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Rajasthan High Court: एमबीसी को पांच फीसदी आरक्षण नहीं देने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक भर्ती-2022 में एमबीसी को 5 फीसदी आरक्षण नहीं देने पर शिक्षा सचिव सहित अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court,  High Court sought answers
एमबीसी को पांच फीसदी आरक्षण नहीं देने पर मांगा जवाब.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 3, 2023, 8:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक भर्ती-2022 में अति पिछड़ा वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं देने पर शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक और कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि क्यों न एमबीसी वर्ग के तहत याचिकाकर्ता का चयन कर लिया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश सुखदेव गुर्जर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि गत 16 दिसंबर को तृतीय श्रेणी शिक्षक के 27 हजार पदों पर भर्ती निकाली गई. इनमें से 285 पद विशेष शिक्षकों के लिए रखे गए थे. राज्य सरकार को इन विशेष शिक्षकों के पदों का पांच फीसदी एमबीसी वर्ग के लिए आरक्षित रखना था. गत 2 जून को जारी अंतरिम परिणाम में याचिकाकर्ता को शामिल किया गया. वहीं बाद में अंतिम परिणाम में याचिकाकर्ता को चयन से वंचित कर दिया गया. यदि राज्य सरकार की ओर से एमबीसी वर्ग के लिए पांच फीसदी पद आरक्षित रखे जाते तो याचिकाकर्ता के अंकों के आधार पर उसका चयन सुनिश्चित था.

पढ़ेंः आरएएस प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने जब इस संबंध में विभाग में प्रार्थना पत्र पेश किया तो उसे जानकारी दी गई की इन पदों की गणना जिला स्तर पर की गई है. इसलिए एमबीसी वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण नहीं मिला है और इस कारण उसका चयन नहीं हुआ. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय भर्ती निकाली थी और चयन प्रक्रिया भी राज्य स्तर पर ही की गई थी. ऐसे में एमबीसी वर्ग के पदों के लिए आरक्षण की गणना भी राज्य स्तर पर ही की जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक भर्ती-2022 में अति पिछड़ा वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं देने पर शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक और कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि क्यों न एमबीसी वर्ग के तहत याचिकाकर्ता का चयन कर लिया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश सुखदेव गुर्जर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि गत 16 दिसंबर को तृतीय श्रेणी शिक्षक के 27 हजार पदों पर भर्ती निकाली गई. इनमें से 285 पद विशेष शिक्षकों के लिए रखे गए थे. राज्य सरकार को इन विशेष शिक्षकों के पदों का पांच फीसदी एमबीसी वर्ग के लिए आरक्षित रखना था. गत 2 जून को जारी अंतरिम परिणाम में याचिकाकर्ता को शामिल किया गया. वहीं बाद में अंतिम परिणाम में याचिकाकर्ता को चयन से वंचित कर दिया गया. यदि राज्य सरकार की ओर से एमबीसी वर्ग के लिए पांच फीसदी पद आरक्षित रखे जाते तो याचिकाकर्ता के अंकों के आधार पर उसका चयन सुनिश्चित था.

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याचिकाकर्ता ने जब इस संबंध में विभाग में प्रार्थना पत्र पेश किया तो उसे जानकारी दी गई की इन पदों की गणना जिला स्तर पर की गई है. इसलिए एमबीसी वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण नहीं मिला है और इस कारण उसका चयन नहीं हुआ. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय भर्ती निकाली थी और चयन प्रक्रिया भी राज्य स्तर पर ही की गई थी. ऐसे में एमबीसी वर्ग के पदों के लिए आरक्षण की गणना भी राज्य स्तर पर ही की जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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