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बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में राजस्थान सबसे आगे - जयपुर

बेनामी संपत्ति मामलों में राजस्थान सबसे आगे है. ज्यादातर बेनामी संपत्तियां गरीब व्यक्तियों के नाम से ही निकलती है. वहीं, बेनामी एक्ट के प्रभावी रूप से लागू होने के बाद काले धन पर काफी हद तक रोक लग सकी है.

आयकर विभाग (फाइल फोटो).
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Published : Apr 1, 2019, 11:27 AM IST

जयपुर. बेनामी संपत्तियां अटैच मामलों में राजस्थान सबसे आगे है. राजस्थान आयकर विभाग की बेनामी निषेध यूनिट ने बेनामी एक्ट के तहत साल 2017-18 में 200 संपत्तियां अटैच की थी. वहीं, 2018-19 में 194 बेनामी संपत्तिया अटैच की जा चुकी है.

आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन महानिदेशक सतीश के. गुप्ता ने बताया कि 2017 से 2019 तक 2 साल में राजस्थान बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में सबसे अधिक रहा है. उन्होंने बताया कि बहुत से लोग अपने ड्राइवर, माली और नौकर के बैंक अकाउंट बिना बताए उपयोग करते हैं. साथ ही बिना बताए ही उनका पैन कार्ड, आधार कार्ड, पहचान कार्ड भी उपयोग करते हैं और इन्हीं के नाम से संपत्तियां खरीद लेते हैं. इसके जरिए वो अपना काला धन निवेश करते हैं.

एक तिहाई केसों में कई बिल्डर एससी-एसटी एक्ट का उपयोग करके एससी या एसटी के व्यक्ति के नाम से ही संपत्ति खरीद लेते हैं. ऐसे केसों में खरीदने वाला और नामदार दोनों को सजा का प्रावधान है. कोई व्यक्ति अपने पैसों से किसी और के नाम से संपत्ति खरीद रहा है या ट्रांजैक्शन कर रहा है तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति संपत्ति अपने रिश्तेदार के नाम से खरीद रहा है तो उनका जॉइंट नाम होना चाहिए, ऐसा नहीं होने पर उसे बेनामी संपत्ति ही माना जाएगा.

बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में राजस्थान सबसे आगे

गौरतलब है कि जब से बेनामी एक्ट प्रभावी रूप से लागू हुआ है, राजस्थान आयकर विभाग ने बेनामी एक्ट के तहत दोहरे शतक लगाए हैं. बता दें कि बेनामी एक्ट साल1988 में लागू हुआ था, लेकिन साल 2017 में बेनामी एक्ट प्रभावी तरह से लागू हुआ था.

जयपुर. बेनामी संपत्तियां अटैच मामलों में राजस्थान सबसे आगे है. राजस्थान आयकर विभाग की बेनामी निषेध यूनिट ने बेनामी एक्ट के तहत साल 2017-18 में 200 संपत्तियां अटैच की थी. वहीं, 2018-19 में 194 बेनामी संपत्तिया अटैच की जा चुकी है.

आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन महानिदेशक सतीश के. गुप्ता ने बताया कि 2017 से 2019 तक 2 साल में राजस्थान बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में सबसे अधिक रहा है. उन्होंने बताया कि बहुत से लोग अपने ड्राइवर, माली और नौकर के बैंक अकाउंट बिना बताए उपयोग करते हैं. साथ ही बिना बताए ही उनका पैन कार्ड, आधार कार्ड, पहचान कार्ड भी उपयोग करते हैं और इन्हीं के नाम से संपत्तियां खरीद लेते हैं. इसके जरिए वो अपना काला धन निवेश करते हैं.

एक तिहाई केसों में कई बिल्डर एससी-एसटी एक्ट का उपयोग करके एससी या एसटी के व्यक्ति के नाम से ही संपत्ति खरीद लेते हैं. ऐसे केसों में खरीदने वाला और नामदार दोनों को सजा का प्रावधान है. कोई व्यक्ति अपने पैसों से किसी और के नाम से संपत्ति खरीद रहा है या ट्रांजैक्शन कर रहा है तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति संपत्ति अपने रिश्तेदार के नाम से खरीद रहा है तो उनका जॉइंट नाम होना चाहिए, ऐसा नहीं होने पर उसे बेनामी संपत्ति ही माना जाएगा.

बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में राजस्थान सबसे आगे

गौरतलब है कि जब से बेनामी एक्ट प्रभावी रूप से लागू हुआ है, राजस्थान आयकर विभाग ने बेनामी एक्ट के तहत दोहरे शतक लगाए हैं. बता दें कि बेनामी एक्ट साल1988 में लागू हुआ था, लेकिन साल 2017 में बेनामी एक्ट प्रभावी तरह से लागू हुआ था.

Intro:जयपुर
एंकर- बेनामी संपत्तिया अटैच मामलों में राजस्थान आयकर विभाग सबसे आगे है। जबसे बेनामी एक्ट प्रभावी रूप से लागू हुआ है, राजस्थान आयकर विभाग ने बेनामी एक्ट के तहत दोहरे शतक लगाए हैं। बेनामी एक्ट वर्ष 1988 में लागू हुआ था लेकिन वर्ष 2017 में बेनामी एक्ट प्रभावी तरह से लागू हुआ था। राजस्थान आयकर विभाग की बेनामी निषेध यूनिट ने बेनामी एक्ट के तहत वर्ष 2017-18 में 200 संपत्तियां अटैच की थी। और 2018-19 में 194 बेनामी संपत्तिया अटैच की है।


Body:बेनामी संपत्तिया अटैच मामलों में राजस्थान आयकर विभाग सबसे आगे है। जबसे बेनामी एक्ट प्रभावी रूप से लागू हुआ है, राजस्थान आयकर विभाग ने बेनामी एक्ट के तहत दोहरे शतक लगाए हैं। बेनामी एक्ट वर्ष 1988 में लागू हुआ था लेकिन वर्ष 2017 में बेनामी एक्ट प्रभावी तरह से लागू हुआ था। राजस्थान आयकर विभाग की बेनामी निषेध यूनिट ने बेनामी एक्ट के तहत वर्ष 2017-18 में 200 संपत्तियां अटैच की थी। और 2018-19 में 194 बेनामी संपत्तिया अटैच की है।
आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन महानिदेशक सतीश के गुप्ता ने बताया कि 2017 से 2019 तक 2 सालों में राजस्थान बेनामी संपत्ति अटैच मामलों में सबसे अधिक रहा है। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग अपने ड्राइवर, माली और नौकर के बैंक अकाउंट बिना बताए उपयोग करते हैं। और बिना बताए ही उनका पैन कार्ड, आधार कार्ड, पहचान कार्ड उपयोग करते हैं और इन्हीं के नाम से संपत्तियां खरीद लेते हैं। जिससे अपना काला धन निवेश कर देते हैं। बेनामी एक्ट काले धन पर लगाम लगाने में काफी सक्षम रहा है। इसमें राजस्थान सबसे आगे है। ज्यादातर बेनामी संपत्तिया गरीब व्यक्तियों के नाम से निकलती है। चाहे वह ड्राइवर हो, माली हो, नौकर हो, या ऑफिस का व्यक्ति हो।
एक तिहाई केसों में कई बिल्डर लोग एससी-एसटी एक्ट का उपयोग करके एससी या एसटी के व्यक्ति के नाम से ही संपत्ति खरीद लेते हैं। ऐसे केसों में खरीदने वाला और नामदार दोनों को सजा का प्रावधान है। कोई व्यक्ति अपने पैसों से किसी और के नाम से संपत्ति खरीद रहा है या ट्रांजैक्शन कर रहा है तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति संपत्ति अपने रिश्तेदार के नाम से खरीद रहा है तो उनका जॉइंट नाम होना चाहिए, ऐसा नहीं होने पर उसे बेनामी संपत्ति ही माना जाएगा।

बाईट- सतीश के गुप्ता, महानिदेशक इन्वेस्टिगेशन, आयकर विभाग राजस्थान





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