, वो पायलट की कर्मभूमि रही है. अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ पैदल मार्च भी पायलट ने इसी अजमेर से निकाला था. ऐसे में अजमेर में पायलट और मोदी केवल संयोग है या स्ट्रेटजी ये आने वाला समय ही बताएगा.
राहुल से आगे पायलट के पास नहीं बचा कोई रास्ता : भले ही कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने यह कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एकजुट होकर चुनाव में जाने के लिए अपनी सहमति दे दी है. चुनाव में किसकी क्या भूमिका रहेगी ये फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया है. परंतु पायलट अब ज्यादा इंतजार करने की स्थिति में नहीं हैं. वैसे भी जब राहुल गांधी से बात होने के बाद भी अगर फैसला नहीं होता है तो फिर पायलट ही नहीं बल्कि किसी भी कांग्रेस नेता के पास राहुल गांधी से बड़ा नेता का विकल्प नहीं है. जिनसे बातचीत कर वो अपनी बात रख सकें.
पायलट के अल्टीमेटम का आज अंतिम दिन, मुख्यमंत्री गहलोत पर सभी की निगाहें - Pilot vs gehlot
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 15 दिन के अंदर उनके तीन मांगों पर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया था. जिसकी मियाद आज समाप्त हो रही है. इसलिए सभी की निगाहें मुख्यमंत्री गहलोत के एक्शन पर टिकी हैं.
जयपुर. बीते 15 मई को राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार को तीन मांगों पर कार्रवाई करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था. उसके अनुसार यदि कार्रवाई नहीं होगी तो वो प्रदेश में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे. आज मई माह का अंतिम दिन है और पायलट की डेडलाइन का भी अंतिम दिन है. ऐसे में आज सरकार की ओर से उनकी तीन मांगों पर कोई फैसला नहीं होता है तो पायलट कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. अब वो बड़ा निर्णय किसी आंदोलन की ओर या फिर कांग्रेस से बाहर की ओर जाएगा ? ये आने वाले कुछ दिनों में ही स्पष्ट हो जाएगा. हालांकि इस बात की उम्मीद ज्यादा है कि पायलट जनता के बीच रखी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर कोई ना कोई एक्शन जरूर लेंगे.
पद नहीं पायलट के लिए मांगों पर कार्रवाई ज्यादा जरूरी : भले ही यह कह जा रहा है कि सचिन पायलट को कांग्रेस में कोई पद देकर समाहित किया जाएगा, लेकिन सचिन पायलट को कांग्रेस में पद पाने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. वैसे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें राजस्थान में कोई पद देकर समाहित करने का कड़ा विरोध कर रहे हैं तो उन्हें भी पार्टी सीधा नाराज नहीं करेगी. लेकिन अब पायलट के पास इंतजार करने का ज्यादा समय नहीं है. उनके लिए पद से ज्यादा महत्वपूर्ण उन शब्दों की प्रतिष्ठा हो चुकी है जो उन्होंने जनता के बीच खड़े होकर कहे थे. ऐसे में आज उनके अल्टीमेटम पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो पायलट कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. मांगे नहीं माने जाने की स्थिति में पायलट का रास्ता नई पार्टी की ओर या मोदी की ओर जाएगा ये तो आने वाला समय बताएगा. वैसे भी मोदी ने राजस्थान में चुनावी शंखनाद के लिए जिस अजमेर को चुना है, वो पायलट की कर्मभूमि रही है. अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ पैदल मार्च भी पायलट ने इसी अजमेर से निकाला था. ऐसे में अजमेर में पायलट और मोदी केवल संयोग है या स्ट्रेटजी ये आने वाला समय ही बताएगा.
राहुल से आगे पायलट के पास नहीं बचा कोई रास्ता : भले ही कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने यह कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एकजुट होकर चुनाव में जाने के लिए अपनी सहमति दे दी है. चुनाव में किसकी क्या भूमिका रहेगी ये फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया है. परंतु पायलट अब ज्यादा इंतजार करने की स्थिति में नहीं हैं. वैसे भी जब राहुल गांधी से बात होने के बाद भी अगर फैसला नहीं होता है तो फिर पायलट ही नहीं बल्कि किसी भी कांग्रेस नेता के पास राहुल गांधी से बड़ा नेता का विकल्प नहीं है. जिनसे बातचीत कर वो अपनी बात रख सकें.