जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर के रूपवास उपखंड की ग्राम पंचायत माडापुरा के 70 से अधिक परिवारों को आठ किमी दूर की ग्राम पंचायत में जोड़ने पर एसीएस ग्रामीण विकास, भरतपुर के संभागीय आयुक्त, कलेक्टर और रूपवास उपखंड अधिकारी से जवाब मांगा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश स्थानीय निवासियों की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि राज्य सरकार ने 2019 में रूपवास उपखंड में नई ग्राम पंचायत कंजोली बनाई. इस नई ग्राम पंचायत में माडापुरा ग्राम पंचायत के कमालपुरा व श्रीनगर गांव के 70 से भी ज्यादा परिवारों के नाम जोड़ दिए, जबकि नई ग्राम पंचायत की दूरी उनसे 8 किमी दूर थी. ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और स्थानीय प्रशासन सहित राज्य सरकार को प्रतिवेदन दिया, लेकिन 2020 में ऑनलाइन सिस्टम की वजह से लगभग दर्जनों परिवारों के नाम नई ग्राम पंचायत में डाल दिए गए.
वहीं. निर्वाचन विभाग के अधिकारियों ने पूर्व में इनको नई ग्राम पंचायत में शामिल नहीं करने के आदेश दिए थे. वहीं उसी के अनुसार साइट मैप भी बनाया था. याचिका में कहा गया कि नई ग्राम पंचायत में नाम शामिल करने से ग्रामीण राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे और निजी जरूरतों के लिए उन्हें 8 किमी दूर जाना होगा. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एसीएस ग्रामीण विकास, भरतपुर के संभागीय आयुक्त, कलेक्टर समेत संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.