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निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल ने मांगी जमानत, हाईकोर्ट ने केस डायरी की तलब - दो करोड़ रुपए की रिश्वत का मामला

दो करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में निलंबित (Suspended ASP Divya Mittal demands Bail ) एएसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई की.

Suspended ASP Divya Mittal demands Bail,  Divya Mittal Bribery Case
निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल ने मांगी जमानत.
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Published : Feb 7, 2023, 11:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नशीली दवाओं के मामले में दवा कंपनी के मालिक से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने को लेकर न्यायिक अभिरक्षा में चल रही निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल से जुड़े मामले में 16 फरवरी को केस डायरी पेश करने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जमानत याचिका में अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि प्रकरण में एसीबी की कार्रवाई झूठ का पुलिंदा है. प्रकरण में एसीबी ने न तो याचिकाकर्ता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है और न ही उससे रिश्वत राशि की रिकवरी हुई है. इसके अलावा उसके पास आय से अधिक की राशि भी बरामद नहीं हुई है. वहीं वॉयस रिकॉर्डिंग को लेकर एसीबी ने विधि अनुसार तय प्रक्रिया का पालना नहीं किया है. प्रकरण में एसीबी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है.

पढ़ेंः Divya Mittal bribery case: 2 करोड़ की घूस मांगने का मामला, दिव्या मित्तल की न्यायिक अभिरक्षा 17 फरवरी तक बढ़ाई

एसीबी ने गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उसे नोटिस भी नहीं दिया था. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात के तहत ट्रैप की जरूरत नहीं है. यदि सिर्फ रिश्वत की डिमांड की जाती है तो भी एसीबी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. प्रकरण में एसीबी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे यह साबित होता है कि आरोपी दिव्या मित्तल ने दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की है. प्रकरण में अनुसंधान लंबित है.

यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह अभियोजन पक्ष की साक्ष्य को प्रभावित कर सकती है. इसलिए उसकी जमानत याचिका को खारिज किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 16 फरवरी को प्रकरण की केस डायरी पेश करने को कहा है. गौरतलब है कि दवा फैक्ट्री के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी ने एसओजी, अजमेर में तैनात तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को गत 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दिव्या पर आरोप है कि उसने हरिद्वार में संचालित दवा फैक्ट्री के संचालक को गलत रूप से नशीली दवा प्रकरण में लिप्त बताकर उसका नाम हटाने के एवज में दलाल के मार्फत दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नशीली दवाओं के मामले में दवा कंपनी के मालिक से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने को लेकर न्यायिक अभिरक्षा में चल रही निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल से जुड़े मामले में 16 फरवरी को केस डायरी पेश करने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जमानत याचिका में अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि प्रकरण में एसीबी की कार्रवाई झूठ का पुलिंदा है. प्रकरण में एसीबी ने न तो याचिकाकर्ता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है और न ही उससे रिश्वत राशि की रिकवरी हुई है. इसके अलावा उसके पास आय से अधिक की राशि भी बरामद नहीं हुई है. वहीं वॉयस रिकॉर्डिंग को लेकर एसीबी ने विधि अनुसार तय प्रक्रिया का पालना नहीं किया है. प्रकरण में एसीबी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है.

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एसीबी ने गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उसे नोटिस भी नहीं दिया था. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात के तहत ट्रैप की जरूरत नहीं है. यदि सिर्फ रिश्वत की डिमांड की जाती है तो भी एसीबी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. प्रकरण में एसीबी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे यह साबित होता है कि आरोपी दिव्या मित्तल ने दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की है. प्रकरण में अनुसंधान लंबित है.

यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह अभियोजन पक्ष की साक्ष्य को प्रभावित कर सकती है. इसलिए उसकी जमानत याचिका को खारिज किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 16 फरवरी को प्रकरण की केस डायरी पेश करने को कहा है. गौरतलब है कि दवा फैक्ट्री के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी ने एसओजी, अजमेर में तैनात तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को गत 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दिव्या पर आरोप है कि उसने हरिद्वार में संचालित दवा फैक्ट्री के संचालक को गलत रूप से नशीली दवा प्रकरण में लिप्त बताकर उसका नाम हटाने के एवज में दलाल के मार्फत दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी.

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