जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एडीजे, नसीराबाद से पूछा है कि मादक पदार्थ तस्करी के मामले में कछुआ चाल से ट्रायल क्यों की जा रही है. अदालत ने कहा कि प्रकरण 11 फरवरी, 2020 को दर्ज हुआ था, लेकिन अब तक 22 में से सिर्फ तीन गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश रामचन्द्र की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
जमानत याचिका में अधिवक्ता कपिल गुप्ता ने अदालत को बताया कि अजमेर जिले के नसीराबाद सदर थाना पुलिस ने 11 फरवरी, 2020 को एनडीपीएस एक्ट में मामला दर्ज किया था. वहीं तय समय में पुलिस ने आरोप पत्र भी पेश कर दिया था. अभियोजन पक्ष की ओर से 22 गवाहों की सूची भी अदालत में पेश की गई थी. वहीं अब तक सिर्फ तीन गवाहों के बयान ही लेखबद्ध कराए गए हैं.
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जमानत याचिका में कहा गया कि मामले की अब तक हुई कछुआ चाल ट्रायल से साबित है कि मामले की सुनवाई पूरी होने में लंबा समय लगने की संभावना है. जिसके चलते याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि पुलिस ने वाणिज्यिक मात्रा से अधिक तीन किलोग्राम अफीम बरामद की थी. ऐसे में आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
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जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित एडीजे कोर्ट से ट्रायल में देरी का स्पष्टीकरण मांगा है. गौरतलब है कि नसीराबाद सदर थाना पुलिस ने 11 फरवरी, 2020 को भीलवाड़ा की तरफ से हाइवे पर आ रही कार को रोककर तलाशी ली थी. जिसमें पुलिस ने छिपाकर रखी 3 किलो 100 ग्राम अफीम बरामद कर याचिकाकर्ता सहित एक नाबालिग को पकड़ा था. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर एनडीपीएस एक्ट के तहत अदालत में आरोप पत्र पेश किया था.