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राजस्थान भाजपा नेताओं में फूट, विधायक बना रहे दूरियां, आखिर क्या है वजह - राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 से पहले भाजपा नेताओं में फूट देखने को मिल रही है. हाल ही में बीजेपी की ओर से किए गए विरोध प्रदर्शन में बीजेपी के विधायक और पूर्व विधायकों ने दूरी बना ली. देखिए ये रिपोर्ट.

BJP MLA made distance from party program
सतीश पूनिया
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Published : Aug 23, 2022, 4:04 PM IST

जयपुर. मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा राजधानी जयपुर में ही एकजुट नजर नहीं आ रही है. जयपुर शहर से जुड़े विधायक पार्टी के कार्यक्रमों में कम ही दिखते हैं. आलम यह है कि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में हाल ही में किए गए विरोध प्रदर्शन में जयपुर के ही विधायक और पूर्व विधायक नहीं जुटे (BJP MLA made distance from party program). जबकि इस दिन यह विधायक शहर में ही थे और उस के दूसरे दिन तक कई अन्य कार्यक्रमों में देखे गए.

पार्टी संगठन के कार्यक्रमों से मौजूदा विधायक और पूर्व विधायकों की इस दूरी की चर्चा इन दिनों भाजपा के गलियारों में आम हो चुकी है. चर्चा यह भी है कि आखिर इन विधायकों और पूर्व विधायकों ने पार्टी संगठन के कार्यक्रमों से दूरियां क्यों बनाई. हालांकि मौजूदा विधायकों की दूरी के बावजूद विरोध प्रदर्शन से जुड़े कार्यक्रम में हजारों लोग जुटे. लेकिन मौजूदा जनप्रतिनिधियों की नाराजगी की चर्चाएं भी बनी रही.

पढ़ें: बीजेपी के पूर्व मंत्री ने ली चुटकी, कहा- सचिन पायलट का मनोबल कमजोर पड़ गया वरना अब तक तो सरकार बदल जाती

इन नेताओं ने बनाई दूरी या कोई अन्य है वजह: शनिवार को प्रदेश में बढ़ते अपराध के खिलाफ हुई भाजपा की रैली में जयपुर से आने वाले विधायक कालीचरण सराफ अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी शामिल नहीं हुए. वहीं पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी कार्यक्रम से दूरियां बनाए रखी. चर्चा इन नेताओं के कार्यक्रम से दूरी बनाने की जितनी है, उससे ज्यादा उसके कारणों की है. बताया जा रहा है प्रदेश संगठन के की ओर से जयपुर में होने वाले बड़े कार्यक्रम या अन्य गतिविधियों को लेकर यहां मौजूदा विधायकों से ना तो चर्चा होती है और ना ही उन्हें ज्यादा तवज्जो मिलती है. ऐसे में कार्यक्रम के बुलावे के बाद भी यह नेता मन से इन कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं निभाते. वहीं चर्चा यह भी है कुछ नेता पुराने मतभेदों के कारण इस प्रकार के कारण इन कार्यक्रमों से तो दूरी बनाते हैं. लेकिन अपनी विधानसभा क्षेत्र के भीतर पार्टी से जुड़े कार्यक्रमों को बखूबी करते हैं.

कार्यक्रम से दूर लेकिन अपने क्षेत्र के अन्य कार्यक्रमों में नजर आए नेता: शनिवार को जयपुर में सतीश पूनिया के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन में भले ही यह विधायकों और पूर्व विधायक नजर ना आए हों. लेकिन इसी दिन यह नेता कई अन्य कार्यक्रमों में जरूर देखे गए. इसके अलावा दूसरे दिन भी यह विधायक और पूर्व विधायक कुछ सामाजिक कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से शामिल हुए. हालांकि विद्याधर नगर से भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी हाल ही में कोरोना से पीड़ित होकर स्वस्थ हुए हैं. जिसके चलते वे भीड़भाड़ वाले इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. लेकिन इसके पीछे कुछ अन्य सियासी कारण भी नजर आते हैं. वहीं अन्य विधायक और पूर्व विधायकों से जब इस बारे में संपर्क साधा गया तो उन्होंने इस सवाल पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

पढ़ें. भीलवाड़ा में कांस्टेबल की मौत का मामला, कालूलाल गुर्जर ने कहा-सिपाही की मौत के जिम्मेदार सीएम हैं

विधानसभा चुनाव से पहले यह दूरियां ना पड़ जाए भारी: प्रदेश में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन उससे पहले मौजूदा भाजपा विधायकों की संगठनात्मक विरोध प्रदर्शन से दूरियां पार्टी संगठन के लिए ही नहीं बल्कि इन विधायक और पूर्व विधायकों के लिए भी परेशानी बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं. क्योंकि पार्टी आलाकमान राजस्थान में होने वाली हर कवायद पर पूरी नजर रखे हुए है और बड़े नेताओं के प्रदेश में हो रहे दौरे इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

जयपुर. मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा राजधानी जयपुर में ही एकजुट नजर नहीं आ रही है. जयपुर शहर से जुड़े विधायक पार्टी के कार्यक्रमों में कम ही दिखते हैं. आलम यह है कि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में हाल ही में किए गए विरोध प्रदर्शन में जयपुर के ही विधायक और पूर्व विधायक नहीं जुटे (BJP MLA made distance from party program). जबकि इस दिन यह विधायक शहर में ही थे और उस के दूसरे दिन तक कई अन्य कार्यक्रमों में देखे गए.

पार्टी संगठन के कार्यक्रमों से मौजूदा विधायक और पूर्व विधायकों की इस दूरी की चर्चा इन दिनों भाजपा के गलियारों में आम हो चुकी है. चर्चा यह भी है कि आखिर इन विधायकों और पूर्व विधायकों ने पार्टी संगठन के कार्यक्रमों से दूरियां क्यों बनाई. हालांकि मौजूदा विधायकों की दूरी के बावजूद विरोध प्रदर्शन से जुड़े कार्यक्रम में हजारों लोग जुटे. लेकिन मौजूदा जनप्रतिनिधियों की नाराजगी की चर्चाएं भी बनी रही.

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इन नेताओं ने बनाई दूरी या कोई अन्य है वजह: शनिवार को प्रदेश में बढ़ते अपराध के खिलाफ हुई भाजपा की रैली में जयपुर से आने वाले विधायक कालीचरण सराफ अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी शामिल नहीं हुए. वहीं पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी कार्यक्रम से दूरियां बनाए रखी. चर्चा इन नेताओं के कार्यक्रम से दूरी बनाने की जितनी है, उससे ज्यादा उसके कारणों की है. बताया जा रहा है प्रदेश संगठन के की ओर से जयपुर में होने वाले बड़े कार्यक्रम या अन्य गतिविधियों को लेकर यहां मौजूदा विधायकों से ना तो चर्चा होती है और ना ही उन्हें ज्यादा तवज्जो मिलती है. ऐसे में कार्यक्रम के बुलावे के बाद भी यह नेता मन से इन कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं निभाते. वहीं चर्चा यह भी है कुछ नेता पुराने मतभेदों के कारण इस प्रकार के कारण इन कार्यक्रमों से तो दूरी बनाते हैं. लेकिन अपनी विधानसभा क्षेत्र के भीतर पार्टी से जुड़े कार्यक्रमों को बखूबी करते हैं.

कार्यक्रम से दूर लेकिन अपने क्षेत्र के अन्य कार्यक्रमों में नजर आए नेता: शनिवार को जयपुर में सतीश पूनिया के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन में भले ही यह विधायकों और पूर्व विधायक नजर ना आए हों. लेकिन इसी दिन यह नेता कई अन्य कार्यक्रमों में जरूर देखे गए. इसके अलावा दूसरे दिन भी यह विधायक और पूर्व विधायक कुछ सामाजिक कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से शामिल हुए. हालांकि विद्याधर नगर से भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी हाल ही में कोरोना से पीड़ित होकर स्वस्थ हुए हैं. जिसके चलते वे भीड़भाड़ वाले इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. लेकिन इसके पीछे कुछ अन्य सियासी कारण भी नजर आते हैं. वहीं अन्य विधायक और पूर्व विधायकों से जब इस बारे में संपर्क साधा गया तो उन्होंने इस सवाल पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

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विधानसभा चुनाव से पहले यह दूरियां ना पड़ जाए भारी: प्रदेश में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन उससे पहले मौजूदा भाजपा विधायकों की संगठनात्मक विरोध प्रदर्शन से दूरियां पार्टी संगठन के लिए ही नहीं बल्कि इन विधायक और पूर्व विधायकों के लिए भी परेशानी बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं. क्योंकि पार्टी आलाकमान राजस्थान में होने वाली हर कवायद पर पूरी नजर रखे हुए है और बड़े नेताओं के प्रदेश में हो रहे दौरे इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

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