जयपुर. एक समय था जब राजस्थान ओलंपिक संघ में जनार्दन सिंह गहलोत की तूती बोलती थी और 40 सालों तक उन्होंने संघ की बागडोर संभाली, लेकिन उनके निधन के बाद संघ दो गुटों में बंट गया है. इस लड़ाई का मुख्य कारण भारतीय ओलिंपिक संघ की राजनीति है, क्योंकि यहां भी खींचतान लगातार जारी है. इस खींचतान का सीधा असर राजस्थान पर नजर आया है. दिसंबर में भारतीय ओलंपिक संघ के चुनाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में राजस्थान से वोटिंग का अधिकार किस गुट को मिलेगा, इसे लेकर संशय बरकरार है.
बीते एक साल से राजस्थान ओलंपिक संघ में विवाद चल रहा है. इस विवाद के कारण संघ दो टुकड़ों में बट गया है. अलग-अलग दो संघ संचालित किए जा रहे हैं. दोनों ही खुद के असली और वास्तविक होने का दावा कर रहे हैं. प्रदेश में ओलंपिक संघ दो-दो बने हुए हैं. एक है अनिल व्यास गुट और दूसरा है अरूण सारस्वत गुट. रामवतार सिंह जाखड़ की अध्यक्षता वाले अनिल व्यास गुट खुद को वास्तविक राजस्थान ओलंपिक संघ मानते हैं. गुट के चेयरमैन अनिल व्यास का कहना है कि भारतीय ओलंपिक संघ की वेबसाइट पर उन्हें अधिकृत किया गया है. हाल ही में आयोजित हुए नेशनल गेम्स में हमारे बैनर तले टीमें खेली हैं. हमारे पदाधिकारी लगातार इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं.
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वहीं अरुण सारस्वत गुट द्वारा गठित ओलंपिक संघ में साधारण सभा की बैठक आयोजित की गई और बैठक में वार्षिक अनुदान और बजट का अनुमोदन तो किया ही गया. साथ ही यह भी तय हुआ कि ओंलपिक संघ में विवाद का कारण बने हुए खेल संघ पदाधिकारियों को सस्पेंड किया जाएगा. अजीत सिंह की अध्यक्षता वाले ओलंपिक संघ के जनरल सेक्रेटरी अरूण सारस्वत का कहना है कि कुछ लोगों ने भारतीय ओलंपिक संघ और राजस्थान ओलंपिक संघ को समानांतर रूप से चलाते हुए इसे खंडित करने का गलत प्रयास किया है. सारस्वत गुट का दावा है कि आज भी उनके पास 80% खेल संघ है. वे दोबारा चुनाव के लिए तैयार हैं.