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कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामला : विधानसभा में हंगामे के बीच राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ पेश हुआ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव

Rajasthan MLAs Resignation Case राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को हंगामे के बीच उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश हुआ. इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. किसने क्या कहा, यहां जानिए...

Rajendra Rathore
राजेंद्र राठौड़
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Published : Jan 31, 2023, 4:09 PM IST

Updated : Jan 31, 2023, 5:17 PM IST

जयपुर. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामला लगातार गरमाता जा रहा है. एक ओर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है तो दूसरी ओर विधानसभा में भी मंगलवार को इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट में 81 विधायकों के इस्तीफे को लेकर जनहित में दायर की गई याचिका को विधानसभा की अवहेलना मानते हुए निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव संदन की टेबलेट पर रखा. अब इस प्रस्ताव पर आगे का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को करना है. हालांकि, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष सहित विपक्ष के विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए विधायक लोढ़ा को प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी.

नियम संचालन 157 को लेकर हंगामा : दरअसल, विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के अंतर्गत उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगी. लोढ़ा के इस मामले को लेकर मांगी गई अनुमति पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आपत्ति दर्ज कराई. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के अंतर्गत अनुमति देने की बात कही, लेकिन उसके बावजूद भी राठौड़ नहीं माने और इस दौरान जमकर सदन में हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विपक्ष के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की. हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कार्य संचालन नियम 157 के बारे में तीन बार पढ़कर बताया और कहा कि किसी भी प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति देने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है और उसी अधिकार के तहत विधायक संयम लोढ़ा कोई अनुमति दी गई है.

पढ़ें : MLAs Resignation Case: विधानसभा सचिव के जवाब पर राजेंद्र राठौड़ को देना होगा उत्तर, अगली सुनवाई 13 फरवरी को

विपक्ष का आरोप- अध्यक्ष नहीं दे सकते अनुमति : विधायक संयम लोढ़ा को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की अनुमति पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सदन के बीच में इस तरह से कोई भी प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने का प्रावधान नहीं है. राठौड़ के उठाए गए सवाल के बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. अध्यक्ष सीपी जोशी ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जो नियम बने हुए हैं, उन्हीं नियमों के अनुसार सदन की कार्रवाई को चलाया जा रहा है. अगर फिर भी उन्हें कोई आपत्ति है तो वह सदन की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने संयम लोढ़ा को प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा.

पेश हुआ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव : विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में भारत के संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (ख) में साफ उल्लेख है. लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई निर्णय नहीं किया गया. अध्यक्ष के विचाराधीन होने के बावजूद भी उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकर्ट में याचिका दायर की. लोढ़ा ने कहा कि भारतीय संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायक पालिका का कार्यक्षेत्र बंटा हुआ है. बावजूद इसके, राठौड़ ने विधानसभा की कार्यवाही को कोर्ट में चुनौती दी. इस तरह के आचरण से प्रदेश की आठ करोड़ जनता के साथ सदन कि गरीमा को खंडित किया गया है. इसलिए कार्य संचालन नियम 157 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है. प्रस्ताव पेश होने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि जो प्रस्ताव संदन में लाया गया है, उस पर वो सोचकर निर्णय करेंगे.

पढे़ं : Rajasthan Budget 2023: गलत जवाब पर बिफरे स्पीकर जोशी, कहा- ऐसा करने से समाप्त होगी सदन की गरिमा

क्या है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ? : विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव विधानसभा के किसी भी सदस्य की ओर से पेश किया जा सकता है. विधानसभा में झूठे तथ्य पेश करके, सदन के सदस्यों के अधिकारों का सम्मान नहीं होने और सदन के अधिकारों को चुनौती देने सहित अन्य परिस्थितियों में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया जाता है. विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (ख) के प्रावधान के तहत लाया जाता है.

ये है पूरा मामला : कांग्रेस की ओर से 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक जयपुर में बुलाई गई थी. इस बैठक में सचिन पायलट को सीएम बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगने की आशंका के चलते सीएम अशोक गहलोत के गुट के विधायकों ने विरोध करत हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया था. साथ ही गहलोत खेमे के विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर रात में जाकर इस्तीफा सौंप दिया था. इन स्थितियों पर लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई निर्णय नहीं करने पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकर्ट में याचिका दायर कर स्थिति को स्वीकार करने की मांग की थी.

जयपुर. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामला लगातार गरमाता जा रहा है. एक ओर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है तो दूसरी ओर विधानसभा में भी मंगलवार को इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट में 81 विधायकों के इस्तीफे को लेकर जनहित में दायर की गई याचिका को विधानसभा की अवहेलना मानते हुए निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव संदन की टेबलेट पर रखा. अब इस प्रस्ताव पर आगे का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को करना है. हालांकि, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष सहित विपक्ष के विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए विधायक लोढ़ा को प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी.

नियम संचालन 157 को लेकर हंगामा : दरअसल, विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के अंतर्गत उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगी. लोढ़ा के इस मामले को लेकर मांगी गई अनुमति पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आपत्ति दर्ज कराई. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के अंतर्गत अनुमति देने की बात कही, लेकिन उसके बावजूद भी राठौड़ नहीं माने और इस दौरान जमकर सदन में हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विपक्ष के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की. हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कार्य संचालन नियम 157 के बारे में तीन बार पढ़कर बताया और कहा कि किसी भी प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति देने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है और उसी अधिकार के तहत विधायक संयम लोढ़ा कोई अनुमति दी गई है.

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विपक्ष का आरोप- अध्यक्ष नहीं दे सकते अनुमति : विधायक संयम लोढ़ा को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की अनुमति पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सदन के बीच में इस तरह से कोई भी प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने का प्रावधान नहीं है. राठौड़ के उठाए गए सवाल के बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. अध्यक्ष सीपी जोशी ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जो नियम बने हुए हैं, उन्हीं नियमों के अनुसार सदन की कार्रवाई को चलाया जा रहा है. अगर फिर भी उन्हें कोई आपत्ति है तो वह सदन की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने संयम लोढ़ा को प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा.

पेश हुआ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव : विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में भारत के संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (ख) में साफ उल्लेख है. लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई निर्णय नहीं किया गया. अध्यक्ष के विचाराधीन होने के बावजूद भी उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकर्ट में याचिका दायर की. लोढ़ा ने कहा कि भारतीय संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायक पालिका का कार्यक्षेत्र बंटा हुआ है. बावजूद इसके, राठौड़ ने विधानसभा की कार्यवाही को कोर्ट में चुनौती दी. इस तरह के आचरण से प्रदेश की आठ करोड़ जनता के साथ सदन कि गरीमा को खंडित किया गया है. इसलिए कार्य संचालन नियम 157 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है. प्रस्ताव पेश होने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि जो प्रस्ताव संदन में लाया गया है, उस पर वो सोचकर निर्णय करेंगे.

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क्या है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ? : विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव विधानसभा के किसी भी सदस्य की ओर से पेश किया जा सकता है. विधानसभा में झूठे तथ्य पेश करके, सदन के सदस्यों के अधिकारों का सम्मान नहीं होने और सदन के अधिकारों को चुनौती देने सहित अन्य परिस्थितियों में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया जाता है. विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (ख) के प्रावधान के तहत लाया जाता है.

ये है पूरा मामला : कांग्रेस की ओर से 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक जयपुर में बुलाई गई थी. इस बैठक में सचिन पायलट को सीएम बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगने की आशंका के चलते सीएम अशोक गहलोत के गुट के विधायकों ने विरोध करत हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया था. साथ ही गहलोत खेमे के विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर रात में जाकर इस्तीफा सौंप दिया था. इन स्थितियों पर लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई निर्णय नहीं करने पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकर्ट में याचिका दायर कर स्थिति को स्वीकार करने की मांग की थी.

Last Updated : Jan 31, 2023, 5:17 PM IST
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