जयपुर. इसे राजस्थान विश्वविद्यालय की लेटलतीफी का है या फिर राजनीतिक अड़ंगा कि जिस स्मार्ट लाइब्रेरी को 9 महीने में तैयार होना था वो 74 महीने बाद भी शुरू नहीं हो पाई (RU awaits Smart Jaipur Central Library ). आलम ये है कि इस लाइब्रेरी में रखा हुआ सामान और इंफ्रास्ट्रक्चर भी खराब होता जा रहा है लेकिन इसकी सुध नहीं ली जा रही. हालांकि छात्र संघ चुनाव में लगभग सभी छात्र नेताओं ने सेंट्रल लाइब्रेरी को अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया था. लेकिन चुनाव संपन्न हुए डेढ़ महीना बीत जाने के बाद मामला ठंडा ही पड़ा हुआ है.
दरअसल, विश्वविद्यालय में 7 जुलाई 2016 को भाजपा सरकार में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ और कुलपति जेपी सिंघल ने स्मार्ट लाइब्रेरी के भवन का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया था. लाइब्रेरी भवन का काम शुरू होने के बाद कालीचरण सराफ, किरण माहेश्वरी, भंवर सिंह भाटी के बाद अब राजेंद्र यादव चौथे उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में काम कर रहे है (Smart Jaipur Central Library). वहीं आरयू में जेपी सिंघल, राजेश्वर सिंह, प्रो. आरके कोठारी, प्रो. जेपी यादव के बाद प्रो. राजीव जैन पांचवें कुलपति का पद्भार संभाले हैं. यानी 4 शिक्षा मंत्री और 5 कुलपति बदले फिर भी स्मार्ट लाईब्रेरी बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया.
लाइब्रेरी का इंतजार क्यों?: भूमि पूजन के दौरान तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने नौ महीने में लाइब्रेरी भवन तैयार होने की बात कही थी. इस लाइब्रेरी पर 12 करोड़ खर्च होने के बाद भी अब तक छात्र यहां से मायूस ही लौटे हैं. नवनिर्मित लाइब्रेरी की क्षमता करीब एक हजार छात्रों की होगी. जो वर्तमान में संचालित लाइब्रेरी से ज्यादा भी है. नई लाइब्रेरी में पर्याप्त सीट मिलेगी, यही वजह है कि छात्रों को इस लाइब्रेरी का इंतजार है.
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फीस पूरी लेकिन सुविधा...: छात्रों की मानें तो राजस्थान यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी में सीट सीमित है. ऐसे में छात्रों को अपने विभाग में या फिर बाहर दूसरी प्राइवेट लाइब्रेरी में जाना पड़ता है. जबकि राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन के समय विद्यार्थी लाइब्रेरी की फीस देते हैं, वहीं दूसरी ओर निजी लाइब्रेरी में भी उन्हें फीस देनी पड़ती है. ऐसे में विद्यार्थियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. ईटीवी भारत से कुछ छात्रों ने अपनी मन की बात साझा करते हुए कहा कि वह जब यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले रहे थे तब लाइब्रेरी का काम चल रहा था और आज वो पास आउट होने को हैं और अभी भी इसका लोकार्पण नहीं हो पाया है.
तो अब!: बीते दिनों छात्रसंघ महासचिव अरविंद जाजड़ा ने लाइब्रेरी का ताला तोड़कर इसमें प्रवेश किया और इसे उद्घाटन का नाम दे दिया. वहीं छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी अभी भी लाइब्रेरी के उद्घाटन के प्रयास में जुटे हुए हैं. वहीं डीएसडब्ल्यू नरेश मलिक ने बताया कि इस संबंध में वाइस चांसलर से बात हो चुकी है. कार्य प्रगति पर है. लाइब्रेरी का एक हिस्सा ठीक करा दिया गया है. दीपावली के बाद इसका उद्घाटन भी हो जाएगा.
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स्मार्ट लाइब्रेरी कैसी?: चूंकि स्मार्ट लाइब्रेरी को पूरी तरह कम्प्यूटराइज्ड किया जाना है. लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों की जानकारी भी ऑनलाइन मिल सकेगी और कौन सी पुस्तक कहा पर रखी है, ये भी एक क्लिक पर पता चल सकेगा. शोधार्थी रिसर्च पेपर भी ऑनलाइन सर्च कर सकेंगे और उन्हें अलग-अलग लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिए हजारों रुपए खर्च नहीं करने पड़ेंगे. मॉडर्न लाइब्रेरी चालू होने पर उन्हें ये कंटेट निशुल्क उपलब्ध होगा. इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी इसका लाभ ले सकेंगे. लाइब्रेरी शुरू नहीं होने से शोध पर भी प्रभाव पड़ रहा है.