जयपुर. कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने गुरुवार को अजमेर में जन आक्रोश मार्च शुरू किया. युवाओं और प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार के मसले पर सचिन पायलट में राजस्थान लोक सेवा आयोग से जयपुर के रुख का ऐलान किया था. इस बीच प्रदेश के युवा बेरोजगारों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर चुनावी साल में उनके मुद्दों को नजरअंदाज किया गया, तो फिर सरकार को वोट की चोट का सामना करना होगा. राजस्थान युवा बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने सरकार से कहा कि वक्त रहन उनके मुद्दों पर गौर किया जाए.
माना जा रहा है कि प्रदेश में फिलहाल भ्रष्टाचार के बाद सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं की बेरोजगारी का है और आने वाले चुनाव में पेपर लीक बेरोजगारी की दर के साथ-साथ युवाओं की भर्तियों का मसला सबसे अहम होगा. जाहिर है कि कांग्रेस संगठन के अंदर ही युवाओं का मसला इस बार चुनावी मुद्दा बन रहा है, ऐसे में विपक्ष भी इस मामले में पीछे रहने वाला नहीं है. मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के दौर में दरअसल, हालात भी ऐसे ही बनते जा रहे हैं. जहां भर्तियां तो निकाली जा रही है, लेकिन वक्त पर इन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है. पेपर लीक के चलते भी युवाओं का भर्तियों से भरोसा उठता जा रहा है.
पेपर लीक मामले
- आरएएस- 2013
- एलडीसी- 2013
- कांस्टेबल- 2018
- लाइब्रेरियन- 2018
- जेईएन सिविल-2018
- रीट लेवल 2- 2021
- कांस्टेबल-2022
- वनरक्षक-2020
- वरिष्ठ अध्यापक-2022
5 साल से राजस्थान में बढ़ती बेरोजगारी दर
- जनवरी-2019 - 7.7
- जनवरी-2020 - 11.0
- जनवरी-2021 - 17.5
- जनवरी-2022 - 18.9
- जनवरी-2023 - 21.1
अशोक गहलोत सरकार के इस कार्यकाल में बेरोजगारी की दर में तीन गुणा तक इजाफा हुआ है. साल 2019 जनवरी में बेरोजगारी दर 7.7 फीसदी पर थी, जो जनवरी 2023 में बढ़कर 21.1 तक पहुंच गई. इस साल बजट में सरकार ने एक लाख भर्तियों का ऐलान किया है. लेकिन बजट को 4 महीने बीतने के बाद भी इनका वर्गीकरण जारी नहीं किया गया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार कार्यकाल के बचे हुए वक्त में एक लाख नई भर्तियां पूरी कर पाएंगी. सरकार ने पेपर लीक जैसे मामलों को रोकने के लिए पिछले साल कानून बनाया था. बावजूद इसके पेपर लीक के मामलों पर लगाम नहीं कसी जा सकी है. पिछले साल तीन पेपर लीक की घटनाएं तो कानून बनने के बाद हो गईं.
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आने वाले चुनाव में होगी युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
युवा बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि सरकार को पता है कि आने वाले चुनाव में युवाओं की भूमिका अहम रहने वाली है. सरकार यह भली-भांति जानती है कि कितनी भर्तियां प्रक्रियाधीन है, जिनका युवा इंतजार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री खुद एक लाख भर्तियों का बजट में ऐलान कर चुके हैं. लेकिन इस सिलसिले में काम कितना आगे बढ़ पाया, यह विषय विचारणीय है. चुनाव में करीब 6 महीने बचे हैं और युवा इस बात को लेकर पशोपेश में है कि कौन सी महकमे में कितनी भर्तियां आने वाली है. सरकार अब तक इसको लेकर वर्गीकरण तक नहीं कर सकी है. युवा इस बात को लेकर परेशान है कि भर्तियों की विज्ञप्ति कब तक जारी की जाएगी. उपेन यादव ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर इन भर्तियों को वक्त रहते पूरा किया गया, तो चुनाव में लाभ भी मिल सकता है. अगर सरकार नाकाम रहती है, तो फिर युवाओं के आक्रोश का भी सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और पार्टियां अब इस बात को भलीभांति समझ ले कि युवा को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है.