जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत कक्षा दस के विद्यार्थियों का परिणाम कम आने पर प्रधानाध्यापक को दंडित किया गया था. इसके साथ ही अदालत ने विभाग के उप सचिव को कहा है कि वह इस संबंध में पेश अपील को निस्तारित करें. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश जसराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पाली जिले में राजकीय माध्यमिक विद्यालय में हेडमास्टर है. उसकी स्कूल का परीक्षा परिणाम हर साल उत्कृष्ट रहता है, लेकिन सत्र 2018-19 में कक्षा दस का परिणाम कम रहा. इसके चलते विभाग ने 9 फरवरी, 2021 को आदेश जारी कर उसकी एक वेतन वृद्धि रोक ली. वहीं इस आदेश की अपील विभाग के उप सचिव को की जा चुकी है, लेकिन उस पर कोई आदेश नहीं दिए जा रहे.
पढ़ेंः Rajasthan High Court: मेडिकल अनफिट को चालक लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
याचिका में बताया गया कि हर छात्र का बौद्धिक स्तर अलग-अलग होता है. ऐसे में कई स्कूलों का परिणाम कम रह जाता है. वहीं केवल एक साल के परिणाम के आधार पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता. याचिका में यह भी कहा गया कि कम परीक्षा परिणाम आने के आधार पर किसी शिक्षक को दंडित नहीं किया जा सकता. कम परिणाम रहने के कई तरह के कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका दोष शिक्षक को नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा याचिकाकर्ता स्कूल का हेडमास्टर है और उसका कार्य प्रबंधात्मक है. वह बच्चों का पढ़ाता भी नहीं है, इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रोक लगाते हुए विभाग को अपील का निस्तारण करने को कहा है.