जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर राजस्थान में सरकार और डॉक्टरों के बीच बीते 10 दिन से टकराव के हालात बने हुए हैं. निजी अस्पतालों के कार्य बहिष्कार के चलते राजस्थान में मरीजों पर बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है, लेकिन अब तक न तो डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल को अपनाने को तैयार है न ही सरकार इस बिल को वापस लेने के मूड में है. ऐसे में राजस्थान में सरकार और डॉक्टरों के बीच टकराव के हालात बन गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री इस बिल को लेकर डॉक्टरों के रवैया को गलत बता रहे हैं और सख्ती बरतने की बात कहते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार के ही दूसरे मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास साहब कहते नजर आ रहे हैं कि सरकार का कोई भी मंत्री हो, वह टकराव की बात कर ही नहीं सकता. वह तो जनसेवक होता है, जो हाथ जोड़कर अपनी बात रख सकता है. आंदोलन करने वाले धमकी देने और टकराव की बात कर सकते हैं, लेकिन सरकार कभी घमंड की भाषा नहीं बोल सकती और ना ही वह टकराव की बात कर सकती है.
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मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मंगलवार को जयपुर में मीडिया से बात कहा कि हम डॉक्टरों से टकराव नहीं चाहते. डॉक्टर हमारे परिवार का हिस्सा है. हम चाहते हैं कि डॉक्टर के साथ बैठकर समस्या का समाधान हो. उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री से रिक्वेस्ट की है कि वो डॉक्टरों को डायरेक्ट बुलाकर अगर बात करेंगे तो समस्या का समाधान हो जाएगा. सरकार का बड़ा दिल होता है. सरकार कभी भी घमंडी नहीं होती और किसी मुद्दे को प्रेस्टीज इश्यू नहीं बनाती. भले ही वो कोई भी सरकार क्यों न हो.
उन्होंने कहा कि राजस्थान देश में वह राज्य बनेगा जहां पहली बार 25 लाख का इलाज फ्री होगा. ऐसे में हमें अगर धरती के भगवान की बात मानने के लिए चार कदम पीछे भी लेने पड़े तो यह काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में समाधान निकलना चाहिए, ताकि डॉक्टरों का भी समस्या का समाधान हो जाए और मरीजों की समस्या का समाधान हो जाए. ऐसा समाधान हो कि लोगों को भी अधिकार मिल जाए और डॉक्टरों को भी आपत्ति ना हो. खाचरियावास ने कहा कि डॉक्टर और सरकार मिलकर बात करेंगे तो रास्ता निकल जाएगा.
मुख्यमंत्री से उनकी सीधी बात होगी तो मामला निपट जाएगा. उन्होंने कहा कि अब मरीजों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी है. ऐसे में सरकार को चार कदम पीछे लेने पड़ेंगे तो हम लेंगे. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा का नाम तो नहीं लिया, लेकिन यह जरूर कहा कि किसी भी सरकार के नेता को घमंड की भाषा बोलने का अधिकार नहीं है. हम घमंड करने के लिए नहीं हैं.
नेता जनसेवक होता है, जो हाथ जोड़कर बात करे, धमकी देकर बात नहीं करे. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी धमकी दे सकते हैं, लेकिन सरकार कभी धमकी नहीं दे सकती. अगर मेरे डॉक्टरों के सामने हाथ जोड़ने से डेडलॉक टूटता है तो मुझे हाथ जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं. क्योंकि डॉक्टरों का ज्यादा हड़ताल पर रहना मरीजों के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में सरकार बड़े दिल से इस मामले में काम करे.